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नसबंदी बनी असुविधाओं की बंदी, टारगेट के चक्कर में 'टारगेट' हुईं महिलाएं

जबलपुर के चरगवां स्वास्थ्य केंद्र में टारगेट के चक्कर में 40 महिलाओं की नसबंदी की तैयारी की गई, इनमें से 6 महिलाओं को तो बिस्तर नसीब हो गया, लेकिन बाकी की 34 महिलाओं को इस कड़ाके की ठंड में जमीन पर ही लिटा दिया गया.

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Published : Dec 25, 2019, 8:41 PM IST

Updated : Dec 26, 2019, 2:11 AM IST

Women lie on ground after sterilization in Jabalpur district
टारगेट के चक्कर में 'टारगेट' हुईं महिलाएं

जबलपुर। जनसंख्या नियंत्रण के लिहाज से ग्रामीण अंचलों में आयोजित होने वाले नसबंदी शिविर किस ढर्रे में चल रहे हैं, इसकी बानगी इन तस्वीरों को देखकर समझी जा सकती है. जबलपुर जिले के चरगवां स्वास्थ्य केंद्र में नसबंदी का आंकड़ा पूरा करने के लिए बीते महीने से नसबंदी शिविरों का आयोजन हो रहा है और टारगेट पूरा करने के चक्कर में ये शिविर असुविधाओं की भेंट चढ़ रहे हैं.

नसबंदी बनी असुविधाओं की बंदी


प्रदेश में हर बार कोई न कोई अव्यवस्था नसबंदी शिविरों में आसानी से देखी जा रही है, लेकिन इस बार तो हद ही पार हो गई. चरगवां स्वास्थ्य केंद्र में टारगेट के चक्कर में 40 महिलाओं की नसबंदी की तैयारी की गई, इनमें से 6 महिलाओं को तो बिस्तर नसीब हो गया, लेकिन बाकी की 34 महिलाओं को इस कड़ाके की ठंड में जमीन पर ही लिटा दिया गया.


पलंग की परेशानी के साथ ही स्ट्रेचर भी स्वास्थ्य केंद्रों से नदारद रहे. ऑपरेशन के बाद दर्द से कराहती महिलाओं को परिजन हाथों पर ढोते देखे गए. हैरान कर देने वाली इन तस्वीरों में और हैरान जिला स्वास्थ्य अधिकारी के बयान ने कर दिया. पूरे मामले से मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी मनीष मिश्रा अनजान नहीं थे. उन्होंने खुद मानते हुए कहा कि स्वास्थ्य केंद्र 6 बिस्तरों वाला है, ऐसे में 40 मरीजों को कहां से बिस्तर नसीब होगा. स्वास्थ्य अधिकारी के इस बयान के बाद सवाल भी खड़ा होता है कि क्या टारगेट के चक्कर मे मानवीय संवेदनाओं को भी दरकिनार किया जा रहा है. अगर स्वास्थ्य केंद्र में बिस्तर उपलब्ध नहीं है तो फिर इन्हें जबलपुर के जिला चिकित्सालय में रेफर क्यों नहीं किया गया.


कड़कड़ाती ठंड में यदि साहब के किसी परिजन को ऑपरेशन कर जमीन में लिटा दिया जाए तो शायद वो आग बबूला हो जायें, लेकिन ग्रामीणों के लिए जमीन पर बिस्तर की व्यवस्था इन साहबों के लिए सबसे बेहतर है.

जबलपुर। जनसंख्या नियंत्रण के लिहाज से ग्रामीण अंचलों में आयोजित होने वाले नसबंदी शिविर किस ढर्रे में चल रहे हैं, इसकी बानगी इन तस्वीरों को देखकर समझी जा सकती है. जबलपुर जिले के चरगवां स्वास्थ्य केंद्र में नसबंदी का आंकड़ा पूरा करने के लिए बीते महीने से नसबंदी शिविरों का आयोजन हो रहा है और टारगेट पूरा करने के चक्कर में ये शिविर असुविधाओं की भेंट चढ़ रहे हैं.

नसबंदी बनी असुविधाओं की बंदी


प्रदेश में हर बार कोई न कोई अव्यवस्था नसबंदी शिविरों में आसानी से देखी जा रही है, लेकिन इस बार तो हद ही पार हो गई. चरगवां स्वास्थ्य केंद्र में टारगेट के चक्कर में 40 महिलाओं की नसबंदी की तैयारी की गई, इनमें से 6 महिलाओं को तो बिस्तर नसीब हो गया, लेकिन बाकी की 34 महिलाओं को इस कड़ाके की ठंड में जमीन पर ही लिटा दिया गया.


