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कोरोना काल में महंगाई की मार से जनता बेहाल, ठप पड़े थोक बाजार

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Published : Sep 18, 2020, 2:49 AM IST

कोरोना महामारी के आंतक से एक तरफ लगातार मरीज बढ़ रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ आर्थिक रूप में लोगों की महंगाई ने कमर तोड़ दी है. लगातार बढ़ती महंगाई से जबलपुर के लोग परेशान हैं, जबकि थोक बाजार ठप पड़ा हुआ है. पढ़िए पूरी खबर...

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जबलपुर

जबलपुर। कोरोना वायरस ये वो घातक संक्रमण है, जिसने की पूरी दुनिया में कोहराम मचाकर रख दिया है. कोरोना महामारी के आंतक से एक तरफ लगातार मरीज बढ़ रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ आर्थिक रूप में लोगों की महंगाई ने कमर तोड़ दी है. हालात ये है कि लॉकडाउन ने आवश्यक वस्तुओं के दाम आसमान में लाकर खड़े कर दिए हैं. अब अनलॉक के बाद भी आलम यह है कि महंगाई की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है.

कोरोना काल में आम जनता पर महंगाई की मार

रोजमर्रा के सामानों की जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही है, जिसके चलते वस्तुओं के दाम भी लगातार बढ़ रहे हैं. लॉकडाउन के पहले जहां खाने का तेल 80 रुपये प्रति लीटर मिलता था तो वहीं अनलॉक के बाद इसकी कीमत 100 से लेकर 120 रूपये तक पहुंच गई है. चावल लॉकडाउन के पहले 40 रूपये किलो था, जो अनलॉक के बाद 50 से 60 रूपये में मिल रहा है. इसके अलावा सभी दालों के दामों में 10 रूपये प्रति किलो की वृद्धि भी देखी जा रही है. शक्कर 36 से बढ़कर 38 रूपये किलो बिक रही है. ऐसे ही लगभग सभी जरूरत के सामानों के दाम इतने ज्यादा बढ़ गए हैं कि आम लोगों के लिए एक बड़ी मुसीबत खड़ी होती नजर आ रही है.

जबलपुर शहर का सबसे बड़ा किराना थोक बाजार मुकदमगंज में है. आम दिनों में इस थोक बाजार में इतनी भीड़ होती थी कि पैर रखना भी मुश्किल होता था. जबलपुर जिले से लगे आसपास के अन्य छोटे जिलों के व्यापारी रोजाना इस बाजार से माल खरीदकर ले जाते थे, लेकिन कोरोना काल में जब अनलॉक हुआ तो किराना सामानों के दाम में इस कदर बढ़ोतरी हुई की फुटकर व्यापारियों ने अपनी दुकानों में रखने वाले सामानों को सीमित कर दिया.

थोक व्यापारी की दलील
थोक व्यापारी भीम लाल गुप्ता की मानें तो कोरोना संक्रमण के बीच हुए अनलॉक ने बाजार में महंगाई को काफी बढ़ा दिया है. पूरा बाजार महंगाई के कारण ठप हो गया है. ट्रांसपोर्टरों ने अपना किराया बढ़ा दिया, पल्लेदारों के भी भाव बढ़ गए, इतना ही नहीं फसलों के दामों को बढ़ा दिया गया. जिसका सीधा असर बाजार और आम जनता पर पड़ रहा है. आज महंगाई में लोगों के पास इतना पैसा भी नहीं है कि वह रोजमर्रा के खाने पीने की वस्तुओं की पूर्ति कर सकें.

तेल के दाम में बेतहाशा वृद्धि
अचानक से आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़ाने को लेकर फुटकर किराना व्यापारी अमित सिन्हा का कहना है कि, थोक व्यापारियों से माल की जितनी डिमांड की जा रही थी, उसकी पूर्ति नहीं हो पा रही है. थोक व्यापारियों ने आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़ा दिए हैं, जिसकी वजह से फुटकर दुकानों में भी दाम बढ़ाए गए हैं. खाने के लिए उपयोग होने वाले तेल के दाम में बेतहाशा वृद्धि हुई है, वहीं दाल, चावल मसाले के दाम भी काफी बढ़ गए हैं.
आम जनता पर महंगाई का कहर

शहर के लोगों की मानें तो एक तो पहले ही कोरोना वायरस ने लोगों का रोजगार छीन लिया है और बचा हुआ काम महंगाई ने कर दिया. आम जनता की मानें तो महंगाई को रोकने में मोदी सरकार पूरी तरह से फेल हो गई है. खाने-पीने से लेकर सब्जी-भाजी तक के दामों में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है, जिसका सीधा असर जनता की जेब पर पड़ा है.
कैसे लगेगी लगाम ?
बहरहाल चाहे आवश्यक वस्तुओं का बाजार हो या फिर अन्य बाजार, आज हर जगह महंगाई का दौर चल रहा है. कहा जा सकता है कि महंगाई को रोकने में केंद्र और राज्य सरकार पूरी तरह से कहीं ना कहीं नाकाम साबित हुई हैं. अगर इसी तरह से महंगाई बढ़ती गई तो आने वाला दौर कैसा होगा, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल हो रहा है.

