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वेजिटेरियन के बाद वीगनिज्म का ट्रेंड, जानें क्यों बढ़ा चलन ?

दुनिया भर में वीगनिज्म अपनाने का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है, वहीं जबलुपर में कुछ चुनिंदा युवाओं ने वीगन बनना स्वीकार किया है, जाने क्या है वीगन और वीगनिज्म....

Jabalpur
वीगनिज्म
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Published : Jan 19, 2021, 12:32 PM IST

जबलपुर। वीगन डाइट के बारे में आपने भी काफी सुना होगा. इन दिनों वीगन डाइट काफी फेमस हो रहा है. वहीं शहर के कुछ चुनिंदा युवाओं ने वीगन बनना स्वीकार किया है और उनका दावा है कि वे वीगन बन चुके हैं और वह वीगन बनकर खुद को अच्छा महसूस कर रहे हैं, तो आखिर क्या है वीगन? वीगन आहार में जानवरों से मिलने वाले किसी भी तरह के उत्पाद मांस, डेयरी, अंडा, शहद और घी को शामिल नहीं किया जाता. दुनिया भर में लोग अब अपनी सेहत, पशु कल्याण और पर्यावरण संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए वीगन आहार की तरफ मुड़ रहे हैं और वीगनिज्म को अपना रहे हैं.

जबलपुर में अपनाया जा रहा वीगनिज्म

वीगन सोसाइटी क्या है?

दरअसल आपने सुना होगा कि कुछ लोग वेजिटेरियन होते हैं मतलब शाकाहारी लेकिन जरूरी नहीं है कि जो शाकाहारी है वह पशुओं को किसी तरह से नुकसान नहीं पहुंचा रहा. शाकाहार में दूध भी शामिल है दूध, दही पनीर और दूध से बने हुए दूसरे उत्पाद शाकाहार में गिने जाते हैं, लेकिन कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि इसी दूध की वजह से गाय, भैंस और दूध देने वाले दूसरे जानवरों पर अत्याचार किया जाता है. इनके प्राकृतिक जीवन को छीन लिया गया है. इसी तरीके से शहद, शाकाहार और दवा में इस्तेमाल की जाती है. लेकिन कुछ लोगों का मानना है की शहद शाकाहारी नहीं है. चमड़े से बने हुए उत्पाद, ऊन से बने हुए उत्पाद का कुछ लोग इस्तेमाल नहीं करते मतलब बहुत स्पष्ट है, कि वीगन वह लोग होते हैं जो ऐसी किसी चीज का इस्तेमाल नहीं करते जिसमें किसी जानवर, पशु-पक्षी का शोषण किया गया, हो या फिर उसकी हत्या की गई हो. ऐसे लोग वीगन कहलाते हैं.

74 साल पहले हुई शुरुआत

वीगन सोसाइटी(वीगनिज्म) की शुरुआत यूनाइटेड किंगडम से हुई थी, लेकिन अब धीरे-धीरे इस सोसाइटी से पूरे दुनिया में लोग जुड़ते जा रहे हैं. जबलपुर में भी कुछ युवाओं ने वीगन होना स्वीकार किया है. इनका मानना है कि शुरुआत में यह कठिन होता है लेकिन धीरे-धीरे इसकी आदत हो जाती है.

वीगन प्रोडक्ट्स की मांग

दरअसल एनिमल एग्रीकल्चर भारत जैसे देश के लिए रोजगार का भी बड़ा जरिया है वीगन सोसाइटी के लोगों का कहना है बेशक इससे रोजगार पैदा होता है लेकिन यदि लोग बदलेंगे तो नए प्रोडक्ट की मांग भी बढ़ेगी और जो बाजार अभी एनिमल एग्रीकल्चर से चल रहा है वह दूसरे उत्पादों से चलेगा और रोजगार की मांग वहां बढ़ने लगेगी

प्रकृति के हर जीव को जीने का पूरा अधिकार

जबलपुर की इन युवाओं का कहना है प्रकृति के हर जीव को जीने का पूरा अधिकार है. मानव किसी भी स्थिति में खुद को सर्वोच्च साबित करने के लिए किसी दूसरे जीव की हत्या या उसका इस्तेमाल नहीं कर सकता, यह प्रकृति के खिलाफ है, लेकिन सदियों से ऐसा होता आ रहा है इसलिए लोगों को यह गलत नहीं लगता है.

