जबलपुर। डेढ दशक बाद भी सीवर लाइन का कार्य पूर्ण नहीं होने को हाई कोर्ट ने गंभीरता से लिया है. हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस संजय द्विवेदी को सरकार की तरफ से फंड नहीं होने की जानकारी दी गई. सरकार की तरफ से बताया गया कि केन्द्र सरकार की अमृत योजना के तहत कुछ राशि उपलब्ध है. इसके अलावा केन्द्र सरकार की अन्य योजना की राशि प्राप्त होनी है, जिसके बाद राशि स्वीकृति पर निर्णय लिया जायेगा. युगलपीठ ने जबलपुर निगामायुक्त को निर्देषित किया है कि वह व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर न्यायालय को फंड के संबंध में जानकारी प्रदान करें. याचिका पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की गई है.
400 करोड़ से अधिक का किया गया व्यय
गौरतलब है कि, शहर में कछुए की गति से जारी सीवर लाइन कार्य और कार्य के दौरान सड़कों को खोदे जाने के मामले को हाई कोर्ट ने संज्ञान में लेते हुए मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में करने के निर्देश दिये गए थे. वहीं इसी मुद्दे को लेकर सौरभ शर्मा की ओर से भी एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिस पर दोनों ही माामलों की संयुक्त रूप से हाई कोर्ट में सुनवाई की जा रहीं है. मामले की पूर्व सुनवाई पर युगलपीठ को बताया गया था कि सीवर लाइन पर 400 करोड़ रुपये से अधिक का व्यय किया गया है, लेकिन डेढ़ दशक बीत जाने के बावजूद भी निर्माण कार्य अधूरा है.
दुष्कर्म और ब्लैकमेल के आरोपी को जबलपुर कोर्ट से नहीं मिली राहत
याचिकाकर्ता की तरफ से युगलपीठ को बताया गया कि पिछले डेढ़ दशक से सीवर लाइन का कार्य चल रहा है. अभी तक चार सौ करोड़ रुपये व्यय हो गए है. महज 30 प्रतिशत कार्य हुआ है. ऐसी गति से कार्य जारी रहा, तो सीवर लाइन कार्य में कई दशक लग जायेंगे.
पूर्व में युगलपीठ ने मुख्य तकनीकी परीक्षक को जांच कर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे. रिपोर्ट में कहा गया कि नगर निगम ने 533 करोड़ रुपये की मांग की है. नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा आवश्यक फंड नहीं होने की जानकारी पेश की गई. सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किए. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संधी और कोर्ट मित्र के रूप में अधिवक्ता अनूप नायर हाजिर हुए.