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संविधान निर्माण सभा के सदस्य थे भगवंतराव मंडलोई, गणतंत्र दिवस पर जानिए उनका व्यक्तित्व - गणतंत्र दिवस

पद्मभूषण से सम्मानित भगवंतराव मंडलोई संविधान निर्माण सभा के सदस्य के रूप में मध्य भारत प्रांत की ओर से शामिल थे. साथ ही भगवंतराव मंडलोई मध्य प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री भी रहे. उनके मुख्यमंत्री रहते उन्होंने एक जननेता की तरह कार्य किया. आइए हम आपको भगवंत राव मंडलोई के बारे में बताते हैं...

Bhagwantrao Mandloi
भगवंतराव मंडलोई
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Published : Jan 26, 2020, 11:15 AM IST

Updated : Jan 26, 2020, 1:17 PM IST

खंडवा। आजाद भारत के संविधान निर्माण में सदस्य के रूप में मध्यप्रदेश के महान नेता पद्मभूषण से सम्मानित भगवंतराव मंडलोई ने अपनी अहम भूमिका निभाई थी. भगवंतराव मंडलोई भी संविधान निर्माण सभा के सदस्य के रूप में मध्यभारत प्रांत की ओर से शामिल थे. भगवंतराव मंडलोई मध्य प्रदेश के 2 बार मुख्यमंत्री रहे. उनके मुख्यमंत्री रहते उन्होंने एक जननेता की तरह काम किया. पूरे प्रदेश में उन्होंने शिक्षा और उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई काम किए.

जानिए संविधान निर्माण सभा के सदस्य भगवंतराव मंडलोई का व्यक्तित्व

मध्यप्रदेश के जननेता भगवंतराव मंडलोई साल 1892 में खंडवा की भूमि में जन्मे, आज भी खंडवा के सराफा बाजार में उनका 150 साल से भी पुराना घर मौजूद है. जिसे उस समय की कचहरी कहा जाता था. यहां उस दौर में अदालती कार्यवाही की जाती थी. मंडलोई भी अपने दौर के मशहूर वकील थे.

स्वतंत्रता सग्राम में गांधीवादी विचारधारा से प्रभावित भगवंतराव मंडलोई गांधीजी के साथ जुड़कर चलने वाले नेताओं में से थे. उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया. उनकी कार्यकुशलता को देखते हुए कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने उन्हें संविधान निर्माण समिति में शामिल किया.

भगवंतराव मंडलोई मध्यप्रदेश की राजनीति में अल्प समय के लिए ही दो बार मुख्यमंत्री पद पर आसीन रहे. साल 1957 में मात्र 30 दिनों के लिए वे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे, वहीं दूसरी बार 19 महीने के लिए वे मुख्यमंत्री बने. इस दौरान उन्होंने एक जननेता के रूप में कार्य किया.

भगवंतराव मंडलोई ने अपने दौर में निमाड़ का मुख्यालय कहे जाने वाले खंडवा में विकास के लिए जो किया. उसे आज भी लोग याद करते हैं. खंडवा में शिक्षा के लिए उनके द्वारा उठाए गए कदमों का ही परिणाम है कि आज खंडवा में शैक्षणिक विकास के लिए B.Ed कॉलेज, तकनीकी शिक्षा के लिए पॉलिटेक्निक कॉलेज, वहीं लड़कियों के लिए गर्ल्स डिग्री कॉलेज खुलवाया.

भगवंतराव मंडलोई की राजनीतिक इच्छाशक्ति का ही परिणाम था कि उस दौर में जब खंडवा और बुरहानपुर एक ही जिला हुआ करता था, उस समय नेपानगर की पेपर मिल उन्होंने स्वीकृत कराई. इसके साथ ही भगवंतराव मंडलोई का समग्र मध्यप्रदेश की राजस्व संहिता के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान था.

भगवंतराव मंडलोई का परिवार अपने समय से ही राजनीति में सक्रिय रहा. उनकी बहू नंदा मंडलोई खंडवा विधानसभा में 1985 से 90 के दौरान विधायक रहीं, आज भी ले अपने पुराने घर में 85 वर्ष की उम्र के इस पड़ाव में रह रही हैं. हालांकि वे अच्छे से बोल नहीं पाती हैं. उनके विधायक के कार्यकाल में ही खंडवा में शासकीय भगवंतराव मंडलोई कृषि महाविद्यालय खोला गया.

