झाबुआ। झाबुआ विधानसभा उपचुनाव को लेकर दोनों ही राजनीतिक दल बीजेपी-कांग्रेस के नेता अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं. झाबुआ उपचुनाव में बुनियादी मुद्दों से इतर भारत-पाकिस्तान, परिवारवाद, वंशवाद जैसे मुद्दे हावी होते जा रहे हैं. एक ओर जहां भाजपा, कांग्रेस से बीते 40 सालों का हिसाब मांग रही है, कांग्रेस ने प्रदेश में बीजेपी से 15 साल का हिसाब मांगा है.
झाबुआ में होने वाले विधानसभा उपचुनाव मध्य प्रदेश की आगामी सरकार की तस्वीर को साफ करेंगे. बीजेपी नेता झाबुआ विधानसभा उपचुनाव सीट पर जीत के बाद कमलनाथ सरकार को गिराने के दावे कर रहे हैं. चाहे वह नेताप्रतिपक्ष गोपाल भार्गव हों या फिर कैलाश विजयवर्गीय. इन नेताओं ने झाबुआ में आकर सरकार गिराने की बात कही है. जिसे कांग्रेस मुंगेरीलाल के हसीन सपने बता रही है. जनता ने भी ईटीवी भारत के साथ उपचुनाव पर अपना मत रखा है.
दरअसल, झाबुआ विधानसभा सीट पर प्रचार प्रसार के लिए एक और कांग्रेस के एक दर्जन से ज्यादा कैबिनेट मंत्री झाबुआ में डेरा डाले हुए हैं. अलग-अलग सेक्टर पर मंत्रियों की और विधायकों की ड्यूटी लगाई गई है. इधर भारतीय जनता पार्टी के दो हजार से अधिक कार्यकर्ता पूरे मध्यप्रदेश से झाबुआ में डेरा डाले हुए हैं. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि उपचुनाव कांग्रेस के कद्दावर नेता कांतिलाल भूरिया के राजनीतिक जीवन का यह आखिरी चुनाव साबित होगा हो सकता है.