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सत्र खत्म होने के बाद स्कूल प्रबंधन ने छात्रों को बांटी आधी-अधूरी ड्रेस, विधायक की जांच की मांग

झाबुआ में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल में गड़बड़ी का मामला सामने आया. जहां अधिकारियों की लापरवाही के चलते सत्र खत्म होने के बाद छात्रों को ड्रेस बांटी गई वो भी आधी-अधूरी. लिहाजा विधायक ने पत्र लिखकर जांच की मांग की है

शासकीय माध्यमिक स्कूल झाबुआ
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Published : Mar 30, 2019, 6:32 PM IST

झाबुआ। स्कूलों में सरकारी पैसे का किस तरह बंदरबांट होता है, इसका एक नमूना शिक्षा विभाग में सामने आया है. जहां जिले के प्राथमिक और माध्यमिक सरकारी स्कूलों के छात्रों को सरकार द्वारा 2 जोड़ी स्कूल ड्रेस शैक्षणिक सत्र में दिया जाना था, लेकिन प्रबंधन ने सत्र खत्म होने के बाद छात्रों को आधी अधूरी ड्रेस बांटी है. वहीं विधायक ने पत्र लिखकर कलेक्टर से जांच की मांग की है.

जिले के प्राथमिक और माध्यमिक सरकारी स्कूलों के छात्रों को सरकार द्वारा 2 जोड़ी स्कूल ड्रेस शैक्षणिक सत्र में दिया जाना था. स्कूल के एक लाख 79 हजार 813 छात्र-छात्राओं को तीन लाख 59 हजार 626 ड्रेस शैक्षणिक सत्र के शुरूआत में दिया जाना था. जिसके लिए के प्रति छात्र 600 रुपए का बजट ग्रामीण आजीविका मिशन को दिया गया. लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के चलते स्कूल का पूरा सत्र बीतने के बाद भी बच्चों को आधी अधूरी ड्रेस दी गई.

झाबुआ स्कूल में नहीं बांटी गई स्कूल ड्रेस


राज्य शासन द्वारा ड्रेस लिए 10 करोड़ 78,86,800 रूपए का बजट ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से समूह को वितरित होना है. हैरानी की बात यह है कि जिन 194 समूह के माध्यम से इन गणवेश हो को तैयार किया जाना है, उसमें आधे से ज्यादा समूह के पास ना तो खुद की सिलाई मशीनें है और ना ही संसाधन है.बताया जा रहा है कि समूह की आड़ में सप्लायरों के माध्यम से ग्रामीण आजीविका मिशन के अधिकारियों और सर्व शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों ने गणवेश की सप्लाई की है. वहीं स्थानीय विधायक ने कलेक्टर को पत्र लिखकर मामले की जांच करने की बात कही है. गड़बड़ियां सामने आने पर विधायक ने विधानसभा में भी मामला उठाने की बात कही है.

झाबुआ। स्कूलों में सरकारी पैसे का किस तरह बंदरबांट होता है, इसका एक नमूना शिक्षा विभाग में सामने आया है. जहां जिले के प्राथमिक और माध्यमिक सरकारी स्कूलों के छात्रों को सरकार द्वारा 2 जोड़ी स्कूल ड्रेस शैक्षणिक सत्र में दिया जाना था, लेकिन प्रबंधन ने सत्र खत्म होने के बाद छात्रों को आधी अधूरी ड्रेस बांटी है. वहीं विधायक ने पत्र लिखकर कलेक्टर से जांच की मांग की है.

जिले के प्राथमिक और माध्यमिक सरकारी स्कूलों के छात्रों को सरकार द्वारा 2 जोड़ी स्कूल ड्रेस शैक्षणिक सत्र में दिया जाना था. स्कूल के एक लाख 79 हजार 813 छात्र-छात्राओं को तीन लाख 59 हजार 626 ड्रेस शैक्षणिक सत्र के शुरूआत में दिया जाना था. जिसके लिए के प्रति छात्र 600 रुपए का बजट ग्रामीण आजीविका मिशन को दिया गया. लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के चलते स्कूल का पूरा सत्र बीतने के बाद भी बच्चों को आधी अधूरी ड्रेस दी गई.

