ETV Bharat / state

जबलपुर: लॉकडाउन के सन्नाटे में गुम हुआ दुनिया का अजूबा 'बैलेंसिंग रॉक' - ऐतिहासिक धरोहर

एक तरफ कोरोना को लेकर पूरे देश में लॉकडाउन लागू है, तो वहीं दूसरी तरफ जबलपुर के बैलेंसिंग रॉक को भी कोरोना ने लॉक कर दिया है. जिसे देखने के लिए प्रतिदिन 200 से 300 पर्यटक पहुंचते थे, आज उसके आसपास सन्नाटा पसरा हुआ है.

Lock balancing rock due to corona
कोरोना के कारण लॉक बैलेंसिंग रॉक
author img

By

Published : May 30, 2020, 3:13 PM IST

Updated : May 31, 2020, 1:31 PM IST

जबलपुर। कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए लागू लॉकडाउन ने दुनिया की नायाब चीजों को भी वीराने में लाकर खड़ा कर दिया है. इसका एक उदाहरण है शहर में स्थित बैलेंसिंग रॉक, जिसे भूकंप के झटके भी आज तक नहीं डिगा पाए, यह आज भी वैसे ही ज्यों का त्यों टिका हुआ है.

कोरोना के कारण लॉक बैलेंसिंग रॉक

शहर के मदन महल किले के पास पहाड़ी पर स्थित बैलेंसिंग रॉक को कोरोना वायरस और लॉकडाउन के सन्नाटे ने लॉक कर दिया है. आम दिनों में कुदरत के इस करिश्मे को देखने के लिए सैकड़ों लोगों का हुजूम उमड़ता था. सिर्फ मध्य प्रदेश ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों से भी इस शिला को देखने लोग आते थे. यही वजह है कि, राज्य सरकार ने बैलेंसिंग रॉक को संरक्षित घोषित कर दिया है. इस बैलेंसिंग रॉक को शहर में 1997 में आए 6.7 रिएक्टर का भूकंप तक नहीं हिला पाया था. जबकि उस भूकंप से शहर की कई बड़ी बिल्डिंग जमींदोज हो गई थी. लॉकडाउन के सन्नाटे के बीच आज बैलेंसिंग रॉक को देखने वालों में सिर्फ एक नाम ही शुमार है और वह है यहां का सुरक्षा गार्ड, जो इसकी देखरेख भी करता है.

पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है ये बैलेंसिंग रॉक

इसे प्रकृति के संतुलन का कमाल ही कहें कि, ग्रेनाइट की चट्टान की एक छोटी-सी नोक पर बैलेंसिंग रॉक हजारों वर्षों से टिका हुआ है. प्राकृतिक आपदाएं और भूकंप के झटके तक इसे नहीं हिला पाए. शहर की ऐतिहासिक धरोहरों में शुमार बैलेंसिंग रॉक कई सालों से सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. परंतु वर्तमान में यहां सन्नाटा पसरा हुआ है. ईटीवी भारत ने जब बैलेंसिंग रॉक की दुर्दशा कमिश्नर को बताई ,तो उन्होंने इसे अपने संज्ञान में लिया. लिहाजा कमिश्नर महेश चंद्र चौधरी ने पुरातत्व विभाग और नगर निगम को साफ-सफाई और सुरक्षा व्यवस्था के निर्देश दिए हैं.

जबलपुर। कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए लागू लॉकडाउन ने दुनिया की नायाब चीजों को भी वीराने में लाकर खड़ा कर दिया है. इसका एक उदाहरण है शहर में स्थित बैलेंसिंग रॉक, जिसे भूकंप के झटके भी आज तक नहीं डिगा पाए, यह आज भी वैसे ही ज्यों का त्यों टिका हुआ है.

कोरोना के कारण लॉक बैलेंसिंग रॉक

शहर के मदन महल किले के पास पहाड़ी पर स्थित बैलेंसिंग रॉक को कोरोना वायरस और लॉकडाउन के सन्नाटे ने लॉक कर दिया है. आम दिनों में कुदरत के इस करिश्मे को देखने के लिए सैकड़ों लोगों का हुजूम उमड़ता था. सिर्फ मध्य प्रदेश ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों से भी इस शिला को देखने लोग आते थे. यही वजह है कि, राज्य सरकार ने बैलेंसिंग रॉक को संरक्षित घोषित कर दिया है. इस बैलेंसिंग रॉक को शहर में 1997 में आए 6.7 रिएक्टर का भूकंप तक नहीं हिला पाया था. जबकि उस भूकंप से शहर की कई बड़ी बिल्डिंग जमींदोज हो गई थी. लॉकडाउन के सन्नाटे के बीच आज बैलेंसिंग रॉक को देखने वालों में सिर्फ एक नाम ही शुमार है और वह है यहां का सुरक्षा गार्ड, जो इसकी देखरेख भी करता है.

पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है ये बैलेंसिंग रॉक

इसे प्रकृति के संतुलन का कमाल ही कहें कि, ग्रेनाइट की चट्टान की एक छोटी-सी नोक पर बैलेंसिंग रॉक हजारों वर्षों से टिका हुआ है. प्राकृतिक आपदाएं और भूकंप के झटके तक इसे नहीं हिला पाए. शहर की ऐतिहासिक धरोहरों में शुमार बैलेंसिंग रॉक कई सालों से सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. परंतु वर्तमान में यहां सन्नाटा पसरा हुआ है. ईटीवी भारत ने जब बैलेंसिंग रॉक की दुर्दशा कमिश्नर को बताई ,तो उन्होंने इसे अपने संज्ञान में लिया. लिहाजा कमिश्नर महेश चंद्र चौधरी ने पुरातत्व विभाग और नगर निगम को साफ-सफाई और सुरक्षा व्यवस्था के निर्देश दिए हैं.

Last Updated : May 31, 2020, 1:31 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.