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21 अक्टूबर को होगा झाबुआ विधानसभा का उपचुनाव, साख पर बीजेपी-कांग्रेस की प्रतिष्ठा

रतलाम सांसद गुमान सिंह डामोर के सांसद निर्वाचित हो जाने के बाद उनके द्वारा छोड़ी गई झाबुआ विधानसभा सीट पर 21 अक्टूबर को उपचुनाव होने जा रहा है.

झाबुआ विधानसभा उपचुनाव
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Published : Oct 19, 2019, 11:24 AM IST

झाबुआ। रतलाम सांसद गुमान सिंह डामोर के सांसद निर्वाचित हो जाने के बाद उनके द्वारा छोड़ी गई झाबुआ विधानसभा सीट पर 21 अक्टूबर को उपचुनाव होने जा रहा है. इस सीट पर पहली बार विधानसभा का उपचुनाव हो रहा है, जबकि झाबुआ जिले में यह तीसरा उपचुनाव है. जिले में पहला उपचुनाव पेटलावद विधानसभा में 1991 में हुआ था, तब तत्कालीन कांग्रेस विधायक वर सिंह भूरिया की हत्या हुई थी, तब प्रदेश में सुंदरलाल पटवा की सरकार थी. बावजूद बीजेपी यहां चुनाव हार गई थी और कांग्रेस की केसरबाई यहां से विधायक निर्वाचित हुई थीं.

जिले में दूसरा उपचुनाव 2015 में लोकसभा में हुआ था. तत्कालीन रतलाम सांसद दिलीप सिंह भूरिया का निधन हो जाने के चलते यह सीट रिक्त हो गई थी और इस सीट पर केंद्र में नरेंद्र मोदी और प्रदेश में शिवराज की बीजेपी सरकार होने के बावजूद दिलीप सिंह भूरिया की बेटी निर्मला भूरिया यहां से चुनाव हार गई और कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया एक बार फिर से यहां से चुनाव जीतकर दिल्ली पहुंच गए. दोनों उपचुनाव में सत्ता होने के बावजूद उनके प्रत्याशी चुनाव हार गए थे.

इस सीट पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच है. दोनों ही दलों के लिए प्रतिष्ठा का विषय बना हुआ है. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के चलते कांग्रेस ने पूर्व सरकारों की तरह अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. अब परिणाम पर तय होगा कि उपचुनाव इस मिथक को तोड़ पाएगा या नहीं. हालांकि दोनों ही पार्टियां जीत का दावा कर रही हैं.

झाबुआ। रतलाम सांसद गुमान सिंह डामोर के सांसद निर्वाचित हो जाने के बाद उनके द्वारा छोड़ी गई झाबुआ विधानसभा सीट पर 21 अक्टूबर को उपचुनाव होने जा रहा है. इस सीट पर पहली बार विधानसभा का उपचुनाव हो रहा है, जबकि झाबुआ जिले में यह तीसरा उपचुनाव है. जिले में पहला उपचुनाव पेटलावद विधानसभा में 1991 में हुआ था, तब तत्कालीन कांग्रेस विधायक वर सिंह भूरिया की हत्या हुई थी, तब प्रदेश में सुंदरलाल पटवा की सरकार थी. बावजूद बीजेपी यहां चुनाव हार गई थी और कांग्रेस की केसरबाई यहां से विधायक निर्वाचित हुई थीं.

जिले में दूसरा उपचुनाव 2015 में लोकसभा में हुआ था. तत्कालीन रतलाम सांसद दिलीप सिंह भूरिया का निधन हो जाने के चलते यह सीट रिक्त हो गई थी और इस सीट पर केंद्र में नरेंद्र मोदी और प्रदेश में शिवराज की बीजेपी सरकार होने के बावजूद दिलीप सिंह भूरिया की बेटी निर्मला भूरिया यहां से चुनाव हार गई और कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया एक बार फिर से यहां से चुनाव जीतकर दिल्ली पहुंच गए. दोनों उपचुनाव में सत्ता होने के बावजूद उनके प्रत्याशी चुनाव हार गए थे.

इस सीट पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच है. दोनों ही दलों के लिए प्रतिष्ठा का विषय बना हुआ है. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के चलते कांग्रेस ने पूर्व सरकारों की तरह अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. अब परिणाम पर तय होगा कि उपचुनाव इस मिथक को तोड़ पाएगा या नहीं. हालांकि दोनों ही पार्टियां जीत का दावा कर रही हैं.

Intro:झाबुआ : रतलाम सांसद गुमान सिंह डामोर के सांसद निर्वाचित हो जाने के बाद उनके द्वारा छोड़ी गई झाबुआ विधानसभा सीट पर 21 अक्टूबर को उप चुनाव होगा। इस सीट पर पहली बार विधानसभा का उपचुनाव हो रहा है जबकि झाबुआ जिले में यह तीसरा उपचुनाव है । जिले में पहला उपचुनाव पेटलावद विधानसभा में 1991 में हुआ था तब तत्कालीन कांग्रेस विधायक वर सिंह भूरिया की हत्या हुई थी, तब प्रदेश में सुंदरलाल पटवा की सरकार थी बावजूद भाजपा यहां चुनाव हार गई थी और कांग्रेस की केसरबाई यहां से विधायक निर्वाचित हुई थी।


Body:जिले में दूसरा उपचुनाव 2015 में लोकसभा का हुआ, तत्कालीन रतलाम सांसद दिलीप सिंह भूरिया का निधन हो जाने के चलते यह सीट रिक्त हो गई थी और इस सीट पर केंद्र में नरेंद्र मोदी और प्रदेश में शिवराज की भाजपा सरकार होने के बावजूद दिलीप सिंह भूरिया की बेटी निर्मला भूरिया यहां से चुनाव हार गई। कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया एक बार फिर से यहां से चुनाव जीतकर दिल्ली पहुंच गए । दोनों उपचुनाव में सत्ता होने के बावजूद उनके प्रत्याशी चुनाव हार गए थे ।


Conclusion:इस सीट पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच है जो दोनों ही दलों के लिए प्रतिष्ठा का विषय बना हुआ है । प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के चलते कांग्रेस ने पूर्व सरकारों की तरह अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है । अब परिणाम पर तय होगा कि उपचुनाव इस मिथक को तोड़ पाएगा जहाँ सरकारी रहते हुए भी अपने प्रत्याशी की जीत नहीं हो पाती ।

नोट : मोबाइल डाटा फुल होने के चलते पुराने विजुअल डिलीट किए थे जिसके चलते चुनाव के कई विजुअल डिलीट हो गए हैं मेरे द्वारा पूर्व में इलेक्शन बैंकिंग कराई गई थी उस बैंकिंग के थ्रू इस खबर को डिवेलप करने की कृपा करें . कृपया करके इस स्टोरी के विजुअल डेस्क अरेंज करें और स्टोरी को बढ़िया से पब्लिश करने की कृपा करें .
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