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झाबुआ उपचुनावः भूरिया v/s भूरिया नहीं, यहां है कमलनाथ v/s शिवराज सिंह - मुख्यमंत्री कमलनाथ बनाम शिवराज सिंह चौहान

मध्यप्रदेश का झाबुआ उपचुनाव दो दिग्गजों के बीच आकर ठहर गया है, ये चुनाव वैसे तो कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया और भाजपा के भानु भूरिया के बीच है, लेकिन वास्तव में ये चुनाव मुख्यमंत्री कमलनाथ बनाम शिवराज सिंह चौहान के बीच बनकर रह गया है.

झाबुआ उपचुनाव कमलनाथ बनाम शिवराज
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Published : Oct 20, 2019, 9:23 PM IST

झाबुआ में सोमवार को मतदान होना है, यहां से भाजपा के जीएस डामोर विधानसभा का चुनाव जीते थे, बाद में सांसद निर्वाचित होने के बाद उन्होंने ये सीट छोड़ दी थी, जिसके चलते यहां उपचुनाव हो रहा है. इस उपचुनाव में दोनों दलों ने जीत के लिए जोर लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.

चुनाव प्रचार में भाजपा ने जहां शिवराज सिंह चौहान के चेहरे को बतौर पूर्ववर्ती सरकार के 15 साल के कामकाज को सामने रखा, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने कमलनाथ सरकार के 10 माह के कार्यकाल के फैसलों को गिनाया. इतना ही नहीं, कांग्रेस ने भाजपा पर 15 साल के शासन को लेकर हमला किया तो भाजपा ने 10 माह को सियासी हथियार बनाया.

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी चुनाव प्रचार के अंतिम दिन कहा कि उपचुनाव में तो सिर्फ उम्मीदवार के तौर पर ही है कांतिलाल भूरिया. उन्होंने कहा, "झाबुआ में नाम के वास्ते तो भूरिया चुनाव मैदान में हैं और काम के वास्ते कमलनाथ चुनाव लड़ रहे हैं."

दूसरी ओर भाजपा के तमाम नेताओं ने इस चुनाव को शिवराज सिंह चौहान से जोड़ा. नेताओं ने यहां तक कह दिया कि इस चुनाव में जीत मिली तो राज्य में मुख्यमंत्री तक बदल सकता है.

शिवराज ने राज्य की कमलनाथ सरकार के 10 माह के कार्यकाल को असफल करार दिया. उन्होंने कहा, "चुनाव से पहले तरह-तरह के वादे किए, किसान कर्जमाफी की बात की, मकान बनाकर देने, बेटियों को शादी में 51 हजार रुपये देने के वादे किए. इनमें से एक भी पूरा नहीं हुआ. इस चुनाव में कांग्रेस को हराकर हिसाब बराबर करने का मौका है."

वैसे दोनों दलों ने इस चुनाव को गंभीरता से लड़ा है, कांग्रेस और भाजपा ने प्रचार के लिए नेताओं की फौज उतारने में कसर नहीं छोड़ी, दोनों ओर से अपनी सरकारों के काम गिनाए गए तो दूसरी ओर खामियां गिनाकर हमले किए गए. यह चुनाव आने वाले समय की राज्य की सियासत के हिसाब से ज्यादा मायने रखता है, क्योंकि सरकार पूर्ण बहुमत वाली नहीं है. वहीं समर्थन दे रहे कई विधायक सरकार को परोक्ष रूप से धमकाते भी रहते हैं.

राज्य की 230 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 114 विधायक हैं और भाजपा के 108 विधायक. यही कारण है कि भाजपा इस विधानसभा उपचुनाव को जीतकर वर्तमान सरकार के सामने संकट खड़ा करने की तैयारी कर सकती है, वहीं कांग्रेस का प्रयास है कि भाजपा से इस सीट को छीनकर वह अपनी सरकार के कामकाज पर जनता की मुहर लगवा सकती है.

झाबुआ में सोमवार को मतदान होना है, यहां से भाजपा के जीएस डामोर विधानसभा का चुनाव जीते थे, बाद में सांसद निर्वाचित होने के बाद उन्होंने ये सीट छोड़ दी थी, जिसके चलते यहां उपचुनाव हो रहा है. इस उपचुनाव में दोनों दलों ने जीत के लिए जोर लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.

चुनाव प्रचार में भाजपा ने जहां शिवराज सिंह चौहान के चेहरे को बतौर पूर्ववर्ती सरकार के 15 साल के कामकाज को सामने रखा, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने कमलनाथ सरकार के 10 माह के कार्यकाल के फैसलों को गिनाया. इतना ही नहीं, कांग्रेस ने भाजपा पर 15 साल के शासन को लेकर हमला किया तो भाजपा ने 10 माह को सियासी हथियार बनाया.

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी चुनाव प्रचार के अंतिम दिन कहा कि उपचुनाव में तो सिर्फ उम्मीदवार के तौर पर ही है कांतिलाल भूरिया. उन्होंने कहा, "झाबुआ में नाम के वास्ते तो भूरिया चुनाव मैदान में हैं और काम के वास्ते कमलनाथ चुनाव लड़ रहे हैं."

दूसरी ओर भाजपा के तमाम नेताओं ने इस चुनाव को शिवराज सिंह चौहान से जोड़ा. नेताओं ने यहां तक कह दिया कि इस चुनाव में जीत मिली तो राज्य में मुख्यमंत्री तक बदल सकता है.

शिवराज ने राज्य की कमलनाथ सरकार के 10 माह के कार्यकाल को असफल करार दिया. उन्होंने कहा, "चुनाव से पहले तरह-तरह के वादे किए, किसान कर्जमाफी की बात की, मकान बनाकर देने, बेटियों को शादी में 51 हजार रुपये देने के वादे किए. इनमें से एक भी पूरा नहीं हुआ. इस चुनाव में कांग्रेस को हराकर हिसाब बराबर करने का मौका है."

वैसे दोनों दलों ने इस चुनाव को गंभीरता से लड़ा है, कांग्रेस और भाजपा ने प्रचार के लिए नेताओं की फौज उतारने में कसर नहीं छोड़ी, दोनों ओर से अपनी सरकारों के काम गिनाए गए तो दूसरी ओर खामियां गिनाकर हमले किए गए. यह चुनाव आने वाले समय की राज्य की सियासत के हिसाब से ज्यादा मायने रखता है, क्योंकि सरकार पूर्ण बहुमत वाली नहीं है. वहीं समर्थन दे रहे कई विधायक सरकार को परोक्ष रूप से धमकाते भी रहते हैं.

राज्य की 230 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 114 विधायक हैं और भाजपा के 108 विधायक. यही कारण है कि भाजपा इस विधानसभा उपचुनाव को जीतकर वर्तमान सरकार के सामने संकट खड़ा करने की तैयारी कर सकती है, वहीं कांग्रेस का प्रयास है कि भाजपा से इस सीट को छीनकर वह अपनी सरकार के कामकाज पर जनता की मुहर लगवा सकती है.

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