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कैदियों की सूरत बदलने पर जेल विभाग कर रहा मंथन, बदले जाएंगे अंग्रेजों के बनाए नियम

जबलपुर जेल में बंद कैदियों को जल्द ही नई सुविधाएं मिलने वाली हैं. जेल विभाग कैदियों की बुनियादी जरूरत को दुरुस्त करने पर मंथन कर रहा है. इसके लिए एक कमेटी गठित की गई है, जो इस मुद्दे पर विचार कर रही है.

कैदियों की ड्रेस बदली जाएगी
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Published : Aug 10, 2019, 4:51 PM IST

जबलपुर। नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय जेल में बंद कैदियों को जल्द ही नई सुविधाएं मिलने वाली हैं. प्रदेश सरकार ने कैदियों की बुनियादी जरूरतों को बदलने का मन बनाया है. जेल महानिदेशक ने एक कमेटी का गठन किया है, जो कैदियों की बुनियादी सुविधाओं को आधुनिक बनाने पर विचार कर रही है.

जबलपुर जेल के अधीक्षक गोपाल ताम्रकार का कहना है कि प्रदेश की जेलों में हजारों की संख्या में कैदी बंदी हैं. अगर जेल व्यवस्था में बदलाव किया जाता है, तो सजा काट रहे कैदियों का जीवन बेहतर हो सकेगा. उन्होंने कहा कि कैदियों के पहनने और इस्तेमाल करने वाले कपड़ों सहित अन्य चीजों को बदलने पर विचार चल रहा है.

अब भी लागू है अग्रेजों द्वारा बनाया गया अधिनियम

जबलपुर भारतीय जेल अधिनियम साल 1894 में अंग्रेजों ने बनाया था, जो आज भी लागू है. मध्यप्रदेश के गठन के बाद सन् 1968 में मध्यप्रदेश का जेल मैनुअल बनाया गया. इसे बने लगभग 50 साल हो गए हैं. 50 सालों में लगभग पूरा समाज बदल गया, लेकिन जेल की व्यवस्थाएं अब तक वैसी ही हैं.

कैदियों की सूरत बदलने पर जेल विभाग कर रहा मंथन


कैदियों को मिल रही ये सुविधाएं
मौजूदा वक्त में जेल मैनुअल के तहत कैदियों को दो जोड़ी कपड़े दिए जाते हैं, जिनके साइज का कोई ध्यान नहीं रखा जाता. दस साल से ज्यादा सजा वाले कैदियों को काला कुर्ता दिया जाता है. जेल में कपड़े सुखाने की कोई व्यवस्था नहीं होती. कैदी अपने साथ न तो कोई रस्सी रख सकते हैं और न ही दीवार पर कोई कील लगा सकते हैं, ऐसे में बारिश के मौसम में कैदियों को कपड़े सुखाने में खासी परेशानी होती है.

गीले कपड़े पहनने से कैदी हो रहे बीमार
बारिश के मौसम में कपड़े नहीं सूख पाते, लिहाजा गीले कपड़े पहनने से कैदी बीमार भी होते हैं. उन्हें सोने के लिए मात्र दो फीट चौड़ी एक दरी और एक कंबल दिया जाता है. जबकि ठंड से बचने के लिए कैदियों को एक हाफ जैकेट मिलती है. जेलों में ये नियम पिछले 50 साल से लागू हैं, जो सरकारें बदलने के बाद अब तक नहीं बदला, लेकिन जेल विभाग अब कैदियों की जरूरतों और सुविधाओं को दुरुस्त करने पर गहन चिंतन कर रहा है.

जबलपुर। नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय जेल में बंद कैदियों को जल्द ही नई सुविधाएं मिलने वाली हैं. प्रदेश सरकार ने कैदियों की बुनियादी जरूरतों को बदलने का मन बनाया है. जेल महानिदेशक ने एक कमेटी का गठन किया है, जो कैदियों की बुनियादी सुविधाओं को आधुनिक बनाने पर विचार कर रही है.

जबलपुर जेल के अधीक्षक गोपाल ताम्रकार का कहना है कि प्रदेश की जेलों में हजारों की संख्या में कैदी बंदी हैं. अगर जेल व्यवस्था में बदलाव किया जाता है, तो सजा काट रहे कैदियों का जीवन बेहतर हो सकेगा. उन्होंने कहा कि कैदियों के पहनने और इस्तेमाल करने वाले कपड़ों सहित अन्य चीजों को बदलने पर विचार चल रहा है.

अब भी लागू है अग्रेजों द्वारा बनाया गया अधिनियम

जबलपुर भारतीय जेल अधिनियम साल 1894 में अंग्रेजों ने बनाया था, जो आज भी लागू है. मध्यप्रदेश के गठन के बाद सन् 1968 में मध्यप्रदेश का जेल मैनुअल बनाया गया. इसे बने लगभग 50 साल हो गए हैं. 50 सालों में लगभग पूरा समाज बदल गया, लेकिन जेल की व्यवस्थाएं अब तक वैसी ही हैं.

