झाबुआ। एक तरफ जहां मानसून (monsoon) के चलते में प्रदेश (MP) में बाढ़ (Flood) जैसे हालात बने हुए हैं, तो वहीं दूसरी ओर झाबुआ (Jhabua) के लोगों को बहुत थोड़ी बारिश (Rain) से ही सब्र करना पड़ा. सावन के बाद लोगो को भादो मास से अच्छी बारिश (Rain) की उम्मीद थी, मगर इस महीने के 15 दिन बीत जाने के बाद भी जिले में बारिश के दूर-दूर तक आसार नजर नहीं आ रहे. अच्छी बारिश ना होने से जिले के पेयजल स्त्रोत कुएं, तालाब, नदियों में पानी की कमी साफ नजर आने लगी है. आलम यह है कि भूजल स्तर (Water level) में कोई सुधार नहीं हुआ. पीने के पानी के लिए भी लोगों को भटकना पड़ रहा है. आने वाले कुछ दिनों में अच्छी बारिश नहीं हुई तो किसानों (Farmers) को रबी सीजन (Rabi crop) की फसल उगाने में काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि, मौसम में नमी के कारण छूट पुट बारिश होने की संभावना बनी हुई है.
खरीब फसलों का क्या है हाल
जिले में खरीफ फसलों (Kharif crops) की हालत तो फिलहाल संकट से मुक्त है, लेकिन पेयजल व्यवस्था और रबी फसलों (Rabi crops) पर अभी से खतरे के बादल मंडराने लगे हैं. खरीफ फसलों पर इंद्र देवता की मेहरबानी ही माना जायेगा, क्योंकि जब-जब फसलों को पानी को आवश्यकता हुई तब तब उतनी बारिश (Rain) जिले में हुई है.
पिछले साल के मुकाबले काफी कम हुई बारिश
जिले में अब तक 570 मिमी मीटर वर्षा (Rain) दर्ज हुई है, जबकि औसत वर्षा 774 मिलीमीटर है. पिछले साल इस समय तक जिले में 851.2 मिलीमीटर वर्षा (Rain) दर्ज की जा चुकी थी. पिछले साल के आंकड़े के हिसाब से झाबुआ जिला (Jhabua) काफी पिछड़ा हुआ नजर आ रहा है. जिले के अलग-अलग विकास खंडों की बात की जाए तो झाबुआ ब्लॉक की हालत सबसे ज्यादा खराब है, यहां पिछले साल 862.2 मिलीमीटर वर्षा (Rain) हुई थी. वहीं इस वर्ष अब महज 405 मिलीमीटर वर्षा ही हुई है. यानी पिछले साल के मुकाबले आधे से भी कम बारिश झाबुआ ब्लॉक में हुई है.
इन विकासखण्डों में बारिश की स्थिति
जिले के मेघनगर विकासखंड (Meghnagar Block) में पिछले साल 1038.8 मिली मीटर वर्षा (Rain) हुई थी, जबकि इस साल महज 710 मिलीमीटर वर्षा (Rain) ही दर्ज हुई है. राणापुर विकासखंड में पिछले साल 620 मिलीमीटर वर्षा हुई थी. वहीं इस बार 600 मिलीमीटर वर्षा दर्ज हुई है. पेटलावद विकासखंड में पिछले साल 864.1 मिलीमीटर वर्षा हुई थी. वहीं इस बार 6985 मिलीमीटर वर्षा हुई है. थांदला विकासखंड में पिछले साल 1061.4 मिलीमीटर वर्षा हुई थी. वहीं इस साल आधी यानी 554.3 मिलीमीटर वर्षा ही हुई है. रामा विकास खंड में 668.2 मिलीमीटर वर्षा पिछले साल हुई थी, जबकि इस बार अब तक 447.4 मिलीमीटर वर्षा ही हुई है. जिले के तमाम विकासखंड के आंकड़ों के लिहाज से जिले में पिछले साल 851.2 मिलीमीटर औसत वर्षा हुई थी. वहीं इस साल औसत वर्षा का आंकड़ा महज 569.7 मिलीमीटर ही है.
गेहूं चने की फसलों पर संकट के बादल
जिले में एक तिहाई अगस्त (August) महीना सूखे की चपेट में निकला, तो सितंबर (September) के 4 दिनों में से केवल 1 दिन बारिश (Rain) हुई. कम बारिश के चलते रबि फसलों (Rabi crop) पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. गेहूं और चने की फसल के लिए किसानों के पास पर्याप्त पानी नहीं है. ऐसे में इन फसलों को लेकर किसान अभी से चिंता में दिखाई देने लगे हैं.
1,89,000 हेक्टेयर खरीफ का रकबा
जिले में 1,89,000 हेक्टेयर खरीफ का रकबा है, जिसमें 1,71,000 किसान खेती का काम करते हैं. जिले में औसत बारिश 773.4 मिलीमीटर मानी जाती है. मगर अब तक बारिश (Rain) का जो आंकड़ा है वह 570 को भी पार नहीं हो सका है. पिछले साल यहां 851.2 मिलीमीटर वर्षा (Rain) दर्ज की गई थी. जिले में सबसे ज्यादा मक्का (Maize) की बुवाई की जाती है, और यहां की यह प्रमुख फसल भी है. इस साल जिले में 51360 हेक्टेयर में मक्का (Maize) की बुवाई की गई है. वहीं सोयाबीन (Soybean) का रकबा 75640 हेक्टेयर है. 30500 हेक्टेयर में कपास (Cotton) की बुवाई की गई है साथ ही 31530 हेक्टेयर में अन्य फसलें जिसमें सब्जी की फसलों की बुवाई की गई है.
बारिश का अनुमान कम
मौसम विभाग (Meteorological Department) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, आगामी 1 सप्ताह तक जिले में अच्छी बारिश (Rain) की संभावना नहीं है. हालांकि, मौसम में नमी बनी हुई है और गर्मी के चलते मामूली छूट पुट बारिश होने की संभावना बनी हुई है.
इन जिलों में बारिश का अनुमान
मौसम विभाग के मुताबिक अगले 24 घंटों में शहडोल, सागर, रीवा और जबलपुर संभाग में बारिश की संभावना है। वहीं, भोपाल, होशंगाबाद, उज्जैन, इंदौर, ग्वालियर और चंबल संभाग में कहीं-कहीं बारिश हो सकती है. टीकमगढ़, छतरपुर, विदिशा और बालाघाट में भारी बारिश की संभावना है.