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जबलपुर: लॉकडाउन के बाद से ही नहीं लौट रहे मजदूर, कई कारोबार ठप - lockdown

लॉकडाउन शुरू होने के समय गांव के लिए लौटे मजदूर जबलपुर में वापस काम पर नहीं आए हैं, ऐसे में रेडीमेड गारमेंट कारोबार, होटल कारोबार, निर्माण कामकाज जैसे कई उद्योग ठप पड़े हैं, प्रवासी मजदूरों के वापस आने की कोई खबर नहीं है, जिससे जबलपुर का पूरा औद्योगिक विकास थम सा गया है, देखिए रिपोर्ट.

laborers did not return to Jabalpur
लॉकडाउन के बाद से ही नहीं लौट रहे मजदूर
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Published : Oct 22, 2020, 6:39 AM IST

जबलपुर। कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन की वजह से कई उद्योगों को भारी नुकसान हुआ है. आजाद भारत के इतिहास में उद्योग को इतना ज्यादा नुकसान संभवत पहले कभी नहीं हुआ, जैसे ही लॉक डाउन शुरू हुआ, जबलपुर में काम कर रहे मजदूरों ने भी अपने घरों का रुख कर लिया, और बड़ी जद्दोजहद के बाद जबलपुर से निकल पाए. वहीं अब अनलॉक-5 के बाद प्रदेश में लगभग सब कुछ सामान्य हो रहा है, लेकिन लोगों में कोरोन का डर अभी भी है, यहीं वजह है कि मजदूर अब अपने घरों से वापस काम पर नहीं लौट रहे हैं.

लॉकडाउन के बाद से ही नहीं लौट रहे मजदूर

कारोबारियों का कहना है कि न तो वो मजदूर लौटे हैं और न ही बाजार में इतनी तेजी है, कि उन्हें बुलाया जा सके. जबलपुर के कई कारोबार ऐसे हैं, जिनमें देश के दूसरे इलाकों से मजदूर आकर काम किया करते थे, लेकिन लगभग 6 महीने बीतने को हैं, वह मजदूर वापस नहीं आए हैं. वहीं कारोबारियों का यह भी कहना है, कि उनके पास पहले से माल पड़ा हुआ है, और उनकी पूरी कोशिश है, कि पहले उसे बेचे और जब नए माल की मांग होगी, तब वे मजदूरों को बुलाएंगे.

जबलपुर, रेडीमेड गारमेंट मेन्यूफेक्चरिंग का है हब

जबलपुर रेडीमेड गारमेंट मेन्यूफेक्चरिंग का एक बड़ा हब है. जबलपुर में सलवार सूट, बच्चों के कपड़े शर्ट और दूसरे कपड़े बनाने वाले कई छोटे और बड़े कारखाने हैं. वहीं जबलपुर रेडीमेड गारमेंट मेनूफेक्चरिंग एसोसिएशन का कहना है कि जबलपुर में हजार से ज्यादा छोटी और बड़ी इकाइयां हैं, जो या तो खुद रेडीमेड गारमेंट बनाती हैं, या फिर इस इंडस्ट्री को सपोर्ट करती हैं. मसलन एंब्रॉयडरी के कारखाने, कपड़ों की रंगाई के कारखाने, कपड़ों की सिलाई के कारखाने, उनकी धुलाई-पैकिंग के कारखाने, पैकिंग मैटेरियल बनाने वालों के कारखाने, ऐसी कई इकाइयां एक साथ काम करती हैं, और इनमें ज्यादातर मजदूर उत्तर प्रदेश और बिहार के होते हैं, जो इन कामों में पारंगत हैं. इसके साथ बड़ी तादाद में स्थानीय मजदूर भी होते हैं, लेकिन जैसे ही लॉकडाउन लगा, इन कारखानों में काम करने वाले मजदूर वापस बिहार और उत्तर प्रदेश लौट गए.