जबलपुर। कोरोना वायरस ये वो घातक संक्रमण है, जिसने की पूरी दुनिया में कोहराम मचाकर रख दिया है. कोरोना महामारी के आंतक से एक तरफ लगातार मरीज बढ़ रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ आर्थिक रूप में लोगों की महंगाई ने कमर तोड़ दी है. हालात ये है कि लॉकडाउन ने आवश्यक वस्तुओं के दाम आसमान में लाकर खड़े कर दिए हैं. अब अनलॉक के बाद भी आलम यह है कि महंगाई की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है.

कोरोना काल में आम जनता पर महंगाई की मार

रोजमर्रा के सामानों की जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही है, जिसके चलते वस्तुओं के दाम भी लगातार बढ़ रहे हैं. लॉकडाउन के पहले जहां खाने का तेल 80 रुपये प्रति लीटर मिलता था तो वहीं अनलॉक के बाद इसकी कीमत 100 से लेकर 120 रूपये तक पहुंच गई है. चावल लॉकडाउन के पहले 40 रूपये किलो था, जो अनलॉक के बाद 50 से 60 रूपये में मिल रहा है. इसके अलावा सभी दालों के दामों में 10 रूपये प्रति किलो की वृद्धि भी देखी जा रही है. शक्कर 36 से बढ़कर 38 रूपये किलो बिक रही है. ऐसे ही लगभग सभी जरूरत के सामानों के दाम इतने ज्यादा बढ़ गए हैं कि आम लोगों के लिए एक बड़ी मुसीबत खड़ी होती नजर आ रही है.

जबलपुर शहर का सबसे बड़ा किराना थोक बाजार मुकदमगंज में है. आम दिनों में इस थोक बाजार में इतनी भीड़ होती थी कि पैर रखना भी मुश्किल होता था. जबलपुर जिले से लगे आसपास के अन्य छोटे जिलों के व्यापारी रोजाना इस बाजार से माल खरीदकर ले जाते थे, लेकिन कोरोना काल में जब अनलॉक हुआ तो किराना सामानों के दाम में इस कदर बढ़ोतरी हुई की फुटकर व्यापारियों ने अपनी दुकानों में रखने वाले सामानों को सीमित कर दिया.

थोक व्यापारी की दलील
थोक व्यापारी भीम लाल गुप्ता की मानें तो कोरोना संक्रमण के बीच हुए अनलॉक ने बाजार में महंगाई को काफी बढ़ा दिया है. पूरा बाजार महंगाई के कारण ठप हो गया है. ट्रांसपोर्टरों ने अपना किराया बढ़ा दिया, पल्लेदारों के भी भाव बढ़ गए, इतना ही नहीं फसलों के दामों को बढ़ा दिया गया. जिसका सीधा असर बाजार और आम जनता पर पड़ रहा है. आज महंगाई में लोगों के पास इतना पैसा भी नहीं है कि वह रोजमर्रा के खाने पीने की वस्तुओं की पूर्ति कर सकें.

तेल के दाम में बेतहाशा वृद्धि
अचानक से आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़ाने को लेकर फुटकर किराना व्यापारी अमित सिन्हा का कहना है कि, थोक व्यापारियों से माल की जितनी डिमांड की जा रही थी, उसकी पूर्ति नहीं हो पा रही है. थोक व्यापारियों ने आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़ा दिए हैं, जिसकी वजह से फुटकर दुकानों में भी दाम बढ़ाए गए हैं. खाने के लिए उपयोग होने वाले तेल के दाम में बेतहाशा वृद्धि हुई है, वहीं दाल, चावल मसाले के दाम भी काफी बढ़ गए हैं.
आम जनता पर महंगाई का कहर

शहर के लोगों की मानें तो एक तो पहले ही कोरोना वायरस ने लोगों का रोजगार छीन लिया है और बचा हुआ काम महंगाई ने कर दिया. आम जनता की मानें तो महंगाई को रोकने में मोदी सरकार पूरी तरह से फेल हो गई है. खाने-पीने से लेकर सब्जी-भाजी तक के दामों में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है, जिसका सीधा असर जनता की जेब पर पड़ा है.
कैसे लगेगी लगाम ?
बहरहाल चाहे आवश्यक वस्तुओं का बाजार हो या फिर अन्य बाजार, आज हर जगह महंगाई का दौर चल रहा है. कहा जा सकता है कि महंगाई को रोकने में केंद्र और राज्य सरकार पूरी तरह से कहीं ना कहीं नाकाम साबित हुई हैं. अगर इसी तरह से महंगाई बढ़ती गई तो आने वाला दौर कैसा होगा, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल हो रहा है.

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