खंडवा। महिला कैदियों को समाज की मुख्य ध्यारा से जोड़ने के लिए जेल अधीक्षक चतुर्वेदी ने नवाचार किया है. (Female prisoner of Khandwa Jail) वे महिला कैदियों को प्रतिदिन एक घंटे तक पढ़ा रही हैं. उन्हें साक्षर करने में लग गई हैं. गंभीर अपराधों में बंद महिलाओं ने अब अपने हाथो में कलम थाम ली हैं. उन्होंने जीवन को सुधारने की दिशा में कदम बढ़ाया है. उनके हौसलों को पंख देने का काम यहां पदस्थ जेल अधीक्षक अदिति चतुर्वेदी ने किया है. उनकी वजह से महिला कैदी साक्षर होने की ओर बढ़ रही हैं.
पढ़ने लगीं किताबें: जेल में 725 कैदी हैं. इसमें से महिला कैदियों की संख्या 25 है. इनके लिए महिला बैरक अलग ही बना हुआ है. उनकी यह पहल अब रंग दिखाने लगी है. वे महिला कैदी जो जिन्हें क ख ग का ज्ञान नहीं था. वो अब अपना नाम, परिवार के लोगों का नाम लिखने लगी हैं. अपने घर का पता भी वे अच्छे से लिख लेती हैं. इनमें से कुछ महिला कैदी ऐसी भी हैं जिन्हें. किताब पढ़ना तक आ गया है. वे किताब पढ़ने लग गई हैं. एक तरह से महिला बंदियों को लिखने के साथ ही पढ़ना तक आ गया हैं.
सीख गई हैं हिंदी: बिहार और कोलकाता जैसे राज्यों से यहां सजा काट रही महिला कैदी जो हिंदी ठीक से बोल भी नहीं पाती थी. वे भी हिंदी सीख गई हैं. हिंदू के शब्दों में अपना नाम और पता लिखने ली है. इसके लिए जेल अधीक्षिका ने इन महिला बंदियों को पट्टी और कलम लाकर दी. एक महिला कैदी का कहना है कि, वह जब जेल में आई थी. तो उसे अपना नाम लिखना तक आता नहीं था. अब वह अपना नाम लिख लेती है. उसने जोड़ना और घटना भी सिखा हैं.
साक्षर बनाने का प्रयास: जेल में आने वाली अधिकांश महिला कैदी साक्षर नहीं होती.उन्हें साक्षर करने का प्रयास किया जा रहा है. वे जेल में जितने दिन भी रहती हैं. उन्हें पढ़ाया जाता है. इसके चलते जेल में फिलहाल में मौजूद सभी महिला कैदी जिन्होंने कभी कलम नहीं पकड़ी वे अब अपना नाम लिख रही हैं. उन्हें किताब पढ़ना आ गया है.