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कटनी में महालक्ष्मी त्योहार पर कोरोना का प्रकोप, दुकानदारों को भारी नुकसान की आशंका - कोरोना का असर महालक्ष्मी पूजन पर

पंडितों के अनुसार गुरुवार को महालक्ष्मी पूजा है. घर-घर में यह त्यौहार मनाया जाता है. हालांकि कोरोना के चलते पिछले साल की तुलना में इस बार त्योहार पर मिट्टी के हाथी और सामग्री खरीदने वालों की संख्या में भारी कमी आई है.

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कटनी न्यूज
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Published : Sep 10, 2020, 4:42 PM IST

कटनी। गुरुवार को महालक्ष्मी पूजा घर-घर में होगी. सुहागन महिलाएं महालक्ष्मी का व्रत रखेंगी. कोरोना संक्रमण के कारण मंदिरों में सीमित श्रद्धालुओं की मौजूदगी में पूजा अर्चना की जाएगी. कोरोना का असर महालक्ष्मी पूजन पर भी देखने को मिल रहा है. पिछले साल की तुलना में इस बार मिट्टी के हाथी और सामग्री खरीदने वालों की संख्या में भारी कमी आई है.

महालक्ष्मी त्योहार पर कोरोना का असर

पंडितों के अनुसार यह त्योहार 26 अगस्त, यानी भाद्रपद शुक्ल पक्ष अष्टमी से शुरु हो गया था. जिसका पितृ पक्ष की अष्टमी का समापन होगा. इस व्रत को गजलक्ष्मी कहा जाता है. व्रत के दिन हाथी की पूजा और महालक्ष्मी के साथ गजलक्ष्मी स्वरूप की पूजा की जाती है. गोधूलि बेला में महालक्ष्मी हाथी पूजा महिलाओं द्वारा की जाएगी. महिलाएं सुबह 16 बार पानी अपने ऊपर गढ़वा में डालकर स्नान करती हैं. शाम को 16 प्रकार के पकवान बनाकर महालक्ष्मी जी पूजा और कमल का फूल चढ़ा कर पूजा करेंगी.

कटनी में कोरोना से मंदा हुआ व्यापार

मिट्टी के हाथी बनाकर शहर के मुख्य चौराहों में दुकान सजाए बैठीं महिलाएं कहती हैं कि, इस बार कोरोना संक्रमण के चलते व्यापार भारी मंदी में है. हर साल इस सीजन में मिट्टी के हाथी अच्छे रेट में बिकते थे, जो कि इस बार 50 रूपए में भी नहीं बिक रहे हैं. दूसरी महिला दुकानदार बताती हैं कि, कमल के फूल मंगाकर दुकान लगाई है, लेकिन खरीददार इस बार बहुत कम आ रहे हैं. जिससे भारी नुकसान होने की आशंका बनी हुई है.

इस बार सभी त्योहारों पर कोरोना काल का साया है. इस वजह से पूजन की सामग्री खरीदने ना के बराबर लोग आ रहे हैं. मिट्टी के बने हाथी घोड़ा पालकी सहित कमल के फूल नहीं दिख रहे हैं.

कटनी। गुरुवार को महालक्ष्मी पूजा घर-घर में होगी. सुहागन महिलाएं महालक्ष्मी का व्रत रखेंगी. कोरोना संक्रमण के कारण मंदिरों में सीमित श्रद्धालुओं की मौजूदगी में पूजा अर्चना की जाएगी. कोरोना का असर महालक्ष्मी पूजन पर भी देखने को मिल रहा है. पिछले साल की तुलना में इस बार मिट्टी के हाथी और सामग्री खरीदने वालों की संख्या में भारी कमी आई है.

महालक्ष्मी त्योहार पर कोरोना का असर

पंडितों के अनुसार यह त्योहार 26 अगस्त, यानी भाद्रपद शुक्ल पक्ष अष्टमी से शुरु हो गया था. जिसका पितृ पक्ष की अष्टमी का समापन होगा. इस व्रत को गजलक्ष्मी कहा जाता है. व्रत के दिन हाथी की पूजा और महालक्ष्मी के साथ गजलक्ष्मी स्वरूप की पूजा की जाती है. गोधूलि बेला में महालक्ष्मी हाथी पूजा महिलाओं द्वारा की जाएगी. महिलाएं सुबह 16 बार पानी अपने ऊपर गढ़वा में डालकर स्नान करती हैं. शाम को 16 प्रकार के पकवान बनाकर महालक्ष्मी जी पूजा और कमल का फूल चढ़ा कर पूजा करेंगी.

कटनी में कोरोना से मंदा हुआ व्यापार

मिट्टी के हाथी बनाकर शहर के मुख्य चौराहों में दुकान सजाए बैठीं महिलाएं कहती हैं कि, इस बार कोरोना संक्रमण के चलते व्यापार भारी मंदी में है. हर साल इस सीजन में मिट्टी के हाथी अच्छे रेट में बिकते थे, जो कि इस बार 50 रूपए में भी नहीं बिक रहे हैं. दूसरी महिला दुकानदार बताती हैं कि, कमल के फूल मंगाकर दुकान लगाई है, लेकिन खरीददार इस बार बहुत कम आ रहे हैं. जिससे भारी नुकसान होने की आशंका बनी हुई है.

इस बार सभी त्योहारों पर कोरोना काल का साया है. इस वजह से पूजन की सामग्री खरीदने ना के बराबर लोग आ रहे हैं. मिट्टी के बने हाथी घोड़ा पालकी सहित कमल के फूल नहीं दिख रहे हैं.

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