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खंडवा: महज 58 साल की उम्र में किशोर कुमार ने छोड़ दी दुनिया, लेकिन आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं किशोर दा'

हरफनमौला कलाकार किशोर कुमार की आज 33वीं पुण्यतिथि है.इस मौके पर खंडवा में उनके चाहने वालों वाले सैकड़ों प्रशंसक उनकी समाधि स्थल पर पहुंचे. प्रशंसकों ने किशोर दा को पुष्पांजलि अर्पित कर सुरमई श्रद्धांजलि दी.

Fans paid tribute on death anniversary of all rounder Kishore Kumar in Khandwa
किशोर कुमार को श्रद्धांजली
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Published : Oct 13, 2020, 7:15 PM IST

खंडवा। बॉलीवुड के हरफनमौला कलाकार किशोर कुमार कि आज 33वीं पुण्यतिथि है, इस मौके पर खंडवा में उनके चाहने वाले सैकड़ों प्रशंसक उनकी समाधि स्थल पर पहुंचे. प्रशंसकों ने किशोर दा को पुष्पांजलि अर्पित कर सुरमई श्रद्धांजलि दी. हालांकि कोरोना काल में हर साल की तरह कोई बड़ा कार्यक्रम नहीं हो पाया, फिर भी उनके चाहने वाले कुछ लोग खंडवा पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि दी.

किशोर कुमार को श्रद्धांजली

खंडवा में अंतिम संस्कार की थी आखिरी इच्छा
किशोर दा का जन्म 04 अगस्त 1929 को खंडवा जिले में हुआ था, जाने-माने गायक और अभिनयकर्ता का 13 अक्टूबर 1987 को मुंबई में निधन हो गया था, किशोर दा की अंतिम इच्छा के अनुसार उनका पार्थिव शरीर मुंबई से खंडवा लाया गया. उनकी जन्म भूमि खंडवा में ही उनका अंतिम संस्कार किया गया. उनके चाहने वालों ने उसी जगह उनकी समाधि बना दी, जो आज भी पूजी जाती है. बाद में सरकार ने यहां एक भव्य स्मारक बनवा दिया, जो आज एक दर्शनीय स्थल के रूप में विकसित हो गया है.

Fans paid tribute on death anniversary of all rounder Kishore Kumar in Khandwa
बचपन के किशोर कुमार

शुरू से ही बड़े चुलबुले थे किशोर दा
सुरीली आवाज के धनी किशोर दा की स्कूली शिक्षा खंडवा में ही पूरी हुई है. उनके स्कूल के दोस्त बताते थे, कि वह शुरू से ही बड़े चुलबुले थे, उनके दोस्त तो अब नहीं रहे लेकिन आज की युवा पीढ़ी में भी उनके प्रशसंकों की कमी नहीं है. कुछ तो ऐसे हैं, जो उन्हें भगवान की तरह पूजते हैं, और उन्हीं की स्टाइल में गाने लिखते और गाते हैं.

Fans paid tribute on death anniversary of all rounder Kishore Kumar in Khandwa
किशोर कुमार

आज भी मौजूद है किशोर दा का घर
खंडवा में किशोर कुमार का पुश्तैनी मकान आज मौजूद है. घर के अंदर रखा सामान मानों आज भी उनकी प्रतीक्षा कर रहा है. कुछ दिन पहले इसके बिकने की खबर आई थी, लेकिन अमित कुमार ने समाचार पत्रों में नोटिस देकर इसपर विराम लगा दिया. पिछले 40 सालों से यह मकान एक चौकीदार के जिम्मे है. बुजुर्ग हो चुका चौकीदार इस मकान को एक स्मारक के रूप में देखना चाहता है.

Fans paid tribute on death anniversary of all rounder Kishore Kumar in Khandwa
किशोर कुमार को श्रद्धांजली

किशोर दा को खंडवा से प्यार था
किशोर दा को खंडवा से बड़ा लगाव था. जब भी वो स्टेज पर जाते, तब दर्शकों से लेडिज और जेंटलमेन न कहकर दादा और दादियों, नाना और नानियों आप सभी को खंडवावासी किशोर का राम-राम कहते थे. किशोर दा जब भी खंडवा आते, अपने दोस्तों के साथ शहर की गलियों-चौपालों पर गप्पे लड़ाना नहीं भूलते थे. उनकी ज्यादातर महफिल जलेबी की दुकान पर ही सजती थी. उनमें एक स्टार होने का घमंड नहीं था. किशोर दा तो अब नहीं रहे, लेकिन वह जलेबी की दुकान आज भी किशोर कुमार के नाम से चल रही है, दुकानदार किशोर दा की फोटो की पूजा करने के बाद ही धंधा शुरू करते हैं.

उनकी कामयाबी का शिखर बहुत ऊंचा
रुमानी शख्सियत किशोर दा ने 16 हजार फिल्मी गाने गाए हैं, और उन्हें 8 बार फिल्म फेयर अवॉर्ड मिला है. वे मुंबई गए तो थे हास्य कलाकार बनने, लेकिन बन गए गायक. जिन्होंने जिद्दी फिल्म से गाने का सफर शुरू किया था. मध्यप्रदेश सरकार उनकी पूण्य तिथि के मौके पर फ़िल्म उद्योग से जुड़े ख्यातिनाम व्यक्ति को राष्ट्रीय किशोर सम्मान देती है. पूरे देश में किशोर दा के चाहने वाले मौजूद है, किशोर दा के प्रति उनकी दीवानगी उन्हें समाधि तक खींच लाती है.

