कटनी। कटनी को बारडोली के नाम से नवाजने वाले बापू यानी महात्मा गांधी ने 2 सितंबर 1933 की रात जिस कमरे में बिताई थी, वो कमरा इन दिनों पानी से सराबोर है. कटनी वासियों के लिए ये कमरा किसी ऐतिहासिक धरोहर से कम नहीं है, लेकिन ये इन दिनों अपनी दुर्दशा पर रो रहा है. हालांकि तिलक राष्ट्रीय स्कूल हरिजन उत्थान विद्यालय के भवन का शिक्षा विभाग और नगर निगम ने करीब दो साल पहले मरम्मत कराई थी, उसके बाद भी वहां के क्या हाल हैं, ये तस्वीरें खुद बयां कर रही हैं. आलम ये है कि स्कूल परिसर और कमरों में घुटनों तक पानी भरा है.
इस स्कूल के आज हालात ये हैं कि इस भवन की दीवारें दरक गई और सड़कों का लगातार पानी कमरों में आ रहा है. जन शिक्षा केंद्र में रखी करीब एक हजार की किताबें और दस्तावेज खराब हो गए हैं. मूसलाधार बारिश ने जिले के आला अधिकारियों की पोल खोल कर रख दी है.
किताब-दस्तावेज हो गए खराब
शहर के तिलक राष्ट्रीय स्कूल हरिजन उत्थान में बने विद्यालय को शिक्षा विभाग और नगर निगम ने करीब दो साल पहले भवन की मरम्मत कराई थी. लेकिन इस मरम्मत के काम को किस स्तर से किया गया, उसकी बानगी के कारण हालात ऐसे हैं कि जन शिक्षा केंद्र में रखी करीब एक हजार किताबें-दस्तावेज खराब हो गए.
शिकायत के बावजूद नहीं हुई कार्रवाई
स्कूल स्टाफ का कहना है कि इसके पहले भी ऐसी बारिश हुई थी जिससे कमरे में पानी घुसा था. जिसकी सूचना नगर निगम और उच्च अधिकारियों को दी गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.
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2 सितंबर 1933 में महात्मा गांधी ने जिस कमरे में विश्राम कर आंदोलन का आगाज किया था उसी कमरे में आज बाढ़ जैसी स्थिति बनी हुई है. इस स्कूल में 800 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं, हालांकि इस बार कोरोना के कारण स्कूल में छात्र नहीं हैं. लेकिन इस बारिश से स्कूली दस्तावेज और छात्रों की मार्कशीट पानी की भेट चढ़ गई है.