पलंग की परेशानी के साथ ही स्ट्रेचर भी स्वास्थ्य केंद्रों से नदारद रहे. ऑपरेशन के बाद दर्द से कराहती महिलाओं को परिजन हाथों पर ढोते देखे गए. हैरान कर देने वाली इन तस्वीरों में और हैरान जिला स्वास्थ्य अधिकारी के बयान ने कर दिया. पूरे मामले से मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी मनीष मिश्रा अनजान नहीं थे. उन्होंने खुद मानते हुए कहा कि स्वास्थ्य केंद्र 6 बिस्तरों वाला है, ऐसे में 40 मरीजों को कहां से बिस्तर नसीब होगा. स्वास्थ्य अधिकारी के इस बयान के बाद सवाल भी खड़ा होता है कि क्या टारगेट के चक्कर मे मानवीय संवेदनाओं को भी दरकिनार किया जा रहा है. अगर स्वास्थ्य केंद्र में बिस्तर उपलब्ध नहीं है तो फिर इन्हें जबलपुर के जिला चिकित्सालय में रेफर क्यों नहीं किया गया.


कड़कड़ाती ठंड में यदि साहब के किसी परिजन को ऑपरेशन कर जमीन में लिटा दिया जाए तो शायद वो आग बबूला हो जायें, लेकिन ग्रामीणों के लिए जमीन पर बिस्तर की व्यवस्था इन साहबों के लिए सबसे बेहतर है.

Intro:जबलपुर,
चरगवां स्वास्थ्य केंद्र में शर्मसार कर देने वाली तस्वीर आई सामने,
इससे पहले भी आ चुकी है भिड़की स्वास्थ्य केंद्र की शर्मसार करने बाली तस्वीर,
नसबंदी के बाद ज़मीन पर छोड़ दी गई महिलाएं,
चरगवां स्वास्थ्य केंद्र में नही है पलंग और स्ट्रेचर की व्यबस्था,
टारगेट के चक्कर मे तार तार हुई व्यवस्थाएं,
कड़कड़ाती ठंड में महिलाओं को नसीब हो रही ज़मीन,
ज़िम्मेदारों ने साधा मौन,
BMO चंद्र कुमार अतरौलिया के निर्देशन में चल रहा है नसबन्दी का काम,
चरगवां औऱ भिड़की में होना है 475 नसवंदी,Body:एंकर - जनसंख्या नियंत्रण के लिहाज से ग्रामीण अंचलों में आयोजित होने वाले नसबंदी शिविर किस ढर्रे में चल रहे हैं इसकी बानगी इन तस्वीरों को देखकर समझी जा सकती है। चरगवां स्वास्थ्य केंद्र में नसबंदी का आंकड़ा पूरा करने के लिए गत महीने से नसबंदी शिविरों का आयोजन हो रहा है ,,,,हर बार कोई न कोई अव्यवस्था आसानी से देखी जा रही है लेकिन इस बार तो हद ही पार हो गई । चरगवां स्वास्थ्य केंद्र में टारगेट के चक्कर में 40 महिलाओं की नसबंदी की तैयारी की गई ,,,,6 महिलाओं को तो बिस्तर नसीब हो गया लेकिन बाकी की 34 महिलाएं एक वैकल्पिक इंतजाम को नसीब कर सकी। यह वैकल्पिक इंतजाम मानवीय दृष्टिकोण से बिल्कुल भी स्वीकार करने योग्य नहीं था,,,, महिलाओं को जमीन में बिस्तर पर लिटाया गया ,,,तस्वीरें कुछ ऐसी बनी कि मानो स्वास्थ्य केंद्र कम मुर्दाघर ज्यादा लग रहा था । एक के बाद एक महिलाओं को इस कदर लिटा दिया गया जैसे इनमें जान ही न बची हो । एक तो बिस्तर नही ऊपर से स्ट्रेचर भी स्वास्थ्य केंद्रों से नदारद रहे । दर्द से कराहती महिलाओं को परिजन खुद स्ट्रेचर बनकर ढोते देखे गए । हैरान कर देने वाली इन तस्वीरों में और हैरान जिला स्वास्थ्य अधिकारी के बयान ने कर दिया । पूरे मामले से मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी मनीष मिश्रा अनजान नही थे , उन्होंने खुद स्वीकारा की स्वास्थ्य केंद्र 6 बिस्तरों वाला है ऐसे में 40 मरीजो को कहाँ से बिस्तर नसीब होगा । इस बयान के बाद ये सवाल भी खड़ा होता है कि क्या टारगेट के चक्कर मे मानवीय संवेदनाओं को भी दर किनार कर दिया जाता है । अगर स्वास्थ्य केंद्र में बिस्तर उपलब्ध नही है तो फिर इन्हें जबलपुर के जिला चिकित्सालय में रेफर क्यों नही किया गया ।
बाइट - मनीष मिश्र मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारीConclusion:कड़कड़ाती ठंड में ब्डभ्व् साहब के अगर किसी परिजन को आपरेशन कर जमीन में लिटा दिया जाए तो शायद वो आग बबूला हो जाये ,, लेकिन ग्रामीणों के लिए जमीन पर बिस्तर की व्यवस्था सबसे बेहतर है ।
Last Updated : Dec 26, 2019, 2:11 AM IST
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