जबलपुर। मध्यप्रदेश में बीती शिवराज सरकार के कार्यकाल में घर-घर बिजली पहुंचाने की सौभाग्य योजना में बड़ा भ्रष्टाचार सामने आया है. केंद्र सरकार की इस योजना एग्जीक्यूशन में बिजली कंपनियों के अधिकारियों ने फर्जीवाड़े की तमाम हदों को पार कर दिया है. इसमें कहीं बिजली की लाइन बिछे बिना ही कागजों पर विद्युतीकरण बता दिया गया, तो कहीं पुराने खंभों और ट्रांसफॉर्मरों को नया बताकर करोड़ों का भुगतान कर दिया गया. ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह ने सौभाग्य योजना में हुए घोटाले की जांच करने के आदेश भी जारी कर दिए हैं. बताया जा रहा है कि ये घोटाला 100 करोड़ से ज्यादा का है.
केंद्र सरकार की सौभाग्य योजना को मध्यप्रदेश में बीती शिवराज सरकार के रहते अधिकारियों ने पलीता लगा दिया. बिजली मिले बिना ही लोगों को बिजली के बिल पहुंचने लगे तो कमलनाथ सरकार ने जांच शुरू करवाई और अब जांच में हुए इस घोटाले की कलाई प्याज की परतों की तरह खुलने लगी है. खुलासा हुआ है कि साल 2017 से 2018 के बीच मध्य प्रदेश के कई जिलों में सौभाग्य योजना के तहत हुए फीडर सेपरेशन और घर-घर बिजली पहुंचाने के काम में जमकर फर्जीवाड़ा हुआ.
सौभाग्य योजना में हुए फर्जीवाड़े को सरकार इसलिए भी गंभीरता से ले रही है, क्योंकि इसकी जांच पूरी होने के बाद ऊर्जा विभाग को विद्युतीकरण के लिए होने वाले कामों के मापदंड भी बदलने होंगे. ऊर्जा मंत्री की माने तो सौभाग्य योजना में इलेक्ट्रिफिकेशन वर्क के मापदंड शिथिल कर दिए जाने से पहले लगाए गए बिजली के खंभे गिरने और बिजली उपकरणों के लगातार खराब होने की समस्या सामने आ रही है. बहरहाल अब देखना होगा कि सौभाग्य योजना को मध्यप्रदेश के लिए दुर्भाग्य बना देने वाले दोषियों पर जांच के बाद कितनी सख्त कार्रवाई हो पाती है.