जबलपुर। जबलपुर की ऑर्डिनेंस फैक्टी से कलपुर्जे निकालकर हथियार बनाने के मामले में बिहार के मुंगेर दर्ज मामले में NIA जांच कर रही है. लेकिन NIA की टीम कभी जांच करने जबलपुर नहीं आई है और न ही NIA की तरफ से जबलपुर पुलिस से किसी तरह का कोई पत्राचार किया गया है. यह कहना है कि जबलपुर के सीएसपी आलोक शर्मा का. ईटीवी भारत से खास बातचीत में सीएसपी आलोक शर्मा ने बताया कि इस मामले में जबलपुर से 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था और चारों के खिलाफ पुलिस के पास पर्याप्त सबूत है.
जांच के लिए कभी जबलपुर नहीं आई NIA
सीएसपी आलोक शर्मा ने बताया कि इस पूरे मामले में जबलपुर पुलिस बिहार के मुंगेर के आरोपी इमरान की पत्नी को जबलपुर लाकर पूछताछ कर चुकी है. इसके अलावा 8 अन्य आरोपियों को दो बार जबलपुर पुलिस ने प्रोडक्शन वारंट पर जबलपुर लाने की कोशिश की लेकिन मुंगेर जेल से ज्यादा सपोर्ट नहीं मिलने के चलते दोनों बार आरोपियों को जबलपुर नहीं लाया जा सका. लेकिन सीएमसपी आलोक शर्मा का कहना है कि जबलपुर पुलिस के पास आरोपियों को सजा दिलवाने के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद है.
क्या था पूरा मामला ?
बिहार के मुंगेर में वाहन चेकिंग के दौरान इमरान नाम की एक व्यक्ति के पास से पुलिस ने दो AK-47 राइफल बरामद की थी. यही से इस पूरे मामले के खुलने की शुरुआत हुई थी. उस समय इमरान ने पूछताछ में बताया था कि वो जबलपुर से AK-47 राइफल खरीदता था. जैसे ही इस बात की जानकारी जबलपुर पुलिस को लगी, तो जबलपुर के गोरखपुर थाने के पंचशील नगर में पुरुषोत्तम रजक नाम के आदमी के घर छापेमारी की गई. इस छापेमारी में यहां से इंसास राइफल की एक मैगजीन, एके-47 के तीन कारतूस, एक राइफल का स्टेट और दूसरे बहुत सारे कलपुर्जे मिले, जिनसे AK-47 राइफल बनाई जा सकती थी. गिरफ्तार किए गए पुरुषोत्तम रजक ने बताया कि वो अपनी पत्नी और बेटे के साथ मिलकर हथियार बनाता था.
सीओडी से चोरी किए जाते थे कलपुर्जे
अब सवाल यह उठ रहा था कि पुरुषोत्तम के पास AK-47 के कलपुर्जे कहां से आ रहे थे. तो पता लगा कि पुरुषोत्तम रजक एक अरमोरर था, जो ऑडनेंस फैक्ट्री में बंदूक बनाने का काम करता था. आरोपी को इस बात की जानकारी थी कि जबलपुर के ऑर्डनेंस फैक्ट्री में सेना और पुलिस के खराब हथियारों को नष्ट किया जाता है. यहां इसने सेना के डिपो सीओडी (central ordinance depot) के स्टोर कीपर सुरेश ठाकुर को अपने साथ लिया. सुरेश ठाकुर ही अपनी गाड़ी की डिक्की में सीओडी से एके-47 के कलपुर्जे थोड़ी-थोड़ी तादाद में चुराकर पुरुषोत्तम रजक को दे देता था और पुरुषोत्तम इससे बंदूक बना लेता था.
इमरान की पत्नी के हो चुके हैं बयान
इसके बाद इन्हें बेचने का काम बिहार के मुंगेर में रहने वाला इमरान करता था. जब जबलपुर की गोरखपुर पुलिस ने और क्राइम ब्रांच ने जबलपुर के इन चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया तो इस बात की तस्दीक करनी थी कि इमरान इनका सहयोगी था. इमरान भी अपने इस खतरनाक कारोबार में अपनी पत्नी का सहयोग लेता था. इसके बाद जबलपुर पुलिस बिहार के मुंगेर से उसकी पत्नी को लेकर आई और AK-47 की फैक्ट्री से जुड़ी पूरी कड़ियां मिल गई. जबलपुर क्राइम ब्रांच पुलिस ने इस मामले को कोर्ट के सामने चालान के रूप में पेश कर दिया फिलहाल इस मामले से जुड़े हुए चारों आरोपी जेल में है.
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जबलपुर नहीं आई NIA
जबलपुर पुलिस के गोरखपुर क्षेत्र के सीएसपी आलोक शर्मा का कहना है कि जबलपुर में जो अपराध हुआ था उसकी सभी कड़ियां मिल गई हैं और इसके आधार पर आरोपियों को सजा हो जाएगी इसलिए इमरान और अन्य 8 लोगों को जबलपुर लाने की जरूरत नहीं है. वही जबलपुर पुलिस का कहना है कि जिन 8 अपराधियों की बात हो रही है वे शातिर अपराधी हैं और कोरोना काल में उनको बिहार से मध्यप्रदेश लाना एक कठिन काम है. लेकिन फिर भी कभी बाद में मौका मिला तो आरोपियों को जबलपुर लाने की कोशिश की जाएगी.
NIA कर रही है जांच
वही जबलपुर की क्राइम ब्रांच पुलिस का दावा है कि इस मामले में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने उनसे अब तक कोई संपर्क नहीं साधा है. जबलपुर के जिस पुलिस अधिकारी के पास इस पूरे मामले की जांच का जिम्मा है उनसे अब तक एनआईए ने कोई सवाल जवाब नहीं किया. कुछ ही सालों मे इन आरोपियों ने 70 AK-47 राइफल बेच दी थी. NIA की टीम उन आरोपियों को एक-एक कर पकड़ रही है, लेकिन इस मामले में सीओडी (central ordinance depot) की ओर से कोई शिकायत नहीं की गई कि उनके यहां से कितनी बंदूकों के कलुपर्जे गायब हुए थे.