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जब नहीं बचे पैसे.. तो साइकिल से ही निकले मुंबई से अपने घर

प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के लिए सरकार की ओर से किए जा रहे इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं. भले ही प्रवासियों के लिए स्पेशल ट्रेन और बसें चलाई जा रही हों, लेकिन अभी भी हजारों मजदूर पैदल और साइकिल से अपने घर लौटने को मजबूर हैं.

When there is no pocket money left
जब नहीं बचे जेब खर्च
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Published : May 9, 2020, 1:34 PM IST

कटनी। प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के लिए सरकार की ओर से किए जा रहे इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं. भले ही प्रवासियों के लिए स्पेशल ट्रेन और बसें चलाई जा रही हों, लेकिन अभी भी हजारों मजदूर पैदल और साइकिल से अपने घर लौटने को मजबूर हैं.

जब नहीं बचे जेब खर्च

मुंबई टू बनारस का सफर

दरअसल शुक्रवार को देर शाम कटनी में सफर के दौरान रुके ये लोग साइकिल से अपने घर जाने के लिए निकले हैं. मुकेश राजबर नाम का एक युवक मुंबई से बनारस जा रहा है. जो एक मई को मुंबई से साइकिल पर गाजीपुर बनारस अपने घर के लिए निकला है. बाकी 6 युवक 6 मई की सुबह 3 बजे सीहोर जिले के बुधनी से निकले हैं, जिनमें से 4 को बिहार जाना है, और 2 लोगों को सीधी जाना है. ये सभी साथ में भीषण गर्मी के बावजूद कुछ घंटों के आराम के बाद लगातार साइकिल चलाते आ रहे हैं.

पैसे खत्म, लोगों की मदद का आसरा

बता दें कि ये सभी मजदूर कारखानों में ठेकेदारी पर काम कर रहे थे. लेकिन कोरोना महामारी के चलते इनके परिजन भी इन्हें घर आने के लिए कह रहे हैं. जब कोई वाहन नहीं मिला तो ये युवक सैकड़ों किलोमीटर के सफर पर साइकिल से निकल पड़े. साइकिल लगातार चलाते-चलाते इनके शरीर की हालत पस्त हो गई है. आलम ये है कि दवा खाकर साइकिल चला रहे हैं. लॉकडाउन में काम बंद होने से जो इनके पास जो पैसे थे वो भी खर्च हो गए. रास्ते में मददगारों से जो भी खाना मिल रहा है उसी के भरोसे इनका सफर चल रहा है.

कटनी। प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के लिए सरकार की ओर से किए जा रहे इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं. भले ही प्रवासियों के लिए स्पेशल ट्रेन और बसें चलाई जा रही हों, लेकिन अभी भी हजारों मजदूर पैदल और साइकिल से अपने घर लौटने को मजबूर हैं.

जब नहीं बचे जेब खर्च

मुंबई टू बनारस का सफर

दरअसल शुक्रवार को देर शाम कटनी में सफर के दौरान रुके ये लोग साइकिल से अपने घर जाने के लिए निकले हैं. मुकेश राजबर नाम का एक युवक मुंबई से बनारस जा रहा है. जो एक मई को मुंबई से साइकिल पर गाजीपुर बनारस अपने घर के लिए निकला है. बाकी 6 युवक 6 मई की सुबह 3 बजे सीहोर जिले के बुधनी से निकले हैं, जिनमें से 4 को बिहार जाना है, और 2 लोगों को सीधी जाना है. ये सभी साथ में भीषण गर्मी के बावजूद कुछ घंटों के आराम के बाद लगातार साइकिल चलाते आ रहे हैं.

पैसे खत्म, लोगों की मदद का आसरा

बता दें कि ये सभी मजदूर कारखानों में ठेकेदारी पर काम कर रहे थे. लेकिन कोरोना महामारी के चलते इनके परिजन भी इन्हें घर आने के लिए कह रहे हैं. जब कोई वाहन नहीं मिला तो ये युवक सैकड़ों किलोमीटर के सफर पर साइकिल से निकल पड़े. साइकिल लगातार चलाते-चलाते इनके शरीर की हालत पस्त हो गई है. आलम ये है कि दवा खाकर साइकिल चला रहे हैं. लॉकडाउन में काम बंद होने से जो इनके पास जो पैसे थे वो भी खर्च हो गए. रास्ते में मददगारों से जो भी खाना मिल रहा है उसी के भरोसे इनका सफर चल रहा है.

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