झाबुआ स्कूल में नहीं बांटी गई स्कूल ड्रेस


राज्य शासन द्वारा ड्रेस लिए 10 करोड़ 78,86,800 रूपए का बजट ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से समूह को वितरित होना है. हैरानी की बात यह है कि जिन 194 समूह के माध्यम से इन गणवेश हो को तैयार किया जाना है, उसमें आधे से ज्यादा समूह के पास ना तो खुद की सिलाई मशीनें है और ना ही संसाधन है.बताया जा रहा है कि समूह की आड़ में सप्लायरों के माध्यम से ग्रामीण आजीविका मिशन के अधिकारियों और सर्व शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों ने गणवेश की सप्लाई की है. वहीं स्थानीय विधायक ने कलेक्टर को पत्र लिखकर मामले की जांच करने की बात कही है. गड़बड़ियां सामने आने पर विधायक ने विधानसभा में भी मामला उठाने की बात कही है.

Intro:झाबुआ आदिवासी बहुल जिले में सरकारी धन की किस तरह बंदरबांट होती है इसका नायाब नमूना सर्व शिक्षा विभाग में सामने आया है ।जिले के प्राथमिक और माध्यमिक सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को सरकार द्वारा 2 जोड़ी स्कूल ड्रेस शैक्षणिक सत्र में दिया जाना था जिसके लिए के प्रति विद्यार्थी ₹600 का बजट ग्रामीण आजीविका मिशन को दिया गया। स्कूलों में गणवेश वितरण का जिम्मा पालक शिक्षक संघ की बजाय महिला स्वयं सहायता समूहों को दिया गया। इस मामले को लेकर स्थानीय विधायक ने कलेक्टर को पत्र लिखकर मामले की जांच करने की बात कही है वही गड़बड़ियां सामने आने पर विधानसभा में भी मामला उठाने की बात कही है।


Body:जिले के 1,79,813 छात्र -छात्राओं को 3,59,626 गणवेश शैक्षणिक सत्र के प्रारंभ में वितरित होना था किंतु आदिवासी बहुल झाबुआ में अधिकारियों की लापरवाही के चलते स्कूलों का पूरा सत्र बीतने के बाद भी यह पढ़ने वाले बच्चों को आधी अधूरी गणवेश दी गई । राज्य शासन द्वारा गणवेश के लिए ₹10,78,86,800 का बजट ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से समूह को वितरित होना है । दिए गए गणवेश में ना तो गुणवत्ता का ध्यान रखा गया और ना ही समय का लिहाजा बच्चों के लिए यह गणवेश शैक्षणिक सत्र में कोई काम ना सकी।


Conclusion:हैरानी की बात यह है कि जिन 194 समूह के माध्यम से इन गणवेश हो को तैयार किया जाना बताया जा रहा है उनमें से आधे से ज्यादा समूह के पास ना तो खुद की सिलाई मशीनें है और ना ही संसाधन । गणवेश के कपड़े की गुणवत्ता के साथ- साथ कई तरह की तकनीकीया भी कई समूह में देखी गई । जिन महिला स्वयं सहायता समूह की महिलाओं से स्कूली बच्चो की गणवेश बनाया जाना बताया जा रहा है उनमें से कइयों को सिलाई ही नही आती और ना उनकी पास बच्चों की गणवेश की कोई नाप थी। बिना तकनीकी जानकारी के बावजूद महिला स्वयं सहायता समूह को करोड़ों का काम दिया गया बताया जा रहा है कि समूह की आड़ में सप्लायरों के माध्यम से ग्रामीण आजीविका मिशन के अधिकारियों और सर्व शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों ने गणवेश की सप्लाई की।
बाइट: विकास राय , जिला परियोजना अधिकारी झाबुआ
बाइट: गुमानसिंह डामोर, विधायक झाबुआ
बाइट: निकेश , छात्र
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