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सुरक्षा संस्थानों के निजीकरण कर्मचारियों ने किया विरोध, सांसद राकेश सिंह और विवेक तन्खा को सौंपा ज्ञापन - Jabalpur News

सुरक्षा समितियों के निजीकरण के विरोध में जबलपुर में ओएफके, जीसीएफ, व्हीएफजे और जीआईएफ के फैक्टरी के हजारों कर्मचारियों ने सांसद राकेश सिंह और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ज्ञापन सौंपकर विरोध जताया.

निजीकरण के विरोध में कर्मचारियों का प्रर्दशन
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Published : Aug 17, 2019, 11:56 PM IST

जबलपुर। सुरक्षा संस्थानों के निजीकरण पर केंद्र सरकार ने सहमति दे दी है. जिसका विरोध करते हुए जबलपुर जिले में सभी चारों फैक्टरी ओएफके, जीसीएफ, व्हीएफजे और जीआईएफ के हजारों कर्मचारियों ने इस फैसले के विरोध में सांसद राकेश सिंह और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा को ज्ञापन सौंपा है.

निजीकरण के विरोध में कर्मचारियों का प्रर्दशन

हालांकि सांसदों को ज्ञापन सौंपने पहुंचे कर्मचारियों को पुलिस बल ने रोका जिससे कर्मचारी भड़क गये और हंगामा शुरु हो गया. कर्मचारियों ने कहा कि हमारे ही चुने प्रतिनिधि के सामने अपनी मांग रखने तक कि आजादी नहीं दी जा रही है. कर्मचारी नेता अरुण दुबे का कहना है अगर सुरक्षा संस्थान निजी हाथों में चली गई तो पूरा देश बर्बाद हो जाएगा. क्योंकि अभी तक जो गोला बारूद सेना को सप्लाई किया जाता था वही गोला बारूद निजी पूंजीपति डकैतों और आतंकवादियों को सप्लाई करेंगे जिससे कि देश की सुरक्षा में भी खतरा बढेगा. यही वजह है कि हम किसी भी कीमत में सुरक्षा संस्थानों को निजी करण नहीं होने देंगे

कर्मचारियों का कहना है 20 अगस्त से 1 माह के लिए देश भर के तमाम सुरक्षा संस्थान और उनके सहयोगी कार्यालय में पूरी तरह से काम बंद कर हड़ताल की जाएगी. इसके बाद भी अगर केंद्र सरकार निजीकरण को लेकर अपना रुख साफ नहीं करती है तो अनिश्चितकाल के लिए भी सुरक्षा संस्थानों में हड़ताल हो सकती है जिसकी जिम्मेदार पूरी तरह से केंद्र सरकार होगी.

जबलपुर। सुरक्षा संस्थानों के निजीकरण पर केंद्र सरकार ने सहमति दे दी है. जिसका विरोध करते हुए जबलपुर जिले में सभी चारों फैक्टरी ओएफके, जीसीएफ, व्हीएफजे और जीआईएफ के हजारों कर्मचारियों ने इस फैसले के विरोध में सांसद राकेश सिंह और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा को ज्ञापन सौंपा है.

निजीकरण के विरोध में कर्मचारियों का प्रर्दशन

हालांकि सांसदों को ज्ञापन सौंपने पहुंचे कर्मचारियों को पुलिस बल ने रोका जिससे कर्मचारी भड़क गये और हंगामा शुरु हो गया. कर्मचारियों ने कहा कि हमारे ही चुने प्रतिनिधि के सामने अपनी मांग रखने तक कि आजादी नहीं दी जा रही है. कर्मचारी नेता अरुण दुबे का कहना है अगर सुरक्षा संस्थान निजी हाथों में चली गई तो पूरा देश बर्बाद हो जाएगा. क्योंकि अभी तक जो गोला बारूद सेना को सप्लाई किया जाता था वही गोला बारूद निजी पूंजीपति डकैतों और आतंकवादियों को सप्लाई करेंगे जिससे कि देश की सुरक्षा में भी खतरा बढेगा. यही वजह है कि हम किसी भी कीमत में सुरक्षा संस्थानों को निजी करण नहीं होने देंगे

कर्मचारियों का कहना है 20 अगस्त से 1 माह के लिए देश भर के तमाम सुरक्षा संस्थान और उनके सहयोगी कार्यालय में पूरी तरह से काम बंद कर हड़ताल की जाएगी. इसके बाद भी अगर केंद्र सरकार निजीकरण को लेकर अपना रुख साफ नहीं करती है तो अनिश्चितकाल के लिए भी सुरक्षा संस्थानों में हड़ताल हो सकती है जिसकी जिम्मेदार पूरी तरह से केंद्र सरकार होगी.

Intro:जबलपुर
देश भर के सुरक्षा संस्थानों के निजीकरण को लेकर केंद्र सरकार ने अपनी सहमति दे दी है। जिसके बाद अब माना जा रहा है कि सुरक्षा संस्थान जल्द ही निजी हाथों में चले जायेंगे।Body:आज निजीकरण का विरोध करते हुए जबलपुर की सभी चारो फैक्टरी ओएफके,जीसीएफ, व्हीएफजे और जीआईएफ के हजारो कर्मचारी सांसद राकेश सिंह और राज्यसभा सांसद विवेक तंखा के बंगले का घेराव करने जा रहे तभी पहले से तैनात पुलिस बल ने उन्हें व्हीकल मोड़ पर ही रोक दिया जिससे कर्मचारियों का गुस्सा और भड़क गया।कर्मचारी नेताओ का आरोप है हमारे शांतिपूर्ण ढंग से दिए जाने वाले ज्ञापन को सांसद के इशारे पर रोका गया है। हालांकि अपर कलेक्टर ने उनके ज्ञापन को लेकर सांसदों तक पहुंचाने की बात जरूर कर्मचारियों से कही है। कर्मचारी नेता अरुण दुबे की मानें तो अगर सुरक्षा संस्थान निजी हाथों में चली जाएगी तो पूरा देश बर्बाद हो जाएगा। क्योंकि अभी तक जो गोला बारूद सेना को सप्लाई किया जाता था वही गोला बारूद निजी पूंजीपति डकैतों और आतंकवादियों को सप्लाई करेंगे जिससे कि देश की सुरक्षा में भी खतरा बढेगा। यही वजह है कि हम किसी भी कीमत में सुरक्षा संस्थानों को निजी करण नहीं होने देंगे। Conclusion:आने वाले 20 अगस्त से 1 माह के लिए देश भर के तमाम सुरक्षा संस्थान और उनके सहयोगी कार्यालय में पूरी तरह से काम बंद कर हड़ताल की जा रही है इसके बाद भी अगर केंद्र सरकार निजी करण को लेकर अपना रुख साफ नहीं करती है तो अनिश्चितकालीन के लिए भी सुरक्षा संस्थानों में हड़ताल हो सकती है जिसकी जिम्मेदार पूरी तरह से केंद्र सरकार होगी ।
बाईट अरुण दुबे, कर्मचारी नेता
बाईट, संजीव उईके, ए एस पी जबलपुर
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