झाबुआ। मध्यप्रदेश का 67वां स्थापना दिवस आज 1 नवंबर को मनाया जा रहा है. तब से लेकर अब तक पश्चिमी मध्यप्रदेश के आदिवासी अंचल में बहुत कुछ बदला है. इन 66 सालों में पगडंडियों की जगह पक्की सड़क ने ले ली है. झोपड़ी के स्थान पर पक्के मकान नजर आने लगे हैं. हालांकि स्थनीय स्तर पर रोजगार की उपलब्धता करवाने में शासन-प्रशासन उतना सफल नहीं हो सका, जिसका उदाहरण यहां से हर साल हजारों की तादाद में ग्रामीणों के पलायन के रूप में सामने है. कई ग्रामीणों का कहना है कि यहां कुछ बदलाव नहीं हुआ है. प्रदेश के स्थापना से लेकर अब तक इस आदिवासी अंचल में कितना बदलाव आया है इसके लिए ईटीवी भारत ग्राउंड रिपोर्ट जानने के लिए एक गांव में गया, जहां पर पूरे हालात देखे और ग्रामीणों से बात की. (MP 67th Foundation Day)
पगडंडी से बना सड़क: जिला मुख्यालय से ही लगा हुआ गांव है डूंगरा. अनास नदी का पुल इस गांव को जिला मुख्यालय से जोड़ता है. जब ईटीवी भारत गांव में पहुंचा तो एक महिला अपने घर के आंगन में मक्का की फसल की सफाई करने में लगी थी. यहां परिवार की बुजुर्ग जेलबाई से जब पूछा गया कि, गांव में अब तक कितना बदलाव आया है तो उन्होंने कहा सड़क बन चुकी है. मकान भी पक्के हो गए हैं, बस अभी सिंचाई के लिए पर्याप्त बिजली नहीं मिल पा रही है, जिससे दिक्कतें आ रही है. जब ईटीवी भारत सड़कों पर आगे बढ़ा तो गांव में दिवाली के त्योहार पर आए प्रेम सिंह मचार से मुलाकात हुई. उन्होंने कहा पहले के झाबुआ में और अब के झाबुआ में बहुत ज्यादा अंतर आ गया है. गांव में पहले जहां पगडंडी हुआ करती थी, वहां अब पक्की सड़क बन चुकी है. इससे आवागमन आसान हो गया है. गेहूं की फसल अब यहीं होने लगी है, नहीं तो कुछ सालों पहले सिर्फ मक्का की फसल ही हुआ करती थी.
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गांव में नहीं हुआ कुछ बदलाव: झाबुआ जनपद पंचायत की उपाध्यक्ष शीला भूरिया कहतीं हैं, मध्य प्रदेश की स्थापना से लेकर अब तक ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ भी बदलाव नहीं आया है. शासन की योजनाओं का पूरा लाभ पात्र लोगों को नहीं मिल पा रहा है. 66 सालों में भी बिजली और पानी की समस्या बरकरार है. यहां की स्थिति से लोग हताश हैं. शासकीय अमला ध्यान नहीं देता. इस दिशा में शासन-प्रशासन को बहुत ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. (67th Foundation Day of Madhya Pradesh)
1948 को झाबुआ रियासत का भारतीय संघ में विलय: आपको जानकर ये आश्चर्य होगा कि 1 नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश के गठन से पहले ही झाबुआ जिला अस्तित्व में आ गया था. इतिहासविद डॉक्टर के.के त्रिवेदी के अनुसार 15 अगस्त 1947 को देश आजाद होने के बाद से 28 मई 1948 तक झाबुआ रियासत के भारतीय संघ में विलय होने तक झाबुआ में लोकप्रिय शासन रहा. इसमें प्रधानमंत्री पंडित रघुनंदन शरण शर्मा थे, जबकि मंत्री हजारीलाल जैन और कुसुमकांत जैन को बनाया गया. 28 मई 1948 को झाबुआ रियासत का भारतीय संघ में विलय होने के बाद झाबुआ को मध्य भारत का जिला घोषित किया गया. उस वक्त झाबुआ जिले में झाबुआ के साथ अलीराजपुर, जोबट मथुरा और कट्ठीवाड़ा रियासत के अलावा पेटलावद को शामिल किया गया था. जब 1 नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश का गठन हुआ तब भी झाबुआ जिले को यथावत ही रखा गया. (MP Foundation Day) (1 november MP Sthapana Diwas) (MP 67th Foundation Day)