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Sidhi Peshab Kand: सीधी पेशाब कांड में बीजेपी नेता पर NSA लगाने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई, हाईकोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला - सीधी पेशाब कांड में हाईकोर्ट का फैसला

आज सीधी के पेशाब कांड मामले में बीजेपी नेता के खिलाफ एनएसए लगाने की चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले में माननीय अदालत ने आदेश सुरक्षित रख लिए है.

Sidhi Peshab Kand
मप्र हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 22, 2023, 9:41 PM IST

जबलपुर। सीधी में आदिवासी व्यक्ति पर पेशाब करने वाले भाजपा नेता के खिलाफ एनएसए के तहत कार्रवाई किए जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने अभय पक्षों के तर्क सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रखने के निर्देश जारी किये हैं.

याचिकाकर्ता कंचन शुक्ला की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि उनका पति प्रवेश शुक्ला एक पार्टी का नेता है. पति की तरफ से एक आदिवासी युवक पर पेशाब करने का वीडियों वायरल होने के बाद इसे राजनीतिक मुददा बना लिया गया. प्रशासन की भी उसके खिलाफ एनएसए के तहत कार्रवाई की गई. याचिका में एनएसए कार्रवाई की वैधता को चुनौती दी गई थी.

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याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया- उसका कोई अपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. मामले को राजनीतिक मुद्दे का रूप दिया गया था. इसके कारण प्रशासन ने आरोपी के खिलाफ एनएसए की कार्रवाई की है. एनएसए की कार्रवाई अनुच्छेद 21 का उल्लंधन है.

सरकार की तरफ से क्या बताया? सरकार की तरफ से युगलपीठ को बताया गया था कि पब्लिक आर्डर के तहत आरोपी के खिलाफ कार्रवाई की गई है. इस संबंध में सर्वाेच्च न्यायालय की तरफ से पारित आदेश का हवाला भी दिया गया था. राज्य सरकार की तरफ से भी एनएसआई की कार्रवाई पर सहमत्ति प्रदान कर दी गई है.

याचिकाकर्ता की तरफ से बताया- वायरल वीडियो साल 2020 का है. तीन साल बाद वीडियो के आधार पर एनएसए की कार्रवाई करना अवैधानिक है. किसी प्रकार के दंगे या विवाद की कोई स्थिति निर्मित नहीं हुई थी. सीएम की तरफ से सोशल मीडिया पर गई पोस्ट का हवाला देते हुए कहा गया- यह पब्लिक आर्डर के तहत नहीं सीएम आर्डर के तहत कार्रवाई की गई है. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखने के आदेश जारी किए हैं. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अनिरूध्द मिश्रा ने पैरवी की.

जबलपुर। सीधी में आदिवासी व्यक्ति पर पेशाब करने वाले भाजपा नेता के खिलाफ एनएसए के तहत कार्रवाई किए जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने अभय पक्षों के तर्क सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रखने के निर्देश जारी किये हैं.

याचिकाकर्ता कंचन शुक्ला की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि उनका पति प्रवेश शुक्ला एक पार्टी का नेता है. पति की तरफ से एक आदिवासी युवक पर पेशाब करने का वीडियों वायरल होने के बाद इसे राजनीतिक मुददा बना लिया गया. प्रशासन की भी उसके खिलाफ एनएसए के तहत कार्रवाई की गई. याचिका में एनएसए कार्रवाई की वैधता को चुनौती दी गई थी.

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याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया- उसका कोई अपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. मामले को राजनीतिक मुद्दे का रूप दिया गया था. इसके कारण प्रशासन ने आरोपी के खिलाफ एनएसए की कार्रवाई की है. एनएसए की कार्रवाई अनुच्छेद 21 का उल्लंधन है.

सरकार की तरफ से क्या बताया? सरकार की तरफ से युगलपीठ को बताया गया था कि पब्लिक आर्डर के तहत आरोपी के खिलाफ कार्रवाई की गई है. इस संबंध में सर्वाेच्च न्यायालय की तरफ से पारित आदेश का हवाला भी दिया गया था. राज्य सरकार की तरफ से भी एनएसआई की कार्रवाई पर सहमत्ति प्रदान कर दी गई है.

याचिकाकर्ता की तरफ से बताया- वायरल वीडियो साल 2020 का है. तीन साल बाद वीडियो के आधार पर एनएसए की कार्रवाई करना अवैधानिक है. किसी प्रकार के दंगे या विवाद की कोई स्थिति निर्मित नहीं हुई थी. सीएम की तरफ से सोशल मीडिया पर गई पोस्ट का हवाला देते हुए कहा गया- यह पब्लिक आर्डर के तहत नहीं सीएम आर्डर के तहत कार्रवाई की गई है. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखने के आदेश जारी किए हैं. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अनिरूध्द मिश्रा ने पैरवी की.

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