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कहीं कुआं तो कहीं रेलवे लाइन के पास स्कूल, खतरे के साये में नौनिहाल

कटनी जिले में कई सरकारी विद्यालयों का निर्माण ऐसी जगहों पर करवा दिया गया है जहां बच्चों की जान पर हमेसा खरता मंडराता रहता है, कुल स्कूलों का निर्माण जहां रेलवे लाइन के किराने कर दिया गया है तो वही कुछ विद्यालय तालाब के किनारे बना दिए गए हैं.

सरकारी स्कूल के पीछे बना कुआं
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Published : Jun 10, 2019, 7:58 PM IST

कटनी। मध्यप्रेदश में शिक्षा व्यवस्था का हाल किसी से छिपा नहीं है, लेकिन शिक्षा के गिरते स्तर के बीच नौनिहालों की जिंदगी पर खतरा मंडरा रहा है. जिले में कई स्कूल रेलवे लाइन के पास बने हुए हैं, तो कई विद्यालयों का निर्माण तालाबों के किनारे करवा दिया गया है.

कटनी के सरकारी स्कूलों की तीन तस्वीरें
जनपद शिक्षा केंद्र रीठी के सरकारी स्कूलों का निरीक्षण करने पर मिला की यहां पल-पल बच्चों के सिर पर मौत मंडरा रही है. प्रशासन की अनदेखी के चलते स्कूल परिसर में बच्चों की सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं है.

रीठी विकास खंड के अधीन संचालित सरकारी स्कूलों का जायजा लेने पर परत दर परत स्कूल की व्यवस्थाओं की कमियां खुलकर सामने आ गई, जिस पर कई बड़े सवाल खड़े होने लगे हैं.

केस -1
स्कूल की जमीन पर हो गया कब्जा, बाउंड्री वॉल भी नहीं

रीठी जनपद कार्यालय से महज 1 किलोमीटर दूर संचालित प्राथमिक शाला करिया पाथर की जमीन पर गांव के एक गुंडे नेता ने अवैध रूप से कब्जा करा लिया है. ये लोग स्कूल की जमीन पर आलीशान मकान बनाकर रह रहे हैं. इसकी जानकारी स्कूल के शिक्षकों ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को सूचना दी है, लेकिन अधिकारी कोई कदम नहीं उठाते हैं. क्योंकि अधिकारियों की मिलीभगत से ही अवैध कब्जा किया गया है.
यहां तक कि स्कूल की बिल्डिंग के सामने ही तालाब देवलिया जलाशय है. वाबजूद इसके इस प्रायमरी स्कूल में शासन द्वारा बाउंड्री वॉल का निर्माण नहीं कराया है. जिससे बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों को भी अनहोनी का खतरा सताता रहता है.

केस -2
रेलवे लाईन के किनारे बना स्कूल, हर पल अनहोनी का अंदेशा

रीठी के ममार भटवा में स्कूल की स्थिति और खराब है. यहां संचालित शासकीय प्राथमिक शाला ममार भटवा रेलवे लाईन के बिल्कुल नजदीक बनी हुई है. इसलिए बच्चों की जान पर हर पल खतरा बना रहता है. शिक्षा विभाग द्वारा नौनिहालों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.
कछारखेड़ा में भी स्कूल के पीछे एक निजी कुआं बना हुआ है. इस कुएं में हमेशा ही पानी भरा रहता है और बरसात के दिनों में यह कुआं पानी से लबालब भर जाता है. इस कूएं के पास स्कूल में अध्यनरत बच्चे खेलते हैं, जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.

केस -3
तालाब की मेढ़ पर स्कूल

बरहटा क्षेत्र का सरकारी स्कूल ममार डेम की मेढ़ पर बना है. यहां पर भी बाउंड्री वॉल नहीं बनाया गया है, जबकि बारिश के दिनों में यह जलाशय पानी से लबालब भर जाता है.
प्रशासन की लापरवाही से बच्चों की जान को हर पल खतरा है. शिक्षा के मंदिर उनके परिवारों के लिए मुसीबतों का सबब बन सकते हैं. ऐसे में प्रशासन ने अगर जल्द ही कुछ नहीं किया तो कोई भी बड़ हादसा हो सकता है.

कटनी। मध्यप्रेदश में शिक्षा व्यवस्था का हाल किसी से छिपा नहीं है, लेकिन शिक्षा के गिरते स्तर के बीच नौनिहालों की जिंदगी पर खतरा मंडरा रहा है. जिले में कई स्कूल रेलवे लाइन के पास बने हुए हैं, तो कई विद्यालयों का निर्माण तालाबों के किनारे करवा दिया गया है.

कटनी के सरकारी स्कूलों की तीन तस्वीरें
जनपद शिक्षा केंद्र रीठी के सरकारी स्कूलों का निरीक्षण करने पर मिला की यहां पल-पल बच्चों के सिर पर मौत मंडरा रही है. प्रशासन की अनदेखी के चलते स्कूल परिसर में बच्चों की सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं है.

