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कब बुझेगी प्यास, 30 करोड़ की परियोजना अधूरी

झाबुआ जिले के मेघनगर में 30 करोड़ से भी अधिक लागत की पेयजल योजना तीन साल के बाद भी अधूरी है. शहरवासी सालों से पेयजल संकट से जूझ रहे हैं. जिसको देखते हुए मुख्यमंत्री ने शहरवासियों को परियोजना की सौगात दी थी. लेकिन सही मॉनिटरिंग ना होने से यह योजना अभी भी अधर में लटकी हुई है. पढ़िए ईटीवी भारत की यह रिपोर्ट.

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Published : Oct 26, 2020, 10:24 AM IST

Updated : Oct 27, 2020, 11:59 AM IST

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30 करोड़ की परियोजना अधूरी

झाबुआ। मेघनगर शहर के बाशिंदों को पेयजल संकट से निजात दिलाने के लिए सरकार ने वर्ष 2016-17 में 30 करोड़ से भी अधिक की धनराशि नगरी प्रशासन विभाग को दी थी. जल संकट से जूझ रहे शहर के 20 हजार से अधिक लोगों के लिए परियोजना बनाई गई. लेकिन 3 साल गुजर जाने के बाद भी यह परियोजना क्रियान्वित नहीं हो पाई.

30 करोड़ की परियोजना अधूरी

करोड़ों की पेयजल योजना अधूरी

मेघनगर की जनता को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने एशियन डेवलपमेंट बैंक की वित्तीय सहायता से 30 करोड़ 32 लाख स्वीकृत कराए थे. पेयजल योजना के तहत ग्राम झायड़ा के पास अनास नदी पर डैम, फिल्टर प्लांट और सब-वे, पानी की टंकी और 22 किलोमीटर की पाइपलाइन बिछाई जानी थी. परियोजना को साल 2019 में पूरा होना था. लेकिन 3 साल का लंबा वक्त गुजर जाने के बाद भी यह काम अधूरा पड़ा है. जिससे ना तो सरकार की मंशा और ना ही योजना का लक्ष्य पूरा होता दिख रहा है.

पेयजल संकट से जूझ रहे शहरवासी

मेघनगर में जल संकट वर्षों की समस्या रही है. इस समस्या को देखकर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पहली नवगठित परिषद की मांग पर शहर को पेयजल योजना की सौगात दी थी. मुख्यमंत्री की सौगात से शहरवासियों को उम्मीद थी कि उन्हें आने वाले समय में सुलभता से पेयजल उपलब्ध होगा. लेकिन योजना के सही ढंग से क्रियान्वित ना होने और सही मॉनिटरिंग ना होने से यह योजना अभी भी अधर में लटकी हुई है.

ना कार्यालय, ना अधिकारी

इस परियोजना के तहत अलग-अलग पाइपलाइन शहर के विभिन्न भागों में बिछा कर होम कनेक्शन भी देना है. परियोजना का ठेका गुजरात की पीसी स्नेहल कंपनी अहमदाबाद को दिया गया है. परियोजना की मॉनिटरिंग का जिम्मा स्थानीय नगर परिषद की बजाए नगरी प्रशासन विभाग के एमपी यूडीसी को दिया गया है. एमपी यूडीसी का ना तो यहां कोई स्थानीय स्तर का कार्यालय है और ना कोई जिम्मेदार अधिकारी बैठता. जिसके चलते परियोजना की ना तो सही ढंग से मॉनिटरिंग हो रही है और ना ही उसे समय सीमा में पूरा करने का कोई प्रयास हो रहा है.