खंडवा। बॉलीवुड के हरफनमौला कलाकार किशोर कुमार कि आज 33वीं पुण्यतिथि है, इस मौके पर खंडवा में उनके चाहने वाले सैकड़ों प्रशंसक उनकी समाधि स्थल पर पहुंचे. प्रशंसकों ने किशोर दा को पुष्पांजलि अर्पित कर सुरमई श्रद्धांजलि दी. हालांकि कोरोना काल में हर साल की तरह कोई बड़ा कार्यक्रम नहीं हो पाया, फिर भी उनके चाहने वाले कुछ लोग खंडवा पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि दी.

किशोर कुमार को श्रद्धांजली

खंडवा में अंतिम संस्कार की थी आखिरी इच्छा
किशोर दा का जन्म 04 अगस्त 1929 को खंडवा जिले में हुआ था, जाने-माने गायक और अभिनयकर्ता का 13 अक्टूबर 1987 को मुंबई में निधन हो गया था, किशोर दा की अंतिम इच्छा के अनुसार उनका पार्थिव शरीर मुंबई से खंडवा लाया गया. उनकी जन्म भूमि खंडवा में ही उनका अंतिम संस्कार किया गया. उनके चाहने वालों ने उसी जगह उनकी समाधि बना दी, जो आज भी पूजी जाती है. बाद में सरकार ने यहां एक भव्य स्मारक बनवा दिया, जो आज एक दर्शनीय स्थल के रूप में विकसित हो गया है.

Fans paid tribute on death anniversary of all rounder Kishore Kumar in Khandwa
बचपन के किशोर कुमार

शुरू से ही बड़े चुलबुले थे किशोर दा
सुरीली आवाज के धनी किशोर दा की स्कूली शिक्षा खंडवा में ही पूरी हुई है. उनके स्कूल के दोस्त बताते थे, कि वह शुरू से ही बड़े चुलबुले थे, उनके दोस्त तो अब नहीं रहे लेकिन आज की युवा पीढ़ी में भी उनके प्रशसंकों की कमी नहीं है. कुछ तो ऐसे हैं, जो उन्हें भगवान की तरह पूजते हैं, और उन्हीं की स्टाइल में गाने लिखते और गाते हैं.

Fans paid tribute on death anniversary of all rounder Kishore Kumar in Khandwa
किशोर कुमार

आज भी मौजूद है किशोर दा का घर
खंडवा में किशोर कुमार का पुश्तैनी मकान आज मौजूद है. घर के अंदर रखा सामान मानों आज भी उनकी प्रतीक्षा कर रहा है. कुछ दिन पहले इसके बिकने की खबर आई थी, लेकिन अमित कुमार ने समाचार पत्रों में नोटिस देकर इसपर विराम लगा दिया. पिछले 40 सालों से यह मकान एक चौकीदार के जिम्मे है. बुजुर्ग हो चुका चौकीदार इस मकान को एक स्मारक के रूप में देखना चाहता है.

Fans paid tribute on death anniversary of all rounder Kishore Kumar in Khandwa
किशोर कुमार को श्रद्धांजली

किशोर दा को खंडवा से प्यार था
किशोर दा को खंडवा से बड़ा लगाव था. जब भी वो स्टेज पर जाते, तब दर्शकों से लेडिज और जेंटलमेन न कहकर दादा और दादियों, नाना और नानियों आप सभी को खंडवावासी किशोर का राम-राम कहते थे. किशोर दा जब भी खंडवा आते, अपने दोस्तों के साथ शहर की गलियों-चौपालों पर गप्पे लड़ाना नहीं भूलते थे. उनकी ज्यादातर महफिल जलेबी की दुकान पर ही सजती थी. उनमें एक स्टार होने का घमंड नहीं था. किशोर दा तो अब नहीं रहे, लेकिन वह जलेबी की दुकान आज भी किशोर कुमार के नाम से चल रही है, दुकानदार किशोर दा की फोटो की पूजा करने के बाद ही धंधा शुरू करते हैं.

उनकी कामयाबी का शिखर बहुत ऊंचा
रुमानी शख्सियत किशोर दा ने 16 हजार फिल्मी गाने गाए हैं, और उन्हें 8 बार फिल्म फेयर अवॉर्ड मिला है. वे मुंबई गए तो थे हास्य कलाकार बनने, लेकिन बन गए गायक. जिन्होंने जिद्दी फिल्म से गाने का सफर शुरू किया था. मध्यप्रदेश सरकार उनकी पूण्य तिथि के मौके पर फ़िल्म उद्योग से जुड़े ख्यातिनाम व्यक्ति को राष्ट्रीय किशोर सम्मान देती है. पूरे देश में किशोर दा के चाहने वाले मौजूद है, किशोर दा के प्रति उनकी दीवानगी उन्हें समाधि तक खींच लाती है.

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