झाबुआ। शहर के मुस्लिम युवकों ने सांप्रदायिक सौहार्द की खुबसूरत मिसाल पेश की है. शहर में कोरोना महामारी से मरने वाले लोगों के परिजन उनका अंतिम संस्कार करने में संकोच कर रहे है. एक जैन महिला की मौत के बाद समाज और परिवार के सदस्यों के अंतिम संस्कार से दुरी बना ली. शहर के मुस्लिम समुदाय के युवकों ने मदद कर भाईचारे का संदेश दिया है. मुस्लिम युवकों का रोजा था लेकिन उन्होंने महिला के भाई को मना कर दाह संस्कार की रस्म को पूरा करने में मदद की.
- मुस्लिम युवकों ने पेश की मिसाल
झाबुआ नगर के वार्ड क्रमांक 4 रोहिदास मार्ग में नवलक्खा लॉज के समीप रहने वाली चंदनबाला काठी जो विगत 6 दिवस से जिला चिकित्सालय में भर्ती थी. 6 दिन चले उपचार के बावजूद महिला को नहीं बचाया जा सका और उसकी मौत हो गई. जबकि मौत के दिन महिला की रिर्पोट पॉजिटिव आई थी. कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद कोई भी महिला अंतिम संस्कार नहीं कर रहा था. महिला के दाह संस्कार का बीड़ा मुस्लिम युवकों ने किया.
- रोजे के दौरान की मदद
वार्ड क्रमांक 4 के पार्षद साबिर फिटवेल ने बताया कि मृतक महिला विधवा थी. महिला का वार्ड और मोहल्ले में सभी से आपसी स्नेह था, जिससे सभी लोग उनका बहुत सम्मान करते थे. कोरोना संक्रमित होने के चलते समाज का कोई भी व्यक्ति महिला के दाह संस्कार में मदद के लिए नहीं आया. जब यह जानकारी स्थानीय मुस्लिम रोजा रखने वालों को मिली तो उन्होंने बिना देर किए महिला के अंतिम संस्कार के लिए व्यवस्था जुटाई और मुक्ति धाम पहुंच कर महिला के अंतिम संकार में मदद की.
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- व्यापारी संघ ने की लकड़ी की व्यवस्था
मुस्लिम युवक कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हुए दिवंगत महिला का शव लेकर स्थानीय मुक्तिधाम पहुंचे. यहां स्थानीय व्यापारी संघ ने दाह संस्कार के लिए लकड़ी की व्यवस्था की. मुस्लिम युवकों ने चिता की लकड़ियां जमाई और महिला के शव को चिता पर रखा. मुस्लिम युवकों ने महिला के भाई को अग्निदाह के लिए राजी किया और भाई के हाथों बहन का दाह संस्कार कराया. झाबुआ के मुस्लिम युवकों के इस अनुकरण सहयोग की तस्वीरें दिन-भर सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोरती रहीं. स्थानीय पार्षद साबिर ने कहा कि यहीं हमारी संस्कृति है, हम इस महामारी को भाईचारे से हरायेगे और इंसानितय को यहा शर्मिदा नहीं होने देंगें.