जबलपुर। इन दिनों रुद्राक्ष को लेकर काफी चर्चा है, अचानक से रुद्राक्ष की मांग भी बढ़ रही है. जबलपुर के राज्य वन केंद्र में रुद्राक्ष पर रिसर्च चल रही है. वन अनुसंधान केंद्र में आज से 8 साल पहले रुद्राक्ष के 2 पेड़ लगाए गए थे, जिनकी ऊंचाई अब लगभग 30 फीट से ज्यादा है. हर दूसरे साल में इसमें फल आते हैं. इस साल फल नहीं आए हैं, लेकिन बीते साल इनमें बहुत से फल आए थे. जंगली पेड़ों पर रिसर्च करने वाले वैज्ञानिक उदय होमकर का कहना है कि रुद्राक्ष एक पहाड़ी पेड़ है. यह पहाड़ के आसपास बहने वाली नदियों के किनारे पाया जाता है.
मध्यप्रदेश में भी अमरकंटक के आसपास रुद्राक्ष के कई पेड़ हैं. जबलपुर के फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट में लगे हुए वृक्षों पर अध्ययन करने के बाद वैज्ञानिक का कहना है कि जबलपुर के आसपास रुद्राक्ष के पेड़ों को आसानी से उगाया जा सकता है. इनमें अच्छे फल भी आते हैं. वैज्ञानिक रुद्राक्ष को बड़े पैमाने पर लगाने के लिए पौधे भी तैयार कर रहे हैं. इनका कहना है कि रुद्राक्ष को फल और कलम द्वारा भी तैयार किया जा सकता है. वन अनुसंधान केंद्र की इस पौधशाला में सरकार से ₹300 में बेच रही है. बहुत से लोग इस वृक्ष को अपने घरों पर लगा रहे हैं.
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भद्राक्ष का पेड़: आपको जानकर आश्चर्य होगा कि रुद्राक्ष की तरह ही भद्राक्ष भी होता है. अनुसंधान केंद्र में भद्राक्ष का भी एक पेड़ लगा है. इसमें भी रुद्राक्ष की तरह ही फल होते हैं. हालांकि यह रुद्राक्ष से छोटे होते हैं, लेकिन कुछ जगह भद्राक्ष को भी रुद्राक्ष कहकर बेच दिया जाता है.
एक मुखी रुद्राक्ष: लोगों की ऐसी मान्यता है कि एक मुखी रुद्राक्ष भगवान शंकर को बहुत पसंद था, इसलिए एक मुखी रुद्राक्ष का बाजारों मूल्य बहुत ज्यादा है. इसकी मांग बहुत अधिक है. सामान्य तौर पर रुद्राक्ष दो मुख और तीन मुख का होता है. कई सैकड़ा फलों में कोई एक फल एक मुखी भी निकल आता है. एक मुखी रुद्राक्ष का कोई पेड़ नहीं होता.
स्थान विशेष का महत्व: वैज्ञानिकों का कहना है कि वैज्ञानिक नजरिए से रुद्राक्ष एक जंगली फल है. यह कहां से प्राप्त किया गया है, इसका कोई विशेष महत्व नहीं है. लगभग सभी जगहों के रुद्राक्ष एक से ही होते हैं. इसलिए किसी विशेष जगह के रुद्राक्ष के लिए ज्यादा पैसा देना या ज्यादा महत्व देना, वैज्ञानिक नजरिए से तर्कसंगत नहीं है.
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नया रोजगार का अवसर: यदि रुद्राक्ष की मांग इसी तरीके से बढ़ती रहे तो इसकी खेती करने से लोगों को फायदा होगा. सही देखभाल में यह वृक्ष हमारे वातावरण में भी हो सकता है, ऐसी स्थिति में इसे लोगों को अपने खेतों पर लगाना चाहिए. इसके पौधे सरकारी पौधशाला में उपलब्ध हैं. सरकार को भी अपने जंगलों में इसका पौधारोपण करना चाहिए, ताकि जंगल में रहने वाले लोगों को भी रोजगार का अवसर मिले.