दूसरे प्रदेशों से आते थे मजदूर

वहीं जबलपुर में होटल उद्योग में प्रदेश के दूसरे जिलों से आकर लोग काम किया करते थे. इनमें वेटर, कुक, रिसेप्शनिस्ट, साफ-सफाई करने वाले कर्मचारी जैसे हजारों कर्मचारी शहर की 100 से ज्यादा होटलों में नौकरी कर रहे थे. एक मॉल के मैनेजर का कहना है कि उनके मॉल में 300 से ज्यादा कर्मचारी थे इनमें से आधे लोग चले गए हैं जो अब तक नहीं लौटे हैं और 6 महीने बीतने को है, ऐसा लगता है कि वे अब नहीं आएंगे. हालांकि अभी मॉल में व्यापारिक नुकसान हो रहा है, इसलिए कर्मचारियों को दोबारा बुलाया भी नहीं जा रहा है, यहां पर भी कारोबार ठप है.

जबलपुर शहर तेजी से विकसित होते शहरों में से है, यहां निर्माण के कई बड़े काम चल रहे हैं, और इन कामों में दक्षिण के कई प्रदेशों से लोग काम करने के लिए आते हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से लोग डरे हुए हैं, और इन साइट पर काम करने के लिए नहीं आ रहे हैं. लिहाजा जिन कामों को 2 महीने पहले ही पूरा हो जाना चाहिए था, उनमें अभी भी सुस्त गति से काम चल रहा है. आधे अधूरे मजदूरों के साथ निर्माण की प्रक्रिया पूरी तरह से बाधित है.

वहीं काम करने वाले मजदूरों का कहना है कि इसके अलावा जबलपुर में सोने के कारोबार में गहने बनाने वाले बंगाल के मजदूर काम किया करते थे, मिठाई के कारोबार में राजस्थान से आने वाले लोग काम किया करते थे, और छोटी-बड़ी कई फैक्ट्रियों में छत्तीसगढ़ उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग मजदूरी किया करते थे, लेकिन कोरोना संक्रमण और रेलगाड़ियों के आवागमन के बंद होने की वजह से कोई मजदूर वापस नहीं आया है.

मजदूरों का वापस नहीं आना इस बात का स्पष्ट संकेत है की कारोबार अभी भी पटरी पर नहीं लौटा है और मजदूरों के हाथ में कोई काम नहीं है. वहीं कारोबारियों के पास भी काम नहीं है, पूरे बाजार में सुस्ती छाई हुई है, जिससे काम होता हुआ भी नजर नहीं आ रहा है, वहीं नए काम में अभी कोई हाथ नहीं डाल रहा है. कुल मिलाकर कोरोना संक्रमण ने आम आदमी के साथ अर्थव्यवस्था की भी जान निकाल दी है.

जबलपुर। कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन की वजह से कई उद्योगों को भारी नुकसान हुआ है. आजाद भारत के इतिहास में उद्योग को इतना ज्यादा नुकसान संभवत पहले कभी नहीं हुआ, जैसे ही लॉक डाउन शुरू हुआ, जबलपुर में काम कर रहे मजदूरों ने भी अपने घरों का रुख कर लिया, और बड़ी जद्दोजहद के बाद जबलपुर से निकल पाए. वहीं अब अनलॉक-5 के बाद प्रदेश में लगभग सब कुछ सामान्य हो रहा है, लेकिन लोगों में कोरोन का डर अभी भी है, यहीं वजह है कि मजदूर अब अपने घरों से वापस काम पर नहीं लौट रहे हैं.

लॉकडाउन के बाद से ही नहीं लौट रहे मजदूर

कारोबारियों का कहना है कि न तो वो मजदूर लौटे हैं और न ही बाजार में इतनी तेजी है, कि उन्हें बुलाया जा सके. जबलपुर के कई कारोबार ऐसे हैं, जिनमें देश के दूसरे इलाकों से मजदूर आकर काम किया करते थे, लेकिन लगभग 6 महीने बीतने को हैं, वह मजदूर वापस नहीं आए हैं. वहीं कारोबारियों का यह भी कहना है, कि उनके पास पहले से माल पड़ा हुआ है, और उनकी पूरी कोशिश है, कि पहले उसे बेचे और जब नए माल की मांग होगी, तब वे मजदूरों को बुलाएंगे.

