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27 फीसदी आरक्षण को लेकर कमलनाथ सरकार के सामने नई चुनौती, हाई कोर्ट ने मांगा जवाब

मध्यप्रदेश में पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने के विधेयक को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है, कमलनाथ सरकार के फैसले के खिलाफ अल्ट्रा वायरस पिटीशन दायर की गई.

हाईकोर्ट, जबलपुर
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Published : Aug 10, 2019, 10:00 AM IST

जबलपुर। राज्य सरकार और मध्यप्रदेश संघ लोक सेवा आयोग को हाई कोर्ट ने नोटिस दिया है जिसमें प्रदेश के पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने के मामले में जवाब मांगा है. प्रदेश में इस बिल को पास कर दिया और इसे लागू भी कर दिया गया. इस विधेयक के खिलाफ मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में एक अल्ट्रा वायरस पिटीशन दायर की गई है.

कमलनाथ सरकार के फैसले के खिलाफ अल्ट्रा वायरस पिटीशन दायर


कमलनाथ सरकार ने पिछड़ा वर्ग के लोगों को खुश करने के लिए उनके आरक्षण को 14 फीसदी के बजाए 27 फीसदी कर दिया है, इसकी वजह से प्रदेश में आरक्षण का कुल प्रतिशत 50 फीसदी से अधिक हो गया है यदि 10 फीसदी आर्थिक आधार वाले आरक्षण को भी इसमें जोड़ दिया जाए तो इसका कुल प्रतिशत 73 प्रतिशत तक पहुंच रहा है और इसकी वजह से सामान्य वर्ग के छात्रों को महज 27 प्रतिशत सीटें ही मिल पा रही हैं, जो संविधान की मूल भावना और सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा साहनी मामले में फैसले के खिलाफ है.


सुप्रीम कोर्ट ने लगभग 26 साल पहले इंदिरा साहनी मामले में एक फैसला सुनाया था, जिसमें कहा गया था किसी भी सूरत में एससीएसटी ओबीसी वर्ग का आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं हो सकता. प्रदेश में पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण मिलने के बाद इसका कुल प्रतिशत 50 से ज्यादा हो गया है.


मध्यप्रदेश में पिछड़ा वर्ग को दिए गए 27 फीसदी आरक्षण को दोबारा 14 फीसदी पर लाने के लिए हाईकोर्ट में अल्ट्रा वायरस पिटिशन दायर की गई है. अल्ट्रा वायरस पिटीशन सदन में पास किए गए विधेयक के खिलाफ हाई कोर्ट में लगाई जाती है ताकि कानून को बदला जा सके. ये याचिका सामान्य वर्ग के 4 छात्रों की ओर से लगाई गई है जो पीएससी की परीक्षा में बैठे थे.

फिलहाल, हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार और मध्यप्रदेश संघ लोक सेवा आयोग को नोटिस जारी कर 3 सप्ताह में जवाब मांगा गया है.

जबलपुर। राज्य सरकार और मध्यप्रदेश संघ लोक सेवा आयोग को हाई कोर्ट ने नोटिस दिया है जिसमें प्रदेश के पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने के मामले में जवाब मांगा है. प्रदेश में इस बिल को पास कर दिया और इसे लागू भी कर दिया गया. इस विधेयक के खिलाफ मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में एक अल्ट्रा वायरस पिटीशन दायर की गई है.

कमलनाथ सरकार के फैसले के खिलाफ अल्ट्रा वायरस पिटीशन दायर


कमलनाथ सरकार ने पिछड़ा वर्ग के लोगों को खुश करने के लिए उनके आरक्षण को 14 फीसदी के बजाए 27 फीसदी कर दिया है, इसकी वजह से प्रदेश में आरक्षण का कुल प्रतिशत 50 फीसदी से अधिक हो गया है यदि 10 फीसदी आर्थिक आधार वाले आरक्षण को भी इसमें जोड़ दिया जाए तो इसका कुल प्रतिशत 73 प्रतिशत तक पहुंच रहा है और इसकी वजह से सामान्य वर्ग के छात्रों को महज 27 प्रतिशत सीटें ही मिल पा रही हैं, जो संविधान की मूल भावना और सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा साहनी मामले में फैसले के खिलाफ है.


सुप्रीम कोर्ट ने लगभग 26 साल पहले इंदिरा साहनी मामले में एक फैसला सुनाया था, जिसमें कहा गया था किसी भी सूरत में एससीएसटी ओबीसी वर्ग का आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं हो सकता. प्रदेश में पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण मिलने के बाद इसका कुल प्रतिशत 50 से ज्यादा हो गया है.


मध्यप्रदेश में पिछड़ा वर्ग को दिए गए 27 फीसदी आरक्षण को दोबारा 14 फीसदी पर लाने के लिए हाईकोर्ट में अल्ट्रा वायरस पिटिशन दायर की गई है. अल्ट्रा वायरस पिटीशन सदन में पास किए गए विधेयक के खिलाफ हाई कोर्ट में लगाई जाती है ताकि कानून को बदला जा सके. ये याचिका सामान्य वर्ग के 4 छात्रों की ओर से लगाई गई है जो पीएससी की परीक्षा में बैठे थे.

फिलहाल, हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार और मध्यप्रदेश संघ लोक सेवा आयोग को नोटिस जारी कर 3 सप्ताह में जवाब मांगा गया है.

Intro:मध्यप्रदेश में पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण देने के विधेयक को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में दी गई चुनौती सरकार की फैसले के खिलाफ अल्ट्रा वायरस पिटिशन दायर की गई


Body:जबलपुर राज्य सरकार ने पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण देने का विधेयक पास कर लिया और इसे लागू भी कर दिया इसी विधायक के खिलाफ मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में आज एक अल्ट्रा वायरस पिटिशन दायर की गई है

मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने पिछड़ा वर्ग के लोगों को खुश करने के लिए उनके आरक्षण को 14% के बजाय 27% कर दिया है इसकी वजह से मध्य प्रदेश में आरक्षण का कुल प्रतिशत 50% से अधिक हो गया है बल्कि 10% आर्थिक आधार वाले आरक्षण को भी जोड़ दिया जाए तो आरक्षण का कुल प्रतिशत 73 प्रतिशत तक पहुंच जाता है और इसकी वजह से सामान्य वर्ग के छात्रों को कुल जमा 27 प्रतिशत सीटें ही मिल पा रहे हैं जो संविधान की मूल भावना और सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा साहनी मामले में फैसले के खिलाफ है जिसमें यह कहा गया था किसी भी सूरत में आरक्षण 50% से अधिक नहीं होना चाहिए

पिछड़ा वर्ग को दिए गए 27% आरक्षण को दोबारा 14% पर लाने के लिए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक अल्ट्रा वायरस पिटिशन दायर की गई है अल्ट्रा वायरस पिटिशन सदन में पास किए गए विधेयक के खिलाफ हाई कोर्ट में लगाई जाती है ताकि कानून को बदला जा सके यह याचिका सामान्य वर्ग के 4 छात्रों की ओर से लगाई गई है जो पीएससी की परीक्षा में बैठे थे


Conclusion:आरक्षण हमारे समाज की बुराई बन गया है अब इसका फायदा कम और नुकसान ज्यादा हो रहा है इसलिए आरक्षण को बढ़ाने की बजाए खत्म करने की ओर कोशिश करनी चाहिए फिलहाल इस मामले में राज्य सरकार और मध्य प्रदेश संघ लोक सेवा आयोग को नोटिस जारी करके 3 सप्ताह में जवाब मांगा गया है
आदित्य संघी एडवोकेट हाई कोर्ट
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