दरअसल बहुत सारे बीमारियों की जड़ एनिमल प्रोडक्ट होते हैं, दिल का दौरा एनिमल फैट खाने से होता है, रेड मीट से कैंसर होता है इस तरीके से यदि गौर किया जाए तो बहुत सारी बीमारियों की जड़ एनिमल प्रोडक्ट है, यदि इस नजरिए से देखा जाए तो वीगन होने में कोई बुराई नहीं है.

जबलपुर। वीगन डाइट के बारे में आपने भी काफी सुना होगा. इन दिनों वीगन डाइट काफी फेमस हो रहा है. वहीं शहर के कुछ चुनिंदा युवाओं ने वीगन बनना स्वीकार किया है और उनका दावा है कि वे वीगन बन चुके हैं और वह वीगन बनकर खुद को अच्छा महसूस कर रहे हैं, तो आखिर क्या है वीगन? वीगन आहार में जानवरों से मिलने वाले किसी भी तरह के उत्पाद मांस, डेयरी, अंडा, शहद और घी को शामिल नहीं किया जाता. दुनिया भर में लोग अब अपनी सेहत, पशु कल्याण और पर्यावरण संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए वीगन आहार की तरफ मुड़ रहे हैं और वीगनिज्म को अपना रहे हैं.

जबलपुर में अपनाया जा रहा वीगनिज्म

वीगन सोसाइटी क्या है?

दरअसल आपने सुना होगा कि कुछ लोग वेजिटेरियन होते हैं मतलब शाकाहारी लेकिन जरूरी नहीं है कि जो शाकाहारी है वह पशुओं को किसी तरह से नुकसान नहीं पहुंचा रहा. शाकाहार में दूध भी शामिल है दूध, दही पनीर और दूध से बने हुए दूसरे उत्पाद शाकाहार में गिने जाते हैं, लेकिन कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि इसी दूध की वजह से गाय, भैंस और दूध देने वाले दूसरे जानवरों पर अत्याचार किया जाता है. इनके प्राकृतिक जीवन को छीन लिया गया है. इसी तरीके से शहद, शाकाहार और दवा में इस्तेमाल की जाती है. लेकिन कुछ लोगों का मानना है की शहद शाकाहारी नहीं है. चमड़े से बने हुए उत्पाद, ऊन से बने हुए उत्पाद का कुछ लोग इस्तेमाल नहीं करते मतलब बहुत स्पष्ट है, कि वीगन वह लोग होते हैं जो ऐसी किसी चीज का इस्तेमाल नहीं करते जिसमें किसी जानवर, पशु-पक्षी का शोषण किया गया, हो या फिर उसकी हत्या की गई हो. ऐसे लोग वीगन कहलाते हैं.

74 साल पहले हुई शुरुआत

वीगन सोसाइटी(वीगनिज्म) की शुरुआत यूनाइटेड किंगडम से हुई थी, लेकिन अब धीरे-धीरे इस सोसाइटी से पूरे दुनिया में लोग जुड़ते जा रहे हैं. जबलपुर में भी कुछ युवाओं ने वीगन होना स्वीकार किया है. इनका मानना है कि शुरुआत में यह कठिन होता है लेकिन धीरे-धीरे इसकी आदत हो जाती है.

वीगन प्रोडक्ट्स की मांग

दरअसल एनिमल एग्रीकल्चर भारत जैसे देश के लिए रोजगार का भी बड़ा जरिया है वीगन सोसाइटी के लोगों का कहना है बेशक इससे रोजगार पैदा होता है लेकिन यदि लोग बदलेंगे तो नए प्रोडक्ट की मांग भी बढ़ेगी और जो बाजार अभी एनिमल एग्रीकल्चर से चल रहा है वह दूसरे उत्पादों से चलेगा और रोजगार की मांग वहां बढ़ने लगेगी

प्रकृति के हर जीव को जीने का पूरा अधिकार

जबलपुर की इन युवाओं का कहना है प्रकृति के हर जीव को जीने का पूरा अधिकार है. मानव किसी भी स्थिति में खुद को सर्वोच्च साबित करने के लिए किसी दूसरे जीव की हत्या या उसका इस्तेमाल नहीं कर सकता, यह प्रकृति के खिलाफ है, लेकिन सदियों से ऐसा होता आ रहा है इसलिए लोगों को यह गलत नहीं लगता है.

दरअसल बहुत सारे बीमारियों की जड़ एनिमल प्रोडक्ट होते हैं, दिल का दौरा एनिमल फैट खाने से होता है, रेड मीट से कैंसर होता है इस तरीके से यदि गौर किया जाए तो बहुत सारी बीमारियों की जड़ एनिमल प्रोडक्ट है, यदि इस नजरिए से देखा जाए तो वीगन होने में कोई बुराई नहीं है.

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