रीठी विकास खंड के अधीन संचालित सरकारी स्कूलों का जायजा लेने पर परत दर परत स्कूल की व्यवस्थाओं की कमियां खुलकर सामने आ गई, जिस पर कई बड़े सवाल खड़े होने लगे हैं.

केस -1
स्कूल की जमीन पर हो गया कब्जा, बाउंड्री वॉल भी नहीं

रीठी जनपद कार्यालय से महज 1 किलोमीटर दूर संचालित प्राथमिक शाला करिया पाथर की जमीन पर गांव के एक गुंडे नेता ने अवैध रूप से कब्जा करा लिया है. ये लोग स्कूल की जमीन पर आलीशान मकान बनाकर रह रहे हैं. इसकी जानकारी स्कूल के शिक्षकों ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को सूचना दी है, लेकिन अधिकारी कोई कदम नहीं उठाते हैं. क्योंकि अधिकारियों की मिलीभगत से ही अवैध कब्जा किया गया है.
यहां तक कि स्कूल की बिल्डिंग के सामने ही तालाब देवलिया जलाशय है. वाबजूद इसके इस प्रायमरी स्कूल में शासन द्वारा बाउंड्री वॉल का निर्माण नहीं कराया है. जिससे बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों को भी अनहोनी का खतरा सताता रहता है.

केस -2
रेलवे लाईन के किनारे बना स्कूल, हर पल अनहोनी का अंदेशा

रीठी के ममार भटवा में स्कूल की स्थिति और खराब है. यहां संचालित शासकीय प्राथमिक शाला ममार भटवा रेलवे लाईन के बिल्कुल नजदीक बनी हुई है. इसलिए बच्चों की जान पर हर पल खतरा बना रहता है. शिक्षा विभाग द्वारा नौनिहालों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.
कछारखेड़ा में भी स्कूल के पीछे एक निजी कुआं बना हुआ है. इस कुएं में हमेशा ही पानी भरा रहता है और बरसात के दिनों में यह कुआं पानी से लबालब भर जाता है. इस कूएं के पास स्कूल में अध्यनरत बच्चे खेलते हैं, जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.

केस -3
तालाब की मेढ़ पर स्कूल

बरहटा क्षेत्र का सरकारी स्कूल ममार डेम की मेढ़ पर बना है. यहां पर भी बाउंड्री वॉल नहीं बनाया गया है, जबकि बारिश के दिनों में यह जलाशय पानी से लबालब भर जाता है.
प्रशासन की लापरवाही से बच्चों की जान को हर पल खतरा है. शिक्षा के मंदिर उनके परिवारों के लिए मुसीबतों का सबब बन सकते हैं. ऐसे में प्रशासन ने अगर जल्द ही कुछ नहीं किया तो कोई भी बड़ हादसा हो सकता है.

Intro:प्रशासनिक लापरवाही के चलते फिर खतरे में शिक्षा ग्रहण करेंगे नौनिहालBody:कहीं कुआं तो कहीं रेल्वे लाइन के किनारे स्थित हैं सरकारी स्कूल


सत्ताधारियों पर खुलकर मां सरस्वती के मंदिरों को लूटने के आरोप आम बात हो गये हैं। वहीं प्रशासन भी विद्यालयों की व्यवस्था को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रहा है। समूचे जिले में प्रशासनिक लापरवाही और नाकरापन के चलते जिले के नौनिहालों की जिंदगी पल-पल खतरे के साये में गुजर रही है। नौनिहालों के भविष्य निर्माता और शिक्षा के मंदिर अव्यवस्थाओं के शिकार हैं। कहीं बाउंड्री वॉल नहीं है तो कहीं स्कूल की जमीन पर छुटभैये नेताओं द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया है ।
इस मामले में जब हमारी टीम ने जनपद शिक्षा केंद्र रीठी के सरकारी स्कूलों का निरीक्षण किया तो हमने पाया कि यहां पल पल बच्चों के सिर पर मौत मंडरा रही है। जिम्मेदार अधिकारियों के गैरजिम्मेदाराना रवैये से गम्भीर दुर्घटनाओं को विद्यालय परिसर पर खुला आमंत्रण दिया जा रहा है। शिक्षण सत्र शुरू होते ही एक बार फिर देश के भविष्य कहे जाने वाले नौनिहाल अव्यवस्थाओं और असुरक्षा के बीच खतरे भरे माहौल में शिक्षा के मंदिर में अपना भविष्य संवारने के लिए प्रवेश लेंगे।

