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कारसेवक वीरसिंह भूरिया भी गए थे जेल, उमा भारती की टोली के थे सदस्य

झाबुआ के कारसेवक वीरसिंह भूरिया ने बताया कि एक समय ऐसा आया था कि अयोध्या में बहने वाली सरयू नदी का पानी कारसेवकों के रक्त से लाल हो गया था...

Karsevak Veer Singh Bhuria from jhabua went to jail in Ram temple movement
कारसेवक वीरसिंह भूरिया
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Published : Aug 2, 2020, 9:40 PM IST

झाबुआ। पांच अगस्त को राम जन्मभूमि अयोध्या में हो रहे रामलला मंदिर निर्माण के शिलान्यास को लेकर कारसेवक उत्साहित दिख रहे हैं, सन 1990 और 1992 कारसेवा के लिए आदिवासी बहुल झाबुआ जिले से सैकड़ों कारसेवकों का जत्था अयोध्या पहुंचा था. 50 सदस्यीय जत्थे में झाबुआ जिले के ग्राम गुंदीपाड़ा के वीर सिंह भूरिया भी सम्मिलित थे. कारसेवकों द्वारा किए गए संघर्ष की दास्तां खुद कारसेवक ने ईटीवी भारत से साझा की. कारसेवक वीरसिंह भूरिया ने बताता कि एक समय ऐसा आया था कि अयोध्या में बहने वाली सरयू नदी का पानी कारसेवकों के रक्त से लाल हो गया था.

कारसेवक वीरसिंह भूरिया भी गए थे जेल

कई घटनाएं जिन्हें सुन रूह कांप जाए
राम मंदिर निर्माण में विश्व हिंदू परिषद के अशोक सिंघल, साध्वी ऋतंभरा, उमा भारती और जैन संत जितेंद्र जी की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही. इनके ओजस्वी व्याख्यानों की बदौलत कारसेवकों में उत्साह का संचार होता रहा. राम मंदिर के लिए जितनी लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी गई उतनी ही लंबी और संघर्ष पूर्ण कहानी कारसेवकों की भी है. उत्तरप्रदेश की तत्कालीन पुलिस की बर्बरता और भोजन में जहर मिलाने जैसी कई घटनाओं और किस्सों को गुंदीपाड़ा के वीरसिंह भूरिया ने ईटीवी भारत से साझा किया है.

यूपी पुलिस ने गिरफ्तार कर जंगल में छोड़ दिया था
रामलला के मंदिर निर्माण के लिए कारसेवकों के संघर्ष को कभी भुलाया नहीं जा सकता और अब वो घड़ी आ चुकी है जब राम मंदिर की नीव रखी जा रही है. इस अवसर पर कारसेवकों में अपार उत्साह और खुशी है. इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह अपनी खुशी का इजहार शब्दों में नहीं कर पा रहे हैं. वीरसिंह भूरिया ने बताया कि सैकड़ों कारसेवकों के साथ वे झाबुआ से इंदौर होते हुए उत्तर प्रदेश की सीमा तक पहुंचे थे. सतना और चित्रकूट होते हुए उत्तर प्रदेश में प्रवेश के लिए बॉर्डर तक पहुंचे लेकिन तात्कालीन यूपी की सरकार ने उन्हें और उनके जत्थे में शामिल कारसेवकों को गिरफ्तार कर जंगल में छोड़ दिया.

उमा भारती के साथ तीन दिनों तक जेल में रहे
झाबुआ से निकले कारसेवक विश्व हिंदू परिषद के बैनर तले रामलला के भव्य मंदिर निर्माण के संकल्प के साथ रवाना हुये थे. भूरिया जिन 50 कारसेवकों के साथ उत्तर प्रदेश की सीमा तक पहुंचे थे, उनके साथ उत्तर प्रदेश की पुलिस ने खूब बर्बरता की और मध्यप्रदेश में छोड़ दिया. इस दौरान वीरसिंह भूरिया के जत्थे को मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और राज माता सिंधिया का भी साथ मिला. उमा भारती और झाबुआ के कारसेवकों को उत्तर प्रदेश के बांदा में तीन दिनों तक बंदी बनाकर जेल में रखा गया. इस दौरान वे राम नाम का जाप, भजन कीर्तन के साथ भव्य मंदिर निर्माण के लिए भजन करते रहे.

लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा कारसेवकों की प्रेरणा
अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर निर्माण में भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी की भूमिका से भी इनकार नहीं किया जा सकता. लालकृष्ण आडवाणी ने राम जन्मभूमि पर मंदिर बनाने के लिए गुजरात के सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली थी. इस रथयात्रा से प्रभावित होकर लाखों कारसेवक अयोध्या पहुंचे और आखिरकार मस्जिद के कथित ढांचे को ढहा दिया गया था. राम मंदिर निर्माण की परिकल्पना को विश्व हिंदू परिषद और हिंदू संगठनों ने हजारों कार्यकर्ताओं ने अपने रक्त से पूरा किया. इसके लिए लंबी कानूनी लड़ाई भी लड़ी गई ,जिसका सुखद परिणाम है कि आगामी 5 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी राम मंदिर निर्माण के लिए शिला पूजन करेंगे.

