भोपाल/जबलपुर प्राइवेट स्कूल संचालकों को सरकार की तरफ से छात्रों से सिर्फ ट्यूशन फीस वसूलने के निर्देश दिए गए थे. बावजूद इसके स्कूल संचालक मनमानी पर उतर आए थे. स्कूल छात्रों और पेरेंट्स पर पूरी फीस जमा करने का दबाव बना रहे हैं. फीस न देने पर स्कूल छोड़ने पर छात्रों को टीसी (ट्रांसफर सर्टिफिकेट) भी नही दिए जा रहे हैं. मध्यप्रदेश बाल आयोग के पास ऐसी 350 से ज्यादा शिकायतें पहुंची है. इसे लेकर आयोग शिक्षा विभाग को पत्र भी लिख चुका है. सरकार के सिर्फ ट्यूशन फीस लेने के खिलाफ एक तरफ जहां कई प्राइवेट स्कूल न्यायालय की शरण में पहुंचे थे वहीं नागरिक मंच की तऱफ से भी कोर्ट में याचिका लगाई गई थी. इस मामले में बुधवार को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने फैसला दिया है कि इस मामले में अब आगे कोई सुनवाई नहीं होगी क्योंकि अब स्कूल खुल गए हैं.
सिर्फ ट्यूशन फीस वसूलने के दिए निर्देश
कोरोना काल के दौरान स्कूल बंद रहे और उनमें पढाई नहीं हुई थी. इस दौरान कई प्राइवेट स्कूल ऑनलाइन क्लासेस चला रहे थे. जिसके बाद स्कूल संचालकों ने छात्रों और पेरेंट्स पर फीस जमा करने के लिए दबाव बनाया. पेरेंट्स ने इसका विरोध किया. कोरोना काल के दौरान कई परिवारों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी और वे पढ़ाई नहीं तो फीस नहीं देते हुए विरोध पर उतर आए. जिसके बाद प्रदेश सरकार की तरफ से प्राइवेट स्कूल संचालकों को सख्त निर्देश जारी किए गए थे कि वे सिर्फ ट्यूशन फीस वसूलें. फीस में किसी तरह की कोई बढ़ोत्तरी नहीं की जाएगी. सरकार के इन निर्दशों का विरोध करते हुए कई स्कूल संचालक हाईकोर्ट पहुंचे थे.
सरकार ने सिर्फ ट्यूशन फीस लेने का दिया फरमान, प्राइवेट स्कूल अभिभावकों पर बना रहे हैं दबाव
स्कूलों ने निकाला फीस वसूलने का नया फंडा
स्कूलों द्वारा अभिभावकों से पैसा वसूलने का नया फंडा निकाल लिया. स्कूल संचालक बच्चों के स्कूल छोड़कर जाने पर उन्हें टीसी नहीं दे रहे हैं. टीसी लेने वालों में अधिकतर 10वीं और 12वीं के वे स्टूडेंट्स हैं जिनका रिजल्ट आ चुका है. पास होने के बाद ये बच्चे दूसरे स्कूल या कॉलेज जाने की तैयारी में हैं. ऐसे में प्राइवेट स्कूल संचालक इन्हें टीसी नहीं दे रहे हैं और लॉकडाउन के दौरान की स्कूल फीस जमा करने का दबाव बना रहे हैं. बाल आयोग के पास ऐसे मामलों में 350 से ज्यादा शिकायतें पहुंची हैं. जिसमें भोपाल से 98, ग्वालियर से 41, इंदौर से 52, जबलपुर से 21 व अन्य जिलों से 140 शिकायतें पहुंची हैं. इस मामले में बाल आयोग ने शिक्षा विभाग को पत्र लिखते हुए ऐसे स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है. वहीं मध्यप्रदेश पालक संघ के अध्यक्ष कमल विश्वकर्मा ने भी सरकार से ऐसे स्कूलों पर सख्त कार्रवाई करने की गुहार लगाई है.
हाईकोर्ट ने कहा आगे सुनवाई नही, पालक संघ ने बताया नैतिक जीत
फीस वसूलने को लेकर स्कूल संचालक और विरोध में नागरिक मंच न्यायालय की शरण में पहुंचे थे. इस मामले में अंतिम सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने फैसला दिया है कि इस मामले में अब आगे कोई सुनवाई नहीं होगी, क्योंकि स्कूल खुल गए हैं. इधर मध्य प्रदेश पालक संघ ने कोर्ट के इस फैसले पर खुशी जताई है ..इनका कहना है कि जिस तरह से पालको की परेशानी को न समझते हुए प्राइवेट स्कूल लगातार फीस को लेकर दबाव बना रहे थे उसे देखते हुए यह प्रदेश सरकार और उनकी नैतिक जीत है. हाईकोर्ट ने कहा है कि भविष्य में हड़ताल की जाती हैं तो याचिकाकर्ता को यह अधिकार होगा की वह न्यायालय में याचिका दायर कर सकेगा. स्कूलों की यह हड़ताल मध्यप्रदेश सरकार के उस आदेश के खिलाफ थीं जिसमें सरकार ने स्कूलों से कोरोना अवधि में केवल शिक्षण शुल्क लेने और फीस वृद्धि न करने के निर्देश दिए थे.