जबलपुर। प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेने के बाद भी मेडिकल विश्वविद्यालय द्वारा एनरोलमेंट नम्बर जारी नहीं किए जाने को लेकर याचिका दायर की गई. याचिका में कहा गया कि एनरोलमेंट नम्बर जारी नहीं होने के कारण छात्र परीक्षा में बैठने से वंचित रह गया. इस मामले में हाई कोर्ट जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस वी सिंह की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
मेडिकल छात्र ने दाखिल की थी याचिका
याचिकाकर्ता श्रुति पाटीदार की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि वह नीट परीक्षा 2019 में शामिल हुई थी. नीट परीक्षा में उसे 362 अंक प्राप्त हुए थे और उसका दाखिला अमलतास मेडिकल कॉलेज में कॉलेज स्तरीय काउसिंल से मिला था. दाखिले मिलने के बाद उसने निर्धारित शुल्क जमा किया और कॉलेज की आंतरिक परीक्षा में शामिल हुई. कोरोना काल के कारण मेडिकल विश्वविद्यालय ने उसका एनरोलमेंट नम्बर इस आधार पर जारी करने से इंकार कर दिया कि उसका दाखिला कॉलेज स्तरीय कॉउसिंल से हुआ था. इस संबंध में कॉलेज प्रबंधन द्वारा मेडिकल विश्वविद्यालय और संचालक मेडिकल एजुकेशन से भी बात की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. जिसके कारण उक्त याचिका दायर की गयी.
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हाई कोर्ट ने जारी किया नोटिस
याचिका में कहा गया था कि प्रथम वर्ष की परीक्षा 18 महीने बाद होती है, लेकिन कोरोना काल के कारण परीक्षा का आयोजन लगभग दो साल में हुआ. एनरोलमेंट नम्बर जारी नहीं किए जाने के कारण वह परीक्षा में शामिल नहीं हो सकी और दो साल की पढाई बर्बाद हो गई. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.