झाबुआ। पांच अगस्त को राम जन्मभूमि अयोध्या में हो रहे रामलला मंदिर निर्माण के शिलान्यास को लेकर कारसेवक उत्साहित दिख रहे हैं, सन 1990 और 1992 कारसेवा के लिए आदिवासी बहुल झाबुआ जिले से सैकड़ों कारसेवकों का जत्था अयोध्या पहुंचा था. 50 सदस्यीय जत्थे में झाबुआ जिले के ग्राम गुंदीपाड़ा के वीर सिंह भूरिया भी सम्मिलित थे. कारसेवकों द्वारा किए गए संघर्ष की दास्तां खुद कारसेवक ने ईटीवी भारत से साझा की. कारसेवक वीरसिंह भूरिया ने बताता कि एक समय ऐसा आया था कि अयोध्या में बहने वाली सरयू नदी का पानी कारसेवकों के रक्त से लाल हो गया था.

कारसेवक वीरसिंह भूरिया भी गए थे जेल

कई घटनाएं जिन्हें सुन रूह कांप जाए
राम मंदिर निर्माण में विश्व हिंदू परिषद के अशोक सिंघल, साध्वी ऋतंभरा, उमा भारती और जैन संत जितेंद्र जी की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही. इनके ओजस्वी व्याख्यानों की बदौलत कारसेवकों में उत्साह का संचार होता रहा. राम मंदिर के लिए जितनी लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी गई उतनी ही लंबी और संघर्ष पूर्ण कहानी कारसेवकों की भी है. उत्तरप्रदेश की तत्कालीन पुलिस की बर्बरता और भोजन में जहर मिलाने जैसी कई घटनाओं और किस्सों को गुंदीपाड़ा के वीरसिंह भूरिया ने ईटीवी भारत से साझा किया है.

यूपी पुलिस ने गिरफ्तार कर जंगल में छोड़ दिया था
रामलला के मंदिर निर्माण के लिए कारसेवकों के संघर्ष को कभी भुलाया नहीं जा सकता और अब वो घड़ी आ चुकी है जब राम मंदिर की नीव रखी जा रही है. इस अवसर पर कारसेवकों में अपार उत्साह और खुशी है. इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह अपनी खुशी का इजहार शब्दों में नहीं कर पा रहे हैं. वीरसिंह भूरिया ने बताया कि सैकड़ों कारसेवकों के साथ वे झाबुआ से इंदौर होते हुए उत्तर प्रदेश की सीमा तक पहुंचे थे. सतना और चित्रकूट होते हुए उत्तर प्रदेश में प्रवेश के लिए बॉर्डर तक पहुंचे लेकिन तात्कालीन यूपी की सरकार ने उन्हें और उनके जत्थे में शामिल कारसेवकों को गिरफ्तार कर जंगल में छोड़ दिया.

उमा भारती के साथ तीन दिनों तक जेल में रहे
झाबुआ से निकले कारसेवक विश्व हिंदू परिषद के बैनर तले रामलला के भव्य मंदिर निर्माण के संकल्प के साथ रवाना हुये थे. भूरिया जिन 50 कारसेवकों के साथ उत्तर प्रदेश की सीमा तक पहुंचे थे, उनके साथ उत्तर प्रदेश की पुलिस ने खूब बर्बरता की और मध्यप्रदेश में छोड़ दिया. इस दौरान वीरसिंह भूरिया के जत्थे को मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और राज माता सिंधिया का भी साथ मिला. उमा भारती और झाबुआ के कारसेवकों को उत्तर प्रदेश के बांदा में तीन दिनों तक बंदी बनाकर जेल में रखा गया. इस दौरान वे राम नाम का जाप, भजन कीर्तन के साथ भव्य मंदिर निर्माण के लिए भजन करते रहे.

लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा कारसेवकों की प्रेरणा
अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर निर्माण में भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी की भूमिका से भी इनकार नहीं किया जा सकता. लालकृष्ण आडवाणी ने राम जन्मभूमि पर मंदिर बनाने के लिए गुजरात के सोमनाथ से लेकर अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली थी. इस रथयात्रा से प्रभावित होकर लाखों कारसेवक अयोध्या पहुंचे और आखिरकार मस्जिद के कथित ढांचे को ढहा दिया गया था. राम मंदिर निर्माण की परिकल्पना को विश्व हिंदू परिषद और हिंदू संगठनों ने हजारों कार्यकर्ताओं ने अपने रक्त से पूरा किया. इसके लिए लंबी कानूनी लड़ाई भी लड़ी गई ,जिसका सुखद परिणाम है कि आगामी 5 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी राम मंदिर निर्माण के लिए शिला पूजन करेंगे.

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