खंडवा। नकली बीजों की कालाबाजारी पूरे देश में प्रचलित हैं. नकली बीज का मामला सामने आने के बाद से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच गई हैं. सोयाबीन बोने को लेकर किसान पशोपेश में है. कुछ किसानों ने इस बार सोयाबीन की मात्रा कम कर दी हैं. वहीं कुछ किसान ऐसे भी हैं, जिन्होंने कंपनियों से बीज खरीदने से तौबा कर लिया है. वह अपने परिचित किसानों से ही बीज खरीद रहे है.
किसानों ने खुलकर अपनी समस्या रखी. इसके लिए बीज निगम और बीज प्रमाणीकरण विभाग को जिम्मेदार ठहराया. किसानों का कहना है कि 10 हजार रुपये क्विंटल में सोयाबीन का बीज मिल रहा हैं, लेकिन इसकी कोई प्रमाणिकता नहीं है कि यह बीज उगेगा या नहीं. बीज कंपनियां ने भी इस बार बीज को लेकर अपने हाथ खड़े कर दिए है. उन्होंने बीज अंकुरण को लेकर किसी तरह की गारंटी नहीं ली हैं.
यह है मामला
4 जून को कृषि मंत्री कमल पटेल के निर्देश पर इंदौर की विशेष टीम ने बावड़िया काजी में बालाजी सीड्स, पजरिया में प्रगति एग्रो सीड्स और डोंवाड़ा में उत्तम सीड्स के दफ्तर में छापेमारी की थी. अधिकारी 5 जून की सुबह करीब चार बजे तक उत्तम सीड्स कार्यालय में डटे रहे, लेकिन अभी तक यहां मिले फर्जीवाड़े का पर्दाफाश नहीं किया हैं. इसी तरह बालाजी सीड्स पर कार्रवाई करने के बाद भी अधिकारियों ने वहां पाई गई अनियमितताओं को सामने नहीं लाया. केवल प्रगति सीड्स कंपनी पर कार्वाई की गई. बाकी दोनों कंपनियों पर की गई कार्रवाई को लेकर अधिकारियों ने सस्पेंस बरकरार रखा हैं.
बीज की कालाबाजारी: तीन कंपनियों पर हुई छापामार कार्रवाई, नकली टैग जब्त
अब तक यह हुआ
बीज कालाबाजारी मामले में बीज निगम और प्रमाणीकरण अधिकारियों की भी लापरवाही सामने आई हैं. इसके चलते मंत्री कमल पटेल ने मामले में गंभीरता बरतते हुए कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे, जिसके बाद गुरुवार देर शाम मध्य प्रदेश बीज प्रमाणीकरण संस्था के प्रबंध संचालक बीएस धुर्वे ने खंडवा के बीज प्रमाणीकरण अधिकारी पीपी सिंह, सहायक बीज प्रमाणीकरण अधिकारी राजाराम बडोले, जयंत कुल्हारे, सुरेश कुमार, अखिलेश चौहान को निलंबित कर दिया हैं. निलंबन अवधि में यह सभी संभागीय कार्यालय इंदौर अटैच किए गए हैं.