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झाबुआ के चुनावी प्रचार में हुई भीली भाषा की एंट्री, प्रत्याशियों के बीच असली-नकली आदिवासी को लेकर होड़

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 5, 2023, 4:47 PM IST

Updated : Nov 5, 2023, 4:53 PM IST

एमपी के झाबुआ में चुनाव प्रचार में इन दिनों भीली भाषा की एंट्री हो गई है. एक तरफ बीजेपी प्रत्याशी भानू भूरिया भीली भाषा में जनता से संवाद कर विक्रांत भूरिया पर निशाना साथ रहे हैं. तो वहीं विक्रांत भूरिया भी अपने भाषणों में अपने भाषण के बीच-बीच में भीली भाषा के शब्द बोल रहे हैं.

MP Election 2023
बीजेपी और कांग्रेस प्रत्याशी का चुनाव प्रचार
चुनावी प्रचार में हुई भीली भाषा की एंट्री

झाबुआ। पश्चिमी एमपी के आदिवासी अंचल की झाबुआ विधानसभा में असली-नकली आदिवासी के बयान से गरमाई सियासत के बीच अब भीली भाषा की एंट्री हो गई है. एक तरफ जहां भाजपा प्रत्याशी भानू भूरिया अपनी चुनावी सभा से लेकर ग्रामीणों से संवाद करने के लिए भीली भाषा का ही प्रयोग कर रहे हैं, तो वहीं युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व कांग्रेस उम्मीदवार डॉ विक्रांत भूरिया भी अपने भाषण के दौरान बीच-बीच में भीली भाषा के शब्दों का उपयोग कर रहे हैं.

चुनावी प्रचार में भीली भाषा की एंट्री: दरअसल, झाबुआ जिले में भीली भाषा में संवाद करना कोई अनोखी बात नहीं है. यहां के अधिकांश शहरी लोग भी ग्रामीणों से भीली भाषा में ही संवाद करते हैं, क्योंकि सामाजिक दृष्टिकोण से इससे एक-दूसरे के प्रति अपनापन महसूस होता है. अब विधानसभा चुनाव के दौरान झाबुआ की सियासत में भीली भाषा की एकाएक एंट्री 30 अक्टूबर के बाद तब हुई, जब भाजपा की चुनावी सभा में असली-नकली आदिवासी का मुद्दा उठा. अब इन्हीं आरोप-प्रत्यारोप के बीच भीली भाषा भी चुनावी मुद्दा बन गई है.

यूं जानिए झाबुआ की सियासत में भीली भाषा का इफैक्ट:

भीली भाषा में विक्रांत पर भानू का हमला: भाजपा प्रत्याशी भानू भूरिया ग्रामीणों से संवाद करने या फिर जनसभा में भीली भाषा का ही उपयोग कर रहे हैं. वे कांग्रेस उम्मीदवार डॉ विक्रांत भूरिया पर निशाना साधते हुए कहते हैं-यदि विक्रांत असली आदिवासी हैं, तो यहां आकर मेरे साथ आदिवासी भाषा में बात करके दिखाएं. खेत में आकर मेरे साथ हल चलाकर बताएं. कहीं पहाड़ी पर चलकर मेरे साथ गोफन से पत्थर फेंककर बताए कि कौन आदिवासी है. मैं विक्रांत से कहता हूं कि 25 हाथ की पगड़ी लेकर आए, मैं एक मिनट में बांधकर बताता हूं कि मैं भील का बेटा हूं. भानू कहते हैं-विक्रांत को भीलों के रीति रिवाज नहीं मालूम. उन्हें ये नहीं पता कि भीलों में किस तरह से विवाह होते हैं, किस तरह मामेरा होता है और किस तरह से नौतरा पड़ता है और कहते हैं कि मैं आदिवासियों की सेवा करने आया हूं.

यहां पढ़ें...

MP Election 2023
प्रचार करते विक्रांत भूरिया

विक्रांत भी प्रचार में कर रहे भीली भाषा का उपयोग: कांग्रेस उम्मीदवार डॉ विक्रांत भूरिया खाटाला चौपाल के दौरान ग्रामीणों से संवाद की शुरूआत बदा भाइयों ने राम-राम कहते हुए करते हैं. वे भीली भाषा में ही कहते हैं-हमू पक्का आदिवासी. अपने भाषण के दौरान वे बीच-बीच में भीली भाषा के शब्दों का उपयोग करते हुए कहते हैं- अब अपना मोटो चुनाव आवी गया है. भोपाल ती सरकार को चुनाव. यो सबसे मोटो चुनाव से, बाकी सब नाना चुनाव से. इसमें सरकार अपनी बनी री. वे भाजपा के भानू भूरिया के आरोपों का जवाब देते हुए भीली भाषा में ही कहते हैं-भानू ये किदो-भाटा मारवा वालों असल आदिवासी है, अब मैं पूछूं कि असल आदमी छे कि बदमाश आदमी छे. इसके बाद डॉ विक्रांत हिन्दी में कहते हैं-भानू भूरिया हर आदिवासी के हाथ में गोफन थमाना चाहता है और हम हर आदिवासी के हाथ में रोजगार देना चाहते हैं. ये अंतर है. गोफन चला चलाकर वो लोगों को लड़वा रहे हैं और गुंडे यही तो करते हैं. वो बदमाश लोग हैं और ये साबित खुद ने कर दिया. मुझे इसका जवाब देनें की जरुरत ही नहीं.

