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तीन साल बाद भी ग्रामीण युवा मैदान के लिए परेशान, ऐसे कैसे खेल में बढ़ेंगे प्रदेश के युवा

खंडवा के ग्रामीण इलाकों में खेल प्रतिभाओं को निखरने के लिए करीब तीन साल पहले मैदान बनाए गए थे, लेकिन आज तक युवाओं का इसका लाभ नहीं मिल पाया है.

Troubled youth for the field
मैदान के लिए परेशान युवा
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Published : Dec 4, 2020, 2:38 AM IST

खंडवा। देश में खेल प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं हैं. समय-समय पर देश की युवा प्रतिभाओं ने अपने हुनर को सिद्ध भी किया हैं. वहीं शासन जब इन प्रतिभाओं को निखारने के लिए कोशिश करता हैं तो शासन के जिम्मेदार अधिकारी किस तरह उन कोशिशों पर पानी फेर देते हैं, इसकी एक बानगी खंडवा जिले में देखने को मिली. जिले में ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के जरिए बने तीन खेल मैदान जो पिछले तीन सालों से बनकर धूल खा रहे हैं. ये मैदान बेबसी के आंसू बहा रहे हैं. यह मैदान शराबियों का अड्डा बनकर रह गए हैं. करोड़ों की लागत से बने इन मैदानों का सही उपयोग नहीं हो पा रहा हैं.

मैदान के लिए परेशान युवा

शासन ने जिस उद्देश्य से इन मैदानों का निर्माण कराया था, वह उद्देश्य ही पूरा नहीं हो रहा है. खंडवा जिले के छैगांवमाखन, नहालदा और नर्मदानगर में यह ग्रामीण खेल मैदान 80- 80 लाख रुपए की लागत से साल 2017 में बनकर तैयार हो गए थे. वहीं वर्तमान में इनकी हालत खराब हो चुकी है. इन मैदानों में कहीं दरारे आ रही हैं तो कहीं जंग लग रहा है. वहीं रात के समय यह मैदान शराबियों का अड्डा बन जाते है. यहां पर पड़ी हुई बोतलों से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है.

युवा खिलाड़ी हैं परेशान

जिला मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर दूर नहालदा गांव में साल 2017 से बनकर तैयार ग्रामीण खेल मैदान जर्जर अवस्था में आ चुका है. यहां पर कोई खेल गतिविधियां नहीं हुई है. उल्टा इस मैदान के गेट में ताला लगा हुआ है. जगह-जगह से टूट-फूट रही हैं. वही मैदान में जंगली घास का कब्जा है. गांव के युवा जो खेलों में रुचि रखते हैं, अच्छा खेल मैदान नहीं होने के चलते इन्हें शहर में आना पड़ता है.

खेलों के अनुरूप की जाए व्यवस्थाएं

खिलाड़ियों का कहना है कि कागजों में यह मैदान नहालदा गांव में बना है. लेकिन हकीकत यह है कि मैदान गांव से 2 किलोमीटर दूर बना दिया गया है. गांव से पूरी तरह अलग-थलग है. यही नहीं ये मैदान बने हुए तीन साल से ज्यादा का समय हो चुका है लेकिन इसको अभी तक शुरू नहीं किया गया हैं. ऐसे में हमें खेलने में काफी समस्याएं हो रही है. फिलहाल स्कूल बंद है, इसलिए स्कूल के छोटे ग्राउंड पर हम प्रैक्टिस कर रहे हैं. लेकिन जब स्कूल खुल जाएंगे, ऐसे समय में हमें प्रैक्टिस करने में परेशानी होगी. इसलिए हम सरकार से यह मांग करते हैं कि नहालदा के इस खेल मैदान को ठीक करा कर इसे खेलने के लिए उपयुक्त बनाया जाए और इसका संचालन शुरू किया जाए. साथ ही यहां खेलों के अनुरूप व्यवस्थाएं की जाए.

इस गांव में बड़ी संख्या में युवा हैं जो क्रिकेट सहित अन्य खेलों में रुचि रखते हैं. ऐसे में गांव में कोई अच्छा मैदान नहीं होने के चलते यह युवा गांव की स्कूल के छोटे मैदान पर क्रिकेट की प्रैक्टिस कर रहे हैं. उनका कहना है कि जब तक स्कूल बंद है, तब तक वे अपनी प्रैक्टिस जारी रख सकते हैं इसके बाद वे कहां खेलेंगे.

शिक्षा विभाग को करनी है देखरेख

इस मामले पर जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी रोशन सिंह ने ऑन रिकॉर्ड कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया. हालांकि इस पूरे मसले पर जानकारी जुटाकर बताया कि तीनों जगहों पर मैदान बनकर तैयार हैं और स्थानीय जनपद के द्वारा विकासखंड शिक्षा अधिकारी को हैंडओवर किए जा चुके हैं. अब इन मैदानों का रखरखाव और संचालन शिक्षा विभाग को ही करना हैं.

