जबलपुर। ग्राम विकास के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है, जिसमें करोड़ों का बजट दिया जाता है. लेकिन स्थानीय स्तर पर प्रशासनिक लापरवाही और जनप्रतिनिधियों के भ्रष्टाचार के कारण गांवों को इसका कोई फायदा नहीं मिल पाता. ऐसा ही कुछ हुआ जबलपुर के शहपुरा में, जहां शहपुरा जनपद पंचायत में आने वाली आदिवासी ग्राम पंचायत पटी चरगवां के सरपंच और सचिव पर राजीव गांधी जल ग्रहण मिशन योजना के तहत पंचायत में किए गए कामों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है.
आठ लाख रुपये की लागत से बने बाटर शेड, चेक डेम के हाल खस्ता हो गए. यहां हुए निर्माम कार्य साल भर भी नहीं टिक पाए और पहली बरसात में ही बह गए. हद तो तब हो गई जब इस बारे में ग्रामीणों ने बताया कि सरपंच सचिव ने मजदूरों से काम तो कराया लेकिन, ग्रामीणों को उनके काम की राशि आज तक नहीं दी गई और करीब पचास से ज्यादा मजदूर आज भी अपनी मजदूरी के पैसे के लिए भटक रहे हैं, ग्रामीणों ने मामले की शिकायत उच्च अधिकारियों से भी की लेकिन आज तक उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई.
अधिकारियों ने दी खुली छूट
मजदूरों का कहना है कि मजदूरी करने के लिए अन्य जिला व प्रदेशों में भटक रहे हैं, जबकि जिम्मेदारों ने अपने कमीशन के फेर में ग्राम सरपंच-सचिवों को खुली छूट दे रखी है. इससे सरपंच-सचिव मिलकर ग्राम पंचायत में बनने वाले बांध निर्माण, सड़क निर्माण, चेकडैम जैसे कई कार्य में जमकर भ्रष्टाचार कर रहे हैं.
सरपंच और सचिव ने झाड़ा पल्ला
ग्राम पंचायत में किये जा रहे भ्रष्टाचार के संबंध में जब पटी चरगवां सरपंच बल्लू सैयाम और सचिव से पूछा गया तो दोनों ने एक दूसरे पर कार्य की जानकारी होने की बात कहकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है.
ग्रामीणों ने बताया कि सभी सड़कों पर नाली का निर्माण भी होना था, लेकिन सरपंच सचिव ने नाली का नामोनिशान तक नहीं बनाया. नालियों के नाम पर जितनी भी राशि पंचायत के खाते में आई सरपंच सचिव और अधिकारी पूरी राशि डकार गए. वहीं ग्रामीणों से जब पंचायत के विकास कार्यों को लेकर बात की तो ग्रामीण भड़क गए और सरपंच सचिव के साथ ही अधिकारियों को खरी खोटी सुनाने लगे.
बताया जाता है कि वॉटर शेड की इंजीनियर माधुरी यादव ने ग्रामीण क्षेत्रों में जितने भी डेम बनाये हैं, इन सब कामों को उन्होंने अपने हिसाब से अपने ठेकेदार से कराया है, जिसमें ज्यादा से ज्यादा मुनाफा हो सके और बंदरबाट ऊपर से नीचे तक की जा सके.