जबलपुर। जनसंख्या नियंत्रण के लिहाज से ग्रामीण अंचलों में आयोजित होने वाले नसबंदी शिविर किस ढर्रे में चल रहे हैं, इसकी बानगी इन तस्वीरों को देखकर समझी जा सकती है. जबलपुर जिले के चरगवां स्वास्थ्य केंद्र में नसबंदी का आंकड़ा पूरा करने के लिए बीते महीने से नसबंदी शिविरों का आयोजन हो रहा है और टारगेट पूरा करने के चक्कर में ये शिविर असुविधाओं की भेंट चढ़ रहे हैं.
प्रदेश में हर बार कोई न कोई अव्यवस्था नसबंदी शिविरों में आसानी से देखी जा रही है, लेकिन इस बार तो हद ही पार हो गई. चरगवां स्वास्थ्य केंद्र में टारगेट के चक्कर में 40 महिलाओं की नसबंदी की तैयारी की गई, इनमें से 6 महिलाओं को तो बिस्तर नसीब हो गया, लेकिन बाकी की 34 महिलाओं को इस कड़ाके की ठंड में जमीन पर ही लिटा दिया गया.
पलंग की परेशानी के साथ ही स्ट्रेचर भी स्वास्थ्य केंद्रों से नदारद रहे. ऑपरेशन के बाद दर्द से कराहती महिलाओं को परिजन हाथों पर ढोते देखे गए. हैरान कर देने वाली इन तस्वीरों में और हैरान जिला स्वास्थ्य अधिकारी के बयान ने कर दिया. पूरे मामले से मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी मनीष मिश्रा अनजान नहीं थे. उन्होंने खुद मानते हुए कहा कि स्वास्थ्य केंद्र 6 बिस्तरों वाला है, ऐसे में 40 मरीजों को कहां से बिस्तर नसीब होगा. स्वास्थ्य अधिकारी के इस बयान के बाद सवाल भी खड़ा होता है कि क्या टारगेट के चक्कर मे मानवीय संवेदनाओं को भी दरकिनार किया जा रहा है. अगर स्वास्थ्य केंद्र में बिस्तर उपलब्ध नहीं है तो फिर इन्हें जबलपुर के जिला चिकित्सालय में रेफर क्यों नहीं किया गया.
कड़कड़ाती ठंड में यदि साहब के किसी परिजन को ऑपरेशन कर जमीन में लिटा दिया जाए तो शायद वो आग बबूला हो जायें, लेकिन ग्रामीणों के लिए जमीन पर बिस्तर की व्यवस्था इन साहबों के लिए सबसे बेहतर है.