झाबुआ। कोरोना का डर श्राद्ध पक्ष पर भी भारी पड़ रहा है. बिना लक्षण वाले कोरोना रोगियों की वजह से पंडित भी अब श्राद्ध भोज का निमंत्रण लेने से कतरा रहे हैं. इस कारण यजमानों को पंडित तलाशने में खासी परेशानी हो रही है. ब्राह्मण बुलावे के बावजूद भी यजमानों के यहां भोजन करने नहीं जा रहे, उन्हें डर है कि इस दौरान कहीं वे संक्रमण की चपेट में ना आ जाएं. कई परिवार ब्राह्मण की उपलब्धता ना होने पर छोटे-छोटे बच्चों को भोजन कराकर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर रहे हैं.
कोरोना संकट के चलते इन दिनों ब्राह्मणों को सीधा दान दिया जा रहा है. ताकि वे अपने घर पर ही दाल, चावल, आटा का उपयोग कर अपने लिए भोजन पका सकें. श्राद्ध में कौवे को भी खीर-पूड़ी खिलाने की मान्यता है. एक और कोरोना के चलते ब्राह्मण भोज के लिए नहीं आ रहे हैं तो दूसरी और पर्यावरण में हो रहे बदलाव के चलते कौवे भी दिखाई नहीं दे रहे हैं. जिसके चलते छतों पर उनके लिए रखी जाने वाली खीर-पूड़ी भी अन्य पक्षी खा रहे हैं.
मान्यता ये भी है कि श्राद्ध में गौ सेवा और ब्राह्मण सेवा से को पुण्य कार्य माना जाता है माना जाता है कि इनकी सेवा करने से दिवंगत आत्माओं को शांति मिलती है.