झाबुआ। अवैध धर्मांतरण के मामले में जिला एवं सत्र न्यायाधीश लखनलाल गर्ग की कोर्ट ने बुधवार को महत्वपूर्ण फैसला दिया है. आरोपी फादर, पास्टर और उनके एक साथी को दो-दो साल के सश्रम कारावास और 50,000 रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है.
जानिए क्या है पूरा मामला: अभियोजन के अनुसार ग्रामीण टेटिया निवासी ग्राम बिसौली ने आवेदन दिया था कि उसके गांव में फादर जामसिंह, पास्टर अनसिंह और मंगू द्वारा रविवार को आदिवासी जाति के लोगों का धर्मांतरण करवाया जाता है. फादर जामसिंह द्वारा गांव में बनाए गए प्रार्थना घर में साप्ताहिक सामूहिक धर्मांतरण की सभा होती है. टेटिया के अनुसार उसे और गांव की सुरती बाई को 26 दिसंबर 2021 की सुबह लगभग 8:00 बजे जामसिंह ने बुलाया और इसाई धर्मांतरण की सभा में बैठाया. उसके ऊपर जल का छिड़काव किया गया और बाइबिल पढ़ी गई. साथ ही टेटिया को प्रलोभन दिया गया कि यदि तुम ईसाई बन जाओगे तो तुम्हारे पूरे परिवार को स्कूल में शिक्षा और हमारी संस्था के अस्पताल में फ्री इलाज मिलेगा.
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टेटिया ने किया इंकार, कोर्ट से आरोपी को सजा: टेटिया ने इसके लिए इंकार कर दिया. बाद में उसकी शिकायत पर पुलिस ने फादर जामसिंह, पास्टर अनसिंह और मंगू के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया. जांच के दौरान पुलिस ने बाइबिल, अंकसूची, शपथ पत्र और आरोपी अनसिंह से एक स्टील का लोटा जब्त कर पंचनामा बनाया. इसके बाद गवाहों के बयान दर्ज किए. संपूर्ण जांच के बाद पुलिस ने अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया. अभियोजन की ओर से प्रस्तुत किए गए साक्ष्य और गवाहों को प्रमाणिक मानकर न्यायालय ने तीनों आरोपियों को मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश-2020 (विधेयक-2021) की धारा 5 में दोषी करार देते हुए सजा सुना दी. अभियोजन की ओर से प्रकरण का संचालन लोक अभियोजक मानसिंह भूरिया द्वारा किया गया. प्रकरण का अनुसंधान सहायक उपनिरीक्षक प्रेमसिंह परमार ने किया.