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PDS स्कैम: सरकार के गले की हड्डी बना 350 करोड़ का धान

जबलपुर शहर में 350 करोड़ रुपए की घटिया क्वालिटी की धान सरकार के लिए गले की हड्डी बन गई है. इस मामले पर बीजेपी विधायक इंदु तिवारी ने कांग्रेस पर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासनकाल में दबाव के कारण ऐसी धान की खरीदी हुई है.

poor quality of paddy
गले की हड्डी बना धान
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Published : Feb 4, 2021, 5:54 PM IST

Updated : Feb 4, 2021, 7:10 PM IST

जबलपुर। शहर के अलग-अलग वेयरहाउस में करीब 20 लाख क्विंटल धान रखी हुई है. जिसकी कीमत करीब 350 करोड़ रुपए बताई जा रही है. अब यह धान सरकार के गले की हड्डी बन गई है. जिसे सरकार न तो बेच पा रही है और न ही इसका चावल बनाया जा सकता है. अब इस धान पर सियासत भी शुरु हो गई है. बीजेपी विधायक ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस शासनकाल में घटिया धान की खरीदी हुई थी, जिसका चावल बनाने के बाद गरीबों को बांटा जाना था.

गले की हड्डी बना धान

नेताओं के दबाव में की गई खरीदी

पनागर विधानसभा से बीजेपी विधायक इंदु तिवारी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कमलनाथ सरकार के दौरान जबलपुर में राजनीतिक हस्तक्षेप से घटिया धान की खरीदी की गई. विधायक इंदु तिवारी का कहना है कि उन्होंने अधिकारियों से जानकारी ली, जिसमें सामने आया कि कांग्रेस के शासनकाल में नेताओं के दबाव के कारण घटिया धान की खरीदी की गई. इस धान के एवज में 350 करोड़ रुपए का भुगतान भी कर दिया गया. अब समस्या यह है कि इस घटिया धान को चावल बनाने वाली कोई भी मिल नहीं ले रही हैं क्योंकि इससे टूटा हुआ लाल चावल निकल रहा है.

कुछ दिनों पहले बालाघाट से शिकायत सामने आई थी कि गरीबों को ऐसा चावल बांटा जा रहा है जिसका इस्तेमाल जानवरों के खाने के काम में आता है. शहर में रखी ये धान भी घटिया धान है. अगर इस धान का चावल बनाया गया तो उसकी क्वालिटी खराब होगी. लेकिन विडंबना यह है कि सरकार इसे बेच भी नहीं सकती और इससे गरीबों को बांटने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है.

पढ़ें- MP चावल घोटाला: कांग्रेस ने की CBI जांच की मांग, बीजेपी ने कहा- कांग्रेस कर रही राजनीति

इस मामले में विधायक इंदु तिवारी ने सीएम शिवराज से शिकायत भी की है. फिलहाल जांच जारी है. इस केस में दो अधिकारियों का तबादला भी हो चुका है, लेकिन जनता के पैसे की होली खत्म हो गई है.

शहर के 16 अधिकारियों पर दर्ज हुई थी FIR

बालाघाट और मंडला में चावल घोटाले के बाद तत्कालीन कमिश्नर महेश चंद्र चौधरी ने मामले की जांच खुद शुरु की थी. जिलों में PDS चावलों की सैंपलिंग में कई चावल के सैंपल अमानक पाए गए थे. जिसके बाद करीब 16 लोगों पर FIR दर्ज की गई थी.

पढ़ें- घटिया चावल मामलाः जबलपुर कमिश्नर कर रहे मामले की जांच, 16 मिलों पर FIR

इस मामले में EOW की टीम ने 10 जिलों में जांच भी शुरू कर दी थी.दो जिलों में संयुक्त रुप से दो FIR दर्ज की गई, जिसमें 22 मिलर्स और 9 अफसर शामिल हैं.

जबलपुर। शहर के अलग-अलग वेयरहाउस में करीब 20 लाख क्विंटल धान रखी हुई है. जिसकी कीमत करीब 350 करोड़ रुपए बताई जा रही है. अब यह धान सरकार के गले की हड्डी बन गई है. जिसे सरकार न तो बेच पा रही है और न ही इसका चावल बनाया जा सकता है. अब इस धान पर सियासत भी शुरु हो गई है. बीजेपी विधायक ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस शासनकाल में घटिया धान की खरीदी हुई थी, जिसका चावल बनाने के बाद गरीबों को बांटा जाना था.

गले की हड्डी बना धान

नेताओं के दबाव में की गई खरीदी

पनागर विधानसभा से बीजेपी विधायक इंदु तिवारी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कमलनाथ सरकार के दौरान जबलपुर में राजनीतिक हस्तक्षेप से घटिया धान की खरीदी की गई. विधायक इंदु तिवारी का कहना है कि उन्होंने अधिकारियों से जानकारी ली, जिसमें सामने आया कि कांग्रेस के शासनकाल में नेताओं के दबाव के कारण घटिया धान की खरीदी की गई. इस धान के एवज में 350 करोड़ रुपए का भुगतान भी कर दिया गया. अब समस्या यह है कि इस घटिया धान को चावल बनाने वाली कोई भी मिल नहीं ले रही हैं क्योंकि इससे टूटा हुआ लाल चावल निकल रहा है.

कुछ दिनों पहले बालाघाट से शिकायत सामने आई थी कि गरीबों को ऐसा चावल बांटा जा रहा है जिसका इस्तेमाल जानवरों के खाने के काम में आता है. शहर में रखी ये धान भी घटिया धान है. अगर इस धान का चावल बनाया गया तो उसकी क्वालिटी खराब होगी. लेकिन विडंबना यह है कि सरकार इसे बेच भी नहीं सकती और इससे गरीबों को बांटने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है.

पढ़ें- MP चावल घोटाला: कांग्रेस ने की CBI जांच की मांग, बीजेपी ने कहा- कांग्रेस कर रही राजनीति

इस मामले में विधायक इंदु तिवारी ने सीएम शिवराज से शिकायत भी की है. फिलहाल जांच जारी है. इस केस में दो अधिकारियों का तबादला भी हो चुका है, लेकिन जनता के पैसे की होली खत्म हो गई है.

शहर के 16 अधिकारियों पर दर्ज हुई थी FIR

बालाघाट और मंडला में चावल घोटाले के बाद तत्कालीन कमिश्नर महेश चंद्र चौधरी ने मामले की जांच खुद शुरु की थी. जिलों में PDS चावलों की सैंपलिंग में कई चावल के सैंपल अमानक पाए गए थे. जिसके बाद करीब 16 लोगों पर FIR दर्ज की गई थी.

पढ़ें- घटिया चावल मामलाः जबलपुर कमिश्नर कर रहे मामले की जांच, 16 मिलों पर FIR

इस मामले में EOW की टीम ने 10 जिलों में जांच भी शुरू कर दी थी.दो जिलों में संयुक्त रुप से दो FIR दर्ज की गई, जिसमें 22 मिलर्स और 9 अफसर शामिल हैं.

Last Updated : Feb 4, 2021, 7:10 PM IST
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