जबलपुर। मौसम (Weather) के अनुरूप बारिश (Rain) वाले बादलों ने इस बार महाकौशल (Mahakoshal) को बड़ा ही सताया है, आलम यह है कि महाकौशल के जिलों में इस बार कम बारिश के चलते किसान (Farmers) परेशान हैं, वहीं अब स्थिति ऐसी बन रही है कि बादलों की बेरुखी के बीच जिले में सूखे जैसे हालात बन रहे हैं, मानसून के जल्द आने के बाद भी जिले में अच्छी बारिश की खेप के लिए तरस गए है.
उम्मीद से कम हुई बारिश
जुलाई में वर्षा कम होने के बाद अगस्त में उम्मीद की जा रही थी कि अच्छी बारिश होगी, पर अब अगस्त के बाद किसान सितंबर से उम्मीद लगाए बैठे हैं, उधर कम बारिश के चलते किसानों की पूरी फसल बर्बाद हो गई है. हजारों रुपए खर्च करने के बाद भी किसानों की फसल सूखने की कगार में पहुंच गई है, ऐसे में किसानों ने अब सरकार से मदद की गुहार लगाई है.
55 घनमीटर प्रति सेकंड छोड़ा जा रहा पानी
बरगी बांध से रोजाना ही सैकड़ों घन मीटर पानी छोड़ा जा रहा है, बांध नियंत्रण प्रभारी एस.एस रोहित की मानें तो बायीं तट नहर से 19 घनमीटर प्रति सेकंड तो दायीं तट से 55 घन मीटर प्रति सेकंड पानी छोड़ा जा रहा है. इतना ही नही नर्मदा घाटी से भी 31 घनमीटर से पानी की निकासी हो रही है, इसके अलावा किसानों को पानी तो दिया जा रहा है. साथ ही विद्युत उत्पादन के लिए भी एक टरबाइन को 12 घंटे चलाया जा रहा है. हालांकि कम बारिश के चलते निश्चित रूप से यह बात भी सामने आ रही है कि किसानों को पर्याप्त पानी तो दिया जा ही रहा है पर आने वाले समय में कम बारिश के चलते विद्युत उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित होगा.
कम बारिश के चलते पानी की कमी
बरगी बांध नियंत्रण प्रभारी बताते हैं कि हर साल की अपेक्षा इस वर्ष बारिश बहुत ही कम हुई है. ऐसे में जहां बरगी बांध में पानी का जलभराव 422.50 मीटर होना चाहिए था, जोकि कम बारिश के चलते वर्तमान में 420.20 मीटर ही पानी है. जिसके कारण अनुमान लगाया जा रहा है, कि इस वर्ष अगर आने वाले मौसम में बारिश नहीं हुई तो निश्चित रूप से कम बारिश के चलते लोगों को परेशानी झेलनी पड़ सकती है.
जबलपुर में बन चुकी है सूखे की स्थिति
बरगी बांध नियंत्रण के उपयंत्री बताते हैं कि ऐसा नहीं है कि सूखे की स्थिति जबलपुर में पहली बार बनी हुई है. इससे पहले भी लगातार 3 साल रही है, इसके बाद फिर 2015-2017 में भी इस तरह के हालात बने थे कि बरगी बांध में कम बारिश के चलते केचमेंट एरिया कम हुआ और बांध के गेट नही खोले गए, लिहाजा अभी भी उम्मीद जताई जा रही है कि अगर बारिश होती है तो निश्चित रूप से बारिश की अच्छी स्थिति बन सकती है. पर अगर बारिश नहीं हुई तो यह छठवीं बार ऐसा होगा की बरगी बांध के गेट नहीं खुलेंगे.
सूखे की चपेट में फसल
धान की फसल के अलावा मक्के की फसल के लिए भी पानी की अधिक आवश्यकता पड़ती है. लिहाजा ऐसे समय में किसानों को राहत देने के लिए बरगी बांध से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है. यह पानी उन्हीं किसानों के खेत तक ही पहुंच पा रहा है जहां पर की नहर की व्यवस्था है. जिले के आधे से ज्यादा किसानों के खेतों में पानी नहीं पहुंच पाने के चलते उनकी फसल सूखने की कगार में पहुंच गई है.