कैदियों की सूरत बदलने पर जेल विभाग कर रहा मंथन


कैदियों को मिल रही ये सुविधाएं
मौजूदा वक्त में जेल मैनुअल के तहत कैदियों को दो जोड़ी कपड़े दिए जाते हैं, जिनके साइज का कोई ध्यान नहीं रखा जाता. दस साल से ज्यादा सजा वाले कैदियों को काला कुर्ता दिया जाता है. जेल में कपड़े सुखाने की कोई व्यवस्था नहीं होती. कैदी अपने साथ न तो कोई रस्सी रख सकते हैं और न ही दीवार पर कोई कील लगा सकते हैं, ऐसे में बारिश के मौसम में कैदियों को कपड़े सुखाने में खासी परेशानी होती है.

गीले कपड़े पहनने से कैदी हो रहे बीमार
बारिश के मौसम में कपड़े नहीं सूख पाते, लिहाजा गीले कपड़े पहनने से कैदी बीमार भी होते हैं. उन्हें सोने के लिए मात्र दो फीट चौड़ी एक दरी और एक कंबल दिया जाता है. जबकि ठंड से बचने के लिए कैदियों को एक हाफ जैकेट मिलती है. जेलों में ये नियम पिछले 50 साल से लागू हैं, जो सरकारें बदलने के बाद अब तक नहीं बदला, लेकिन जेल विभाग अब कैदियों की जरूरतों और सुविधाओं को दुरुस्त करने पर गहन चिंतन कर रहा है.

Intro:अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही कैदियों की ड्रेस बदली जाएगी इस्तेमाल करने के दूसरे कपड़ों में भी किया जाएगा बदलाव


Body:जबलपुर भारतीय जेल अधिनियम सन 1894 मैं अंग्रेजों द्वारा बनाया गया था आज भी भारत की जेल अंग्रेजों के बनाए कानून से ही चलाई जा रही हैं मध्य प्रदेश के गठन के बाद सन 1968 मध्य प्रदेश का जेल मैनुअल बनाया गया इसे बने भी लगभग 50 साल हो गए हैं 50 सालों में लगभग पूरा समाज बदल गया लेकिन जेल की व्यवस्थाएं नहीं बदली

जेल में बंद कैदियों को 2 जोड़ी कपड़े लिए जाते हैं इसमें उनकी साइज का कोई ध्यान नहीं रखा जाता यह सफेद कुर्ता पजामा होता है और टोपी होती है जिन कैदियों की सजा 10 साल से ज्यादा हो जाती है उन्हें काला कुर्ता दिया जाता है जेल में कपड़े सुखाने की कोई व्यवस्था नहीं होती कैदी रस्सी नहीं रख सकते नाही दीवाल पर कील ठोंक सकते हैं तो जरा सोचिए कि कैदी बरसात के इस मौसम में कपड़े कहां सुखाते होंगे इसलिए ज्यादातर कैदी गीले कपड़े पहनते हैं इसकी वजह से इन्हें त्वचा संबंधी कई बीमारियां हो जाते हैं सोने के लिए मात्र 2 फीट चौड़ी एक दरी दी जाती है एक कंबल दिया जाता है और एक चादर दी जाती है इसके साथ ही ठंड से बचने के लिए सामने से खुली हुई एक हाफ जैकेट होती है दरअसल पहनने और इस्तेमाल करने के कपड़ों को लेकर जो जेल मैन्युअल में आज से 50 साल पहले लिख दिया गया था उसी का पालन होता चला आ रहा है किसी ने इस व्यवस्था को बदलने की कोशिश नहीं की अब मध्य प्रदेश सरकार ने कैदियों की बुनियादी जरूरतों को बदलने का मन बनाया है और कैदियों के पहनने के कपड़े और इस्तेमाल करने के कपड़े सहित कुछ बुनियादी सुविधाओं को आधुनिक करने की कोशिश की जा रही है ताकि जेल में बंद कैदी भी सामान्य मानवीय जीवन जी सके

जबलपुर की जेल अधीक्षक गोपाल ताम्रकार का कहना है की मध्य प्रदेश की जेलों में हजारों की संख्या में कैदी बंदी है और यदि यह बदलाव किया जाता है तो जेल में सजा काट रहे कैदियों का जीवन कुछ बेहतर हो सकेगा


Conclusion:यहां सवाल यह भी उठता है की 50 सालों में कई सरकारें आई और गई लेकिन किसी ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि कम से कम जेल में बंद कैदियों के कपड़े की आधुनिक कर दिए जाएं फिलहाल इस मामले में जेल विभाग में गहन चिंतन चल रहा है और जल्द ही इसके परिणाम सामने आएंगे
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