गत दिवस हमारी टीम नये शिक्षण सत्र से शुरू होने जा रहे विद्यालयों की व्यवस्थाओं का जाएजा लेने पहुंची तो शिक्षा विभाग के अधिकारियों की कारस्तानी खुलकर सामने आने लगीं। विभाग के लापरवाह अधिकारियों की लापरवाही की परतें खुलकर सामने आ गईं। वहीं प्रशासन द्वारा शिक्षा के नाम पर की जा रही बड़ी-बड़ी बातों की हवा निकलते दिखाई दी। देखा गया कि रीठी विकास खंड अंतर्गत संचालित सरकारी विद्यालय बड़े-बड़े तालाबों के किनारे संचालित हैं तो कुछ कुओं के किनारे हैं। इनमें सबसे ज्यादा हैरानी की बात तब सामने आई जब हमने निरीक्षण में पाया कि कुछ विद्यालय रेल्वे लाईन के किनारे पर बिना बाउंड्री वॉल के संचालित हो रहे हैं। अब सवाल यह उठता है कि यहां निकम्मे प्रशासन को कोई अनहोनी का इंतजार है क्या । तभी तो ऐसे सुविधाविहीन विद्यालयों में व्यवस्थाओं के नाम पर केवल नौनिहालों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है । अब इस पूरे गंभीर मामले पर बात करने को न तो शिक्षा विभाग तैयार है और न ही पंचायतों के अधिकारी । सब एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ने पर लगे हुए हैं ।

जब हमारी टीम ने रीठी विकास खंड के अधीन संचालित सरकारी शासकीय विद्यालयों का जायजा लिया तो स्वत: परत दर परत स्कूल की व्यवस्थाओं की कमियां खुलकर सामने आ गई, जिस पर कई बड़े सवाल खड़े होने लगे है।

केस नंबर -1

स्कूल की जमीन पर हो गया कब्जा, बाउंड्री वॉल भी नहीं

देखा गया कि रीठी जनपद कार्यालय से महज 1 किमी. दूर संचालित प्राथमिक शाला करिया पाथर की जमीन पर ग्राम के ही छुटभैया नेताओं द्वारा शिक्षा विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत कर अवैध रूप से कब्जा करा लिया गया है, लोग विद्यालय की जमीन पर आलीशान मकान बनाकर अपना रहवास कर रहे हैं, बताया गया कि स्कूल की जमीन पर हो रहे अवैध कब्जे की जानकारी विद्यालय के शिक्षकों द्वारा शिक्षा विभाग के स्थानीय अधिकारियों सहित जनपद सीईओ व तहसीलदार को भी दी गई है। लेकिन छुटभैया नेताओं द्वारा अधिकारियों की मिलीभगत से कराये गये इस अवैध कब्जे को अलग कराने न तो विभागीय अधिकारी सामने आ रहे हैं और न ही जनपद व तहसील के जिम्मेदार ।
और तो और सबसे बड़ी समस्या यह सामने आई कि विद्यालय के सामने ही तहसील मुख्यालय का प्रमुख तालाब देवलिया जलाशय है, वाबजूद इसके इस प्रायमरी स्कूल में शासन द्वारा बाउंड्री वॉल का निर्माण नहीं कराया गया, जिससे बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों को भी अनहोनी का खतरा सताता रहता है।

केस -2

रेल्वे लाईन के किनारे बना स्कूल, हर पल अनहोनी का अंदेशा

वहीं जब हमारी टीम रीठी के ममार भटवा पहुंची तो वहां के विद्यालय की स्थिति और भयानक थी। जी हां, यहां संचालित शासकीय प्राथमिक शाला ममार भटवा रेल्वे लाईन के बिल्कुल नजदीक ही है, जहां नौनिहालों के साथ हर पल अनहोनी का खतरा बना रहता है।
कुल मिलाकर शिक्षा विभाग द्वारा नौनिहालो की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है । यहां पर भी बाउंड्री वॉल के निर्माण के लिए विभाग के अधिकारियों की नजरे इनायते नहीं हो सकी हैं।

केस-3

ऐसा ही एक नजारा विकास खंड मुख्यालय से 3किमी दूर स्थित शासकीय प्राथमिक शाला कछारखेड़ा में देखने को मिला , यहां विद्यालय के पीछे ही एक निजी कुआं बना हुआ है। बताया गया कि इस कुए में हमेशा ही पानी भरा रहता है, और वर्षात के दिनों में यह कुआं पानी से लबालब भर जाता है, साथ ही उक्त गहरे कुए के आस-पास ही स्कूल में अध्यनरत बच्चे खेलते हैं, जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है ।

केस 4

तालाब की मेढ़ पर स्कूल

विकास खंड का शासकीय स्कूल प्राथमिक शाला बरहटा क्षेत्र के प्रसिद्ध ममार डेम की मेढ़ पर बना है । यहां पर भी सुरक्षा की दृष्टि से बाउंड्री वॉल नहीं बनाया गया है, जबकि बारिश के दिनों में यह जलाशय भराव लेता है। वाबजूद इसके प्रशासन द्वारा लापरवाही की जा रही है जो निकम्मे प्रशासन व हिटलरशाह जिम्मेदारों पर कई बड़े सवाल खड़े करते हैं।



Conclusion:इनका कहना है :

यह बाउंड्री वाल विहीन स्कूलों का प्रपोजल तैयार कर इंजीनियर को नाप के लिए बोला गया है। स्वीकृति मिलते ही बाउंड्री वाल का निर्माण कराया जायेगा।

विनीत गौतम,
बी. आर. सी. रीठी
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