झाबुआ। स्कूलों में सरकारी पैसे का किस तरह बंदरबांट होता है, इसका एक नमूना शिक्षा विभाग में सामने आया है. जहां जिले के प्राथमिक और माध्यमिक सरकारी स्कूलों के छात्रों को सरकार द्वारा 2 जोड़ी स्कूल ड्रेस शैक्षणिक सत्र में दिया जाना था, लेकिन प्रबंधन ने सत्र खत्म होने के बाद छात्रों को आधी अधूरी ड्रेस बांटी है. वहीं विधायक ने पत्र लिखकर कलेक्टर से जांच की मांग की है.
जिले के प्राथमिक और माध्यमिक सरकारी स्कूलों के छात्रों को सरकार द्वारा 2 जोड़ी स्कूल ड्रेस शैक्षणिक सत्र में दिया जाना था. स्कूल के एक लाख 79 हजार 813 छात्र-छात्राओं को तीन लाख 59 हजार 626 ड्रेस शैक्षणिक सत्र के शुरूआत में दिया जाना था. जिसके लिए के प्रति छात्र 600 रुपए का बजट ग्रामीण आजीविका मिशन को दिया गया. लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के चलते स्कूल का पूरा सत्र बीतने के बाद भी बच्चों को आधी अधूरी ड्रेस दी गई.
राज्य शासन द्वारा ड्रेस लिए 10 करोड़ 78,86,800 रूपए का बजट ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से समूह को वितरित होना है. हैरानी की बात यह है कि जिन 194 समूह के माध्यम से इन गणवेश हो को तैयार किया जाना है, उसमें आधे से ज्यादा समूह के पास ना तो खुद की सिलाई मशीनें है और ना ही संसाधन है.बताया जा रहा है कि समूह की आड़ में सप्लायरों के माध्यम से ग्रामीण आजीविका मिशन के अधिकारियों और सर्व शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों ने गणवेश की सप्लाई की है. वहीं स्थानीय विधायक ने कलेक्टर को पत्र लिखकर मामले की जांच करने की बात कही है. गड़बड़ियां सामने आने पर विधायक ने विधानसभा में भी मामला उठाने की बात कही है.