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सात समंदर पार आकर विदेशी कपल ने हिंदू रीति रिवाज से की शादी, एक हुए एलेग्जेंडर और एलीना

भारतीय लोग पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित होकर पाश्चात्य संस्कृति की ओर अग्रसर हो रहे हैं. वही सात समंदर पार से आए एक जोड़े ने श्रीमद्भागवत गीता से प्रभावित होकर खरगोन में हिंदू रीति रिवाज से शादी की.

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Published : Mar 8, 2020, 8:53 PM IST

Updated : Mar 8, 2020, 11:51 PM IST

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परिणय सूत्र में बंधे एलेग्जेंडर और एलीना

खरगोन। यूं तो सनातन धर्म और हिंदू संस्कृति सबसे पुरानी मानी जाती है. इतना ही नहीं पाश्चात्य संस्कृति पर भारतीय संस्कृति हमेशा से ही प्रभावशाली रही है. हाल ही में सात समंदर पार से आकर खरगोन में एक नवयुगल श्रीमद्भागवत गीता से प्रभावित होकर हिंदू रीति रिवाज से परिणय सूत्र में बंधे.

परिणय सूत्र में बंधे एलेग्जेंडर और एलीना

इनके गुरु श्यामसुंदर महाजन ने बताया कि पाश्चात्य संस्कृति पर हिंदू धर्म में हमेशा से ही प्रभावी रहा है. एलेग्जेंडर और एलीना बिना शादी किए साथ रह रहे थे. यह इस्कॉन मंदिर में इंसेक्ट मुलाकात हुई. इन्होंने मंदिर में श्रीमद्भागवत गीता के साथ अन्य पुस्तकों का अध्ययन किया. जिसके बाद इन्हें समझाया गया कि बिना शादी के साथ नहीं रहा जाता है तो इन्होंने भारत में आकर शादी करने के बाद कहीं. जिसके बाद खरगोन के इस्कॉन मंदिर इनका विवाह हिंदू पद्धति से किया गया.

परिणय सूत्र में बंधे नवयुगल ने बताया कि हम कृष्ण से इस्कॉन मंदिर में प्रभावित हुए और इंडियन कल्चर को अपनाने का मन किया. जिसकी शुरुआत हमने विवाह परिणय में बंधकर की. एलीना ने बताया कि मैं इस्कॉन मंदिर श्री कृष्ण के जीवन से प्रभावित हुई. जीवन में कई बार परिस्थितियों के साथ समझौता करना पड़ता है और हमने भी किया है. हमें इस्कॉन मंदिर से प्रेरणा मिली और जीवन में अलग राह पकड़ते हुए हम यहां आए हैं.

वहीं दूल्हा एलेग्जेंडर ने बताया कि मैं और मेरी फैमिली अमेरिका में रहते हैं. इस्कॉन मंदिर श्रीमद्भागवत गीता से प्रभावित होकर मेरे गुरु ने मेरा नाम रामदास रखा है. विवाह को लेकर उसने बताया कि ये अलग कल्चर है, मुझे अच्छा लगा है. इस तरीके से विवाह करने पर एक अलग ही अनुभव हो रहा है.

खरगोन। यूं तो सनातन धर्म और हिंदू संस्कृति सबसे पुरानी मानी जाती है. इतना ही नहीं पाश्चात्य संस्कृति पर भारतीय संस्कृति हमेशा से ही प्रभावशाली रही है. हाल ही में सात समंदर पार से आकर खरगोन में एक नवयुगल श्रीमद्भागवत गीता से प्रभावित होकर हिंदू रीति रिवाज से परिणय सूत्र में बंधे.

परिणय सूत्र में बंधे एलेग्जेंडर और एलीना

इनके गुरु श्यामसुंदर महाजन ने बताया कि पाश्चात्य संस्कृति पर हिंदू धर्म में हमेशा से ही प्रभावी रहा है. एलेग्जेंडर और एलीना बिना शादी किए साथ रह रहे थे. यह इस्कॉन मंदिर में इंसेक्ट मुलाकात हुई. इन्होंने मंदिर में श्रीमद्भागवत गीता के साथ अन्य पुस्तकों का अध्ययन किया. जिसके बाद इन्हें समझाया गया कि बिना शादी के साथ नहीं रहा जाता है तो इन्होंने भारत में आकर शादी करने के बाद कहीं. जिसके बाद खरगोन के इस्कॉन मंदिर इनका विवाह हिंदू पद्धति से किया गया.

परिणय सूत्र में बंधे नवयुगल ने बताया कि हम कृष्ण से इस्कॉन मंदिर में प्रभावित हुए और इंडियन कल्चर को अपनाने का मन किया. जिसकी शुरुआत हमने विवाह परिणय में बंधकर की. एलीना ने बताया कि मैं इस्कॉन मंदिर श्री कृष्ण के जीवन से प्रभावित हुई. जीवन में कई बार परिस्थितियों के साथ समझौता करना पड़ता है और हमने भी किया है. हमें इस्कॉन मंदिर से प्रेरणा मिली और जीवन में अलग राह पकड़ते हुए हम यहां आए हैं.

वहीं दूल्हा एलेग्जेंडर ने बताया कि मैं और मेरी फैमिली अमेरिका में रहते हैं. इस्कॉन मंदिर श्रीमद्भागवत गीता से प्रभावित होकर मेरे गुरु ने मेरा नाम रामदास रखा है. विवाह को लेकर उसने बताया कि ये अलग कल्चर है, मुझे अच्छा लगा है. इस तरीके से विवाह करने पर एक अलग ही अनुभव हो रहा है.

Last Updated : Mar 8, 2020, 11:51 PM IST
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