70 फीसदी काम पूरा

यदि समय रहते नदी पर बने डैम के शटर नहीं लगाए गए तो नदी का पानी बह जाएगा और गर्मी के मौसम में नगर को एक बार फिर जल संकट से जूझना पड़ेगा. वहीं नगर परिषद के जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि परियोजना का 70 फीसदी का पूरा हो चुका है. बाकी के काम को पूरा करने के लिए निर्माण कंपनी को दो बार अतिरिक्त समय दिया जा चुका है. नगरी प्रशासन विभाग ने कोरोना काल के चलते कंपनी को एक बार फिर 6 महीने का अतिरिक्त समय दिया है, जो जनवरी 2021 में पूरा होगा.

झाबुआ। मेघनगर शहर के बाशिंदों को पेयजल संकट से निजात दिलाने के लिए सरकार ने वर्ष 2016-17 में 30 करोड़ से भी अधिक की धनराशि नगरी प्रशासन विभाग को दी थी. जल संकट से जूझ रहे शहर के 20 हजार से अधिक लोगों के लिए परियोजना बनाई गई. लेकिन 3 साल गुजर जाने के बाद भी यह परियोजना क्रियान्वित नहीं हो पाई.

30 करोड़ की परियोजना अधूरी

करोड़ों की पेयजल योजना अधूरी

मेघनगर की जनता को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने एशियन डेवलपमेंट बैंक की वित्तीय सहायता से 30 करोड़ 32 लाख स्वीकृत कराए थे. पेयजल योजना के तहत ग्राम झायड़ा के पास अनास नदी पर डैम, फिल्टर प्लांट और सब-वे, पानी की टंकी और 22 किलोमीटर की पाइपलाइन बिछाई जानी थी. परियोजना को साल 2019 में पूरा होना था. लेकिन 3 साल का लंबा वक्त गुजर जाने के बाद भी यह काम अधूरा पड़ा है. जिससे ना तो सरकार की मंशा और ना ही योजना का लक्ष्य पूरा होता दिख रहा है.

पेयजल संकट से जूझ रहे शहरवासी

मेघनगर में जल संकट वर्षों की समस्या रही है. इस समस्या को देखकर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पहली नवगठित परिषद की मांग पर शहर को पेयजल योजना की सौगात दी थी. मुख्यमंत्री की सौगात से शहरवासियों को उम्मीद थी कि उन्हें आने वाले समय में सुलभता से पेयजल उपलब्ध होगा. लेकिन योजना के सही ढंग से क्रियान्वित ना होने और सही मॉनिटरिंग ना होने से यह योजना अभी भी अधर में लटकी हुई है.

ना कार्यालय, ना अधिकारी

इस परियोजना के तहत अलग-अलग पाइपलाइन शहर के विभिन्न भागों में बिछा कर होम कनेक्शन भी देना है. परियोजना का ठेका गुजरात की पीसी स्नेहल कंपनी अहमदाबाद को दिया गया है. परियोजना की मॉनिटरिंग का जिम्मा स्थानीय नगर परिषद की बजाए नगरी प्रशासन विभाग के एमपी यूडीसी को दिया गया है. एमपी यूडीसी का ना तो यहां कोई स्थानीय स्तर का कार्यालय है और ना कोई जिम्मेदार अधिकारी बैठता. जिसके चलते परियोजना की ना तो सही ढंग से मॉनिटरिंग हो रही है और ना ही उसे समय सीमा में पूरा करने का कोई प्रयास हो रहा है.

70 फीसदी काम पूरा

यदि समय रहते नदी पर बने डैम के शटर नहीं लगाए गए तो नदी का पानी बह जाएगा और गर्मी के मौसम में नगर को एक बार फिर जल संकट से जूझना पड़ेगा. वहीं नगर परिषद के जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि परियोजना का 70 फीसदी का पूरा हो चुका है. बाकी के काम को पूरा करने के लिए निर्माण कंपनी को दो बार अतिरिक्त समय दिया जा चुका है. नगरी प्रशासन विभाग ने कोरोना काल के चलते कंपनी को एक बार फिर 6 महीने का अतिरिक्त समय दिया है, जो जनवरी 2021 में पूरा होगा.

Last Updated : Oct 27, 2020, 11:59 AM IST
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