वहीं इस मामले पर जिला शिक्षा अधिकारी एसके भालेराव ने कहा कि उन्हें इस बात का संज्ञान नहीं है कि इन ग्रामीण खेल मैदानों को विकासखंड शिक्षा अधिकारी को हैंड ओवर किया है या नहीं. अगर विकास खंड शिक्षा अधिकारी को मैदान हैंडोवर हो चुके हैं तो हम उन्हें इन मैदानों के रखरखाव और संचालन के तत्काल निर्देश जारी कर देंगे.

खंडवा। देश में खेल प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं हैं. समय-समय पर देश की युवा प्रतिभाओं ने अपने हुनर को सिद्ध भी किया हैं. वहीं शासन जब इन प्रतिभाओं को निखारने के लिए कोशिश करता हैं तो शासन के जिम्मेदार अधिकारी किस तरह उन कोशिशों पर पानी फेर देते हैं, इसकी एक बानगी खंडवा जिले में देखने को मिली. जिले में ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के जरिए बने तीन खेल मैदान जो पिछले तीन सालों से बनकर धूल खा रहे हैं. ये मैदान बेबसी के आंसू बहा रहे हैं. यह मैदान शराबियों का अड्डा बनकर रह गए हैं. करोड़ों की लागत से बने इन मैदानों का सही उपयोग नहीं हो पा रहा हैं.

मैदान के लिए परेशान युवा

शासन ने जिस उद्देश्य से इन मैदानों का निर्माण कराया था, वह उद्देश्य ही पूरा नहीं हो रहा है. खंडवा जिले के छैगांवमाखन, नहालदा और नर्मदानगर में यह ग्रामीण खेल मैदान 80- 80 लाख रुपए की लागत से साल 2017 में बनकर तैयार हो गए थे. वहीं वर्तमान में इनकी हालत खराब हो चुकी है. इन मैदानों में कहीं दरारे आ रही हैं तो कहीं जंग लग रहा है. वहीं रात के समय यह मैदान शराबियों का अड्डा बन जाते है. यहां पर पड़ी हुई बोतलों से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है.

युवा खिलाड़ी हैं परेशान

जिला मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर दूर नहालदा गांव में साल 2017 से बनकर तैयार ग्रामीण खेल मैदान जर्जर अवस्था में आ चुका है. यहां पर कोई खेल गतिविधियां नहीं हुई है. उल्टा इस मैदान के गेट में ताला लगा हुआ है. जगह-जगह से टूट-फूट रही हैं. वही मैदान में जंगली घास का कब्जा है. गांव के युवा जो खेलों में रुचि रखते हैं, अच्छा खेल मैदान नहीं होने के चलते इन्हें शहर में आना पड़ता है.

खेलों के अनुरूप की जाए व्यवस्थाएं

खिलाड़ियों का कहना है कि कागजों में यह मैदान नहालदा गांव में बना है. लेकिन हकीकत यह है कि मैदान गांव से 2 किलोमीटर दूर बना दिया गया है. गांव से पूरी तरह अलग-थलग है. यही नहीं ये मैदान बने हुए तीन साल से ज्यादा का समय हो चुका है लेकिन इसको अभी तक शुरू नहीं किया गया हैं. ऐसे में हमें खेलने में काफी समस्याएं हो रही है. फिलहाल स्कूल बंद है, इसलिए स्कूल के छोटे ग्राउंड पर हम प्रैक्टिस कर रहे हैं. लेकिन जब स्कूल खुल जाएंगे, ऐसे समय में हमें प्रैक्टिस करने में परेशानी होगी. इसलिए हम सरकार से यह मांग करते हैं कि नहालदा के इस खेल मैदान को ठीक करा कर इसे खेलने के लिए उपयुक्त बनाया जाए और इसका संचालन शुरू किया जाए. साथ ही यहां खेलों के अनुरूप व्यवस्थाएं की जाए.

इस गांव में बड़ी संख्या में युवा हैं जो क्रिकेट सहित अन्य खेलों में रुचि रखते हैं. ऐसे में गांव में कोई अच्छा मैदान नहीं होने के चलते यह युवा गांव की स्कूल के छोटे मैदान पर क्रिकेट की प्रैक्टिस कर रहे हैं. उनका कहना है कि जब तक स्कूल बंद है, तब तक वे अपनी प्रैक्टिस जारी रख सकते हैं इसके बाद वे कहां खेलेंगे.

शिक्षा विभाग को करनी है देखरेख

इस मामले पर जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी रोशन सिंह ने ऑन रिकॉर्ड कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया. हालांकि इस पूरे मसले पर जानकारी जुटाकर बताया कि तीनों जगहों पर मैदान बनकर तैयार हैं और स्थानीय जनपद के द्वारा विकासखंड शिक्षा अधिकारी को हैंडओवर किए जा चुके हैं. अब इन मैदानों का रखरखाव और संचालन शिक्षा विभाग को ही करना हैं.

वहीं इस मामले पर जिला शिक्षा अधिकारी एसके भालेराव ने कहा कि उन्हें इस बात का संज्ञान नहीं है कि इन ग्रामीण खेल मैदानों को विकासखंड शिक्षा अधिकारी को हैंड ओवर किया है या नहीं. अगर विकास खंड शिक्षा अधिकारी को मैदान हैंडोवर हो चुके हैं तो हम उन्हें इन मैदानों के रखरखाव और संचालन के तत्काल निर्देश जारी कर देंगे.

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