खंडवा। आजाद भारत के संविधान निर्माण में सदस्य के रूप में मध्यप्रदेश के महान नेता पद्मभूषण से सम्मानित भगवंतराव मंडलोई ने अपनी अहम भूमिका निभाई थी. भगवंतराव मंडलोई भी संविधान निर्माण सभा के सदस्य के रूप में मध्यभारत प्रांत की ओर से शामिल थे. भगवंतराव मंडलोई मध्य प्रदेश के 2 बार मुख्यमंत्री रहे. उनके मुख्यमंत्री रहते उन्होंने एक जननेता की तरह काम किया. पूरे प्रदेश में उन्होंने शिक्षा और उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई काम किए.

जानिए संविधान निर्माण सभा के सदस्य भगवंतराव मंडलोई का व्यक्तित्व

मध्यप्रदेश के जननेता भगवंतराव मंडलोई साल 1892 में खंडवा की भूमि में जन्मे, आज भी खंडवा के सराफा बाजार में उनका 150 साल से भी पुराना घर मौजूद है. जिसे उस समय की कचहरी कहा जाता था. यहां उस दौर में अदालती कार्यवाही की जाती थी. मंडलोई भी अपने दौर के मशहूर वकील थे.

स्वतंत्रता सग्राम में गांधीवादी विचारधारा से प्रभावित भगवंतराव मंडलोई गांधीजी के साथ जुड़कर चलने वाले नेताओं में से थे. उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया. उनकी कार्यकुशलता को देखते हुए कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने उन्हें संविधान निर्माण समिति में शामिल किया.

भगवंतराव मंडलोई मध्यप्रदेश की राजनीति में अल्प समय के लिए ही दो बार मुख्यमंत्री पद पर आसीन रहे. साल 1957 में मात्र 30 दिनों के लिए वे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे, वहीं दूसरी बार 19 महीने के लिए वे मुख्यमंत्री बने. इस दौरान उन्होंने एक जननेता के रूप में कार्य किया.

भगवंतराव मंडलोई ने अपने दौर में निमाड़ का मुख्यालय कहे जाने वाले खंडवा में विकास के लिए जो किया. उसे आज भी लोग याद करते हैं. खंडवा में शिक्षा के लिए उनके द्वारा उठाए गए कदमों का ही परिणाम है कि आज खंडवा में शैक्षणिक विकास के लिए B.Ed कॉलेज, तकनीकी शिक्षा के लिए पॉलिटेक्निक कॉलेज, वहीं लड़कियों के लिए गर्ल्स डिग्री कॉलेज खुलवाया.

भगवंतराव मंडलोई की राजनीतिक इच्छाशक्ति का ही परिणाम था कि उस दौर में जब खंडवा और बुरहानपुर एक ही जिला हुआ करता था, उस समय नेपानगर की पेपर मिल उन्होंने स्वीकृत कराई. इसके साथ ही भगवंतराव मंडलोई का समग्र मध्यप्रदेश की राजस्व संहिता के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान था.

भगवंतराव मंडलोई का परिवार अपने समय से ही राजनीति में सक्रिय रहा. उनकी बहू नंदा मंडलोई खंडवा विधानसभा में 1985 से 90 के दौरान विधायक रहीं, आज भी ले अपने पुराने घर में 85 वर्ष की उम्र के इस पड़ाव में रह रही हैं. हालांकि वे अच्छे से बोल नहीं पाती हैं. उनके विधायक के कार्यकाल में ही खंडवा में शासकीय भगवंतराव मंडलोई कृषि महाविद्यालय खोला गया.

Intro:खंडवा। आजाद भारत के संविधान निर्माण में सदस्य के रूप में मध्यप्रदेश के महान नेता पद्मभूषण से सम्मानित भगवंतराव मंडलोई ने अपनी अहम भूमिका निभाई थी. भगवंतराव मंडलोई मध्य प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे उनके मुख्यमंत्री रहते उन्होंने एक जननेता की तरह कार्य किया पूरे प्रदेश में उन्होंने शिक्षा और उद्योग को बढ़ावा देने के लिए काफी काफी कार्य किए. गणतंत्र दिवस को हमारे देश के संविधान लागू होने के उपलक्ष्य में मनाया जाता हैं. भगवंतराव मंडलोई भी संविधान निर्माण सभा के सदस्य के रूप में मध्यभारत प्रांत की ओर से शामिल थे. मध्यप्रदेश के जननेता भगवंतराव मंडलोई साल 1892 में खंडवा की भूमि में जन्मे, आज भी खंडवा के सराफा बाजार में उनका 150 साल से भी पुराना घर मौजूद हैं. जिस उस समय की कचहरी कहा जाता था. यहां उस दौर में अदालती कार्यवाही की जाती थी. मंडलोई भी अपने दौर के मशहूर वकील थे. आइए हम आपको भगवंत राव मंडलोई के बारे में विस्तार से बताते हैं


