जबलपुर। नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय जेल में बंद कैदियों को जल्द ही नई सुविधाएं मिलने वाली हैं. प्रदेश सरकार ने कैदियों की बुनियादी जरूरतों को बदलने का मन बनाया है. जेल महानिदेशक ने एक कमेटी का गठन किया है, जो कैदियों की बुनियादी सुविधाओं को आधुनिक बनाने पर विचार कर रही है.
जबलपुर जेल के अधीक्षक गोपाल ताम्रकार का कहना है कि प्रदेश की जेलों में हजारों की संख्या में कैदी बंदी हैं. अगर जेल व्यवस्था में बदलाव किया जाता है, तो सजा काट रहे कैदियों का जीवन बेहतर हो सकेगा. उन्होंने कहा कि कैदियों के पहनने और इस्तेमाल करने वाले कपड़ों सहित अन्य चीजों को बदलने पर विचार चल रहा है.
अब भी लागू है अग्रेजों द्वारा बनाया गया अधिनियम
जबलपुर भारतीय जेल अधिनियम साल 1894 में अंग्रेजों ने बनाया था, जो आज भी लागू है. मध्यप्रदेश के गठन के बाद सन् 1968 में मध्यप्रदेश का जेल मैनुअल बनाया गया. इसे बने लगभग 50 साल हो गए हैं. 50 सालों में लगभग पूरा समाज बदल गया, लेकिन जेल की व्यवस्थाएं अब तक वैसी ही हैं.
कैदियों को मिल रही ये सुविधाएं
मौजूदा वक्त में जेल मैनुअल के तहत कैदियों को दो जोड़ी कपड़े दिए जाते हैं, जिनके साइज का कोई ध्यान नहीं रखा जाता. दस साल से ज्यादा सजा वाले कैदियों को काला कुर्ता दिया जाता है. जेल में कपड़े सुखाने की कोई व्यवस्था नहीं होती. कैदी अपने साथ न तो कोई रस्सी रख सकते हैं और न ही दीवार पर कोई कील लगा सकते हैं, ऐसे में बारिश के मौसम में कैदियों को कपड़े सुखाने में खासी परेशानी होती है.
गीले कपड़े पहनने से कैदी हो रहे बीमार
बारिश के मौसम में कपड़े नहीं सूख पाते, लिहाजा गीले कपड़े पहनने से कैदी बीमार भी होते हैं. उन्हें सोने के लिए मात्र दो फीट चौड़ी एक दरी और एक कंबल दिया जाता है. जबकि ठंड से बचने के लिए कैदियों को एक हाफ जैकेट मिलती है. जेलों में ये नियम पिछले 50 साल से लागू हैं, जो सरकारें बदलने के बाद अब तक नहीं बदला, लेकिन जेल विभाग अब कैदियों की जरूरतों और सुविधाओं को दुरुस्त करने पर गहन चिंतन कर रहा है.