चुनावी प्रचार में हुई भीली भाषा की एंट्री

झाबुआ। पश्चिमी एमपी के आदिवासी अंचल की झाबुआ विधानसभा में असली-नकली आदिवासी के बयान से गरमाई सियासत के बीच अब भीली भाषा की एंट्री हो गई है. एक तरफ जहां भाजपा प्रत्याशी भानू भूरिया अपनी चुनावी सभा से लेकर ग्रामीणों से संवाद करने के लिए भीली भाषा का ही प्रयोग कर रहे हैं, तो वहीं युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व कांग्रेस उम्मीदवार डॉ विक्रांत भूरिया भी अपने भाषण के दौरान बीच-बीच में भीली भाषा के शब्दों का उपयोग कर रहे हैं.

चुनावी प्रचार में भीली भाषा की एंट्री: दरअसल, झाबुआ जिले में भीली भाषा में संवाद करना कोई अनोखी बात नहीं है. यहां के अधिकांश शहरी लोग भी ग्रामीणों से भीली भाषा में ही संवाद करते हैं, क्योंकि सामाजिक दृष्टिकोण से इससे एक-दूसरे के प्रति अपनापन महसूस होता है. अब विधानसभा चुनाव के दौरान झाबुआ की सियासत में भीली भाषा की एकाएक एंट्री 30 अक्टूबर के बाद तब हुई, जब भाजपा की चुनावी सभा में असली-नकली आदिवासी का मुद्दा उठा. अब इन्हीं आरोप-प्रत्यारोप के बीच भीली भाषा भी चुनावी मुद्दा बन गई है.

यूं जानिए झाबुआ की सियासत में भीली भाषा का इफैक्ट:

भीली भाषा में विक्रांत पर भानू का हमला: भाजपा प्रत्याशी भानू भूरिया ग्रामीणों से संवाद करने या फिर जनसभा में भीली भाषा का ही उपयोग कर रहे हैं. वे कांग्रेस उम्मीदवार डॉ विक्रांत भूरिया पर निशाना साधते हुए कहते हैं-यदि विक्रांत असली आदिवासी हैं, तो यहां आकर मेरे साथ आदिवासी भाषा में बात करके दिखाएं. खेत में आकर मेरे साथ हल चलाकर बताएं. कहीं पहाड़ी पर चलकर मेरे साथ गोफन से पत्थर फेंककर बताए कि कौन आदिवासी है. मैं विक्रांत से कहता हूं कि 25 हाथ की पगड़ी लेकर आए, मैं एक मिनट में बांधकर बताता हूं कि मैं भील का बेटा हूं. भानू कहते हैं-विक्रांत को भीलों के रीति रिवाज नहीं मालूम. उन्हें ये नहीं पता कि भीलों में किस तरह से विवाह होते हैं, किस तरह मामेरा होता है और किस तरह से नौतरा पड़ता है और कहते हैं कि मैं आदिवासियों की सेवा करने आया हूं.

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प्रचार करते विक्रांत भूरिया

विक्रांत भी प्रचार में कर रहे भीली भाषा का उपयोग: कांग्रेस उम्मीदवार डॉ विक्रांत भूरिया खाटाला चौपाल के दौरान ग्रामीणों से संवाद की शुरूआत बदा भाइयों ने राम-राम कहते हुए करते हैं. वे भीली भाषा में ही कहते हैं-हमू पक्का आदिवासी. अपने भाषण के दौरान वे बीच-बीच में भीली भाषा के शब्दों का उपयोग करते हुए कहते हैं- अब अपना मोटो चुनाव आवी गया है. भोपाल ती सरकार को चुनाव. यो सबसे मोटो चुनाव से, बाकी सब नाना चुनाव से. इसमें सरकार अपनी बनी री. वे भाजपा के भानू भूरिया के आरोपों का जवाब देते हुए भीली भाषा में ही कहते हैं-भानू ये किदो-भाटा मारवा वालों असल आदिवासी है, अब मैं पूछूं कि असल आदमी छे कि बदमाश आदमी छे. इसके बाद डॉ विक्रांत हिन्दी में कहते हैं-भानू भूरिया हर आदिवासी के हाथ में गोफन थमाना चाहता है और हम हर आदिवासी के हाथ में रोजगार देना चाहते हैं. ये अंतर है. गोफन चला चलाकर वो लोगों को लड़वा रहे हैं और गुंडे यही तो करते हैं. वो बदमाश लोग हैं और ये साबित खुद ने कर दिया. मुझे इसका जवाब देनें की जरुरत ही नहीं.

Last Updated : Nov 5, 2023, 4:53 PM IST

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