Body:स्वतंत्रता सग्राम में गांधीवादी विचारधारा से प्रभावित भगवंतराव मंडलोई गांधीजी के साथ जुड़कर चलने वाले नेताओं में से थे. उन्होंने सत्याग्रह आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया. उनकी कार्यकुशलता को देखते हुए कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने उन्हें संविधान निर्माण समिति में शामिल किया. भगवंतराव मंडलोई मध्यप्रदेश की राजनीति में अल्प समय के लिए ही दो बार मुख्यमंत्री पद पर आसीन रहे. साल 1957 में मात्र 30 दिनों के लिए वे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे, वहीं दूसरी बार 7 माह के लिए वे मुख्यमंत्री है इस दौरान उन्होंने एक जननेता के रूप में कार्य किया. भगवंतराव मंडलोई ने अपने दौर में निमाड़ का मुख्यालय कहां कहे जाने वाले खंडवा में विकास के लिए जो किया. उसे आज भी लोग याद करते हैं खंडवा में शिक्षा के लिए उनके द्वारा उठाए गए कदमों का ही परिणाम है कि आज खंडवा में शैक्षणिक विकास के लिए B.Ed कॉलेज, तकनीकी शिक्षा के लिए पॉलिटेक्निक कॉलेज, वहीं लड़कियों के लिए गर्ल्स डिग्री कॉलेज खुलवाया. इसके साथ ही उस दौर के महानगरों के लिए स्वीकृत अस्पताल और लड़कियों के लिए विशेष तौर पर महारानी लक्ष्मीबाई स्कूल को भी मंडलोई ने खंडवा जैसे छोटे शहर में खुलवाया. इसके अलावा उन्होंने गांव गांव में हॉयर सैकंडरी स्कूलें खुलवाई. भगवंत सागर डैम का निर्माण किया गया जो क्षेत्र के लोगों के लिए और किसानों के लिए वरदान साबित हुआ. भगवंतराव मंडलोई की राजनीतिक इच्छाशक्ति का ही परिणाम था कि उस दौर में जब खंडवा बुरहानपुर एक ही जिला हुआ करता था उस समय नेपानगर की पेपर मिल उन्होंने स्वीकृत कराई. जब केंद्र सरकार द्वारा यह तर्क देते हुए नकार दिया था कि यहां इस उद्योग के लिए सरकार के पास पैसा नहीं है तब उन्होंने क्षेत्र के लोगों को लेकर चंदा इकट्ठा करने की मुहिम चलाई और सरकार को बड़ी धनराशि एकत्रित करके दी. जिसके बाद सरकार भी नेपानगर में कागज मिल खोलने पर मजबूर होना पड़ा. इस पेपर से लाखों युवाओं को रोजगार मिला. इसके साथ ही भगवंतराव मंडलोई का समग्र मध्यप्रदेश की राजस्व संहिता के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान था.

byte - राघवेंद्र मंडलोई, पोते भगवंतराव मंडलोई

byte - प्रमोद सिन्हा, वरिष्ठ पत्रकार


Conclusion:भगवंतराव मंडलोई का परिवार अपने समय से ही राजनीति में सक्रिय रहा. उनकी बहू नंदा मंडलोई खंडवा विधानसभा में 1985 से 90 के दौरान विधायक रही आज भी ले अपने पुराने घर में 85 वर्ष की उम्र के इस पड़ाव में रह रही है हालांकि वे अच्छे से बोल नहीं पाती हैं. उनके विधायक के कार्यकाल में ही खंडवा में शासकीय भगवंतराव मंडलोई कृषि महाविद्यालय खोला गया.
Last Updated : Jan 26, 2020, 1:17 PM IST
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