मध्य प्रदेश के झाबुआ की रहने वाली एक लड़की अक्टूबर 2018 को एक ट्रक में बैठकर महाराष्ट्र के पुणे पहुंच गई थी. जहां पर सुमित्रा स्नेहाधार नाम की संस्था मिली. संस्था के लोगों ने उसे अहमदनगर स्थित अमृत वाहिनी ग्राम विकास मंडल को सौंप दिया. अमृत वाहिनी ग्राम विकास मंडल संस्था ने युवती के खाने-पीने समेत सभी खर्च उठाए, बल्कि उसका इलाज भी कराया.
युवती के ठीक होने के बाद संस्था ने उसके परिजनों के बारे में पूछा, लेकिन सुमित्रा आदिवासी भाषा में ही बोल पाती थी, जिसकी वजह से उसके परिजनों का पता लगाने में संस्था के लोगों को दिक्कत हुई. युवती द्वारा गांव का नाम बताने के बाद संस्था ने संबंधित थाना के अधिकारियों को फोन पर जानकारी दी.
रानापुर थाना पुलिस की मदद से फिलहाल संस्था ने सुमित्रा को उसके परिजनों को सौंप दिया है. अमृत वाहिनी ग्राम विकास मंडल नाम की ये संस्था इसके पहले भी इस तरह के सरहानीय काम कर चुकी है.