जबलपुर, रेडीमेड गारमेंट मेन्यूफेक्चरिंग का है हब

जबलपुर रेडीमेड गारमेंट मेन्यूफेक्चरिंग का एक बड़ा हब है. जबलपुर में सलवार सूट, बच्चों के कपड़े शर्ट और दूसरे कपड़े बनाने वाले कई छोटे और बड़े कारखाने हैं. वहीं जबलपुर रेडीमेड गारमेंट मेनूफेक्चरिंग एसोसिएशन का कहना है कि जबलपुर में हजार से ज्यादा छोटी और बड़ी इकाइयां हैं, जो या तो खुद रेडीमेड गारमेंट बनाती हैं, या फिर इस इंडस्ट्री को सपोर्ट करती हैं. मसलन एंब्रॉयडरी के कारखाने, कपड़ों की रंगाई के कारखाने, कपड़ों की सिलाई के कारखाने, उनकी धुलाई-पैकिंग के कारखाने, पैकिंग मैटेरियल बनाने वालों के कारखाने, ऐसी कई इकाइयां एक साथ काम करती हैं, और इनमें ज्यादातर मजदूर उत्तर प्रदेश और बिहार के होते हैं, जो इन कामों में पारंगत हैं. इसके साथ बड़ी तादाद में स्थानीय मजदूर भी होते हैं, लेकिन जैसे ही लॉकडाउन लगा, इन कारखानों में काम करने वाले मजदूर वापस बिहार और उत्तर प्रदेश लौट गए.

दूसरे प्रदेशों से आते थे मजदूर

वहीं जबलपुर में होटल उद्योग में प्रदेश के दूसरे जिलों से आकर लोग काम किया करते थे. इनमें वेटर, कुक, रिसेप्शनिस्ट, साफ-सफाई करने वाले कर्मचारी जैसे हजारों कर्मचारी शहर की 100 से ज्यादा होटलों में नौकरी कर रहे थे. एक मॉल के मैनेजर का कहना है कि उनके मॉल में 300 से ज्यादा कर्मचारी थे इनमें से आधे लोग चले गए हैं जो अब तक नहीं लौटे हैं और 6 महीने बीतने को है, ऐसा लगता है कि वे अब नहीं आएंगे. हालांकि अभी मॉल में व्यापारिक नुकसान हो रहा है, इसलिए कर्मचारियों को दोबारा बुलाया भी नहीं जा रहा है, यहां पर भी कारोबार ठप है.

जबलपुर शहर तेजी से विकसित होते शहरों में से है, यहां निर्माण के कई बड़े काम चल रहे हैं, और इन कामों में दक्षिण के कई प्रदेशों से लोग काम करने के लिए आते हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से लोग डरे हुए हैं, और इन साइट पर काम करने के लिए नहीं आ रहे हैं. लिहाजा जिन कामों को 2 महीने पहले ही पूरा हो जाना चाहिए था, उनमें अभी भी सुस्त गति से काम चल रहा है. आधे अधूरे मजदूरों के साथ निर्माण की प्रक्रिया पूरी तरह से बाधित है.

वहीं काम करने वाले मजदूरों का कहना है कि इसके अलावा जबलपुर में सोने के कारोबार में गहने बनाने वाले बंगाल के मजदूर काम किया करते थे, मिठाई के कारोबार में राजस्थान से आने वाले लोग काम किया करते थे, और छोटी-बड़ी कई फैक्ट्रियों में छत्तीसगढ़ उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग मजदूरी किया करते थे, लेकिन कोरोना संक्रमण और रेलगाड़ियों के आवागमन के बंद होने की वजह से कोई मजदूर वापस नहीं आया है.

मजदूरों का वापस नहीं आना इस बात का स्पष्ट संकेत है की कारोबार अभी भी पटरी पर नहीं लौटा है और मजदूरों के हाथ में कोई काम नहीं है. वहीं कारोबारियों के पास भी काम नहीं है, पूरे बाजार में सुस्ती छाई हुई है, जिससे काम होता हुआ भी नजर नहीं आ रहा है, वहीं नए काम में अभी कोई हाथ नहीं डाल रहा है. कुल मिलाकर कोरोना संक्रमण ने आम आदमी के साथ अर्थव्यवस्था की भी जान निकाल दी है.

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