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पीएससी 2019 की नियुक्तियों को लेकर हाई कोर्ट में हुई सुनवाई, जानें .. क्या है नया आदेश

पीएससी 2019 की नियुक्तियां हाईकोर्ट के अंतिम आदेश के अधीन रहेंगी. याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया कि पीएससी ने इंटरव्यू की प्रकिया शुरू कर दी है. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद आदेश जारी करते हुए याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई के लिए गुरुवार का दिन निर्धारित किया है. (MPPSC 2019 appointments case)

MPPSC 2019 appointments case hearing in Jabalpur  High court
पीएससी 2019 की नियुक्तियों को लेकर हाई कोर्ट में हुई सुनवाई
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Published : Mar 29, 2022, 1:21 PM IST

जबलपुर। एमपीपीएससी 2019 की नियुक्तियों को लेकर हाईकोर्ट सक्रिय हो गया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि अंतिम आदेश उसके अधीन रहेगा. याचिकाओं पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट जस्टिस सुजय पॉल तथा जस्टिस डी डी बसंल की युगलपीठ को बताया गया कि पीएससी ने इंटरव्यू की प्रकिया शुरू कर दी है. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद उक्त आदेश जारी करते हुए याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई गुरुवार को निर्धारित की है. इस बारे में याचिकाकर्ता किशोरी चौधरी सहित लगभग आधा सैकड़ा याचिकाएं दायर की गई हैं.

आरक्षण के मामले में संशोधित नियम का हवाला : याचिका में कहा गया था कि संशोधित नियम आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभियाथियों को अनारक्षित वर्ग में चयन से रोकते हैं. जो इंद्रा शाहनी के निर्णय से असंगत है तथा संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16 तथा 21 का उल्लंघन करते हुए कम्युनल आरक्षण लागू करता है. मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा नवम्बर 2019 के राज्य सेवा एवं वन सेवा में रिक्त पदों की पूर्ति हेतु विज्ञापन जारी किया गया था. प्रारंभिक परीक्षा जनवरी 2020 में आयोजित की गई तथा 21 दिसंबर 2020 को संशोधित नियमानुसार रिजल्ट जारी किया गया. इसमें अनारक्षित वर्ग के लिए 40 प्रतिशत,ओबीसी वर्ग के लिए 27 तथा एसटी-एससी वर्ग के लिए क्रमशः 16 तथा 20 प्रतिशत और और ईडब्ल्यूएस के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण निर्धारित किया गया है.

ये भी पढ़ें : मनमाने तरीके से 65 निजी अस्पतालों के संचालन की स्वीकृति, हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को जवाब के लिए अंतिम मौका दिया

सरकार ने बताया- विवादित संशोधित नियमों को निरस्त किया : इस प्रकार पीएससी द्वारा 113 प्रतिशत आरक्षण लागू किया गया. अनारक्षित वर्ग में सिर्फ अनारक्षित वर्ग के अभियार्थियों को ही रखा गया, जबकि पुराने नियमों के अनुसार अनारक्षित वर्ग में आरक्षित एवं अनारक्षित वर्ग के प्रतिभावान छात्रों का ही चयन किया जाता था. याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया कि विवादित संशोधित नियमों को निरस्त कर दिया गया है. याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि नियमों को निरस्त किये जाने के बावजूद मुख्य परीक्षा का रिजल्ट उसके अनुसार जारी किया गया है. युगलपीठ को बताया गया कि सर्वोच्च न्यायालय ने दायर एसएलपी की सुनवाई करते हुए याचिकाओं की शीघ्र सुनवाई के संबंध में हाईकोर्ट से आग्रह किया है. याकिचाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने पैरवी की. (MPPSC 2019 appointments case)

जबलपुर। एमपीपीएससी 2019 की नियुक्तियों को लेकर हाईकोर्ट सक्रिय हो गया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि अंतिम आदेश उसके अधीन रहेगा. याचिकाओं पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट जस्टिस सुजय पॉल तथा जस्टिस डी डी बसंल की युगलपीठ को बताया गया कि पीएससी ने इंटरव्यू की प्रकिया शुरू कर दी है. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद उक्त आदेश जारी करते हुए याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई गुरुवार को निर्धारित की है. इस बारे में याचिकाकर्ता किशोरी चौधरी सहित लगभग आधा सैकड़ा याचिकाएं दायर की गई हैं.

आरक्षण के मामले में संशोधित नियम का हवाला : याचिका में कहा गया था कि संशोधित नियम आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभियाथियों को अनारक्षित वर्ग में चयन से रोकते हैं. जो इंद्रा शाहनी के निर्णय से असंगत है तथा संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16 तथा 21 का उल्लंघन करते हुए कम्युनल आरक्षण लागू करता है. मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा नवम्बर 2019 के राज्य सेवा एवं वन सेवा में रिक्त पदों की पूर्ति हेतु विज्ञापन जारी किया गया था. प्रारंभिक परीक्षा जनवरी 2020 में आयोजित की गई तथा 21 दिसंबर 2020 को संशोधित नियमानुसार रिजल्ट जारी किया गया. इसमें अनारक्षित वर्ग के लिए 40 प्रतिशत,ओबीसी वर्ग के लिए 27 तथा एसटी-एससी वर्ग के लिए क्रमशः 16 तथा 20 प्रतिशत और और ईडब्ल्यूएस के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण निर्धारित किया गया है.

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सरकार ने बताया- विवादित संशोधित नियमों को निरस्त किया : इस प्रकार पीएससी द्वारा 113 प्रतिशत आरक्षण लागू किया गया. अनारक्षित वर्ग में सिर्फ अनारक्षित वर्ग के अभियार्थियों को ही रखा गया, जबकि पुराने नियमों के अनुसार अनारक्षित वर्ग में आरक्षित एवं अनारक्षित वर्ग के प्रतिभावान छात्रों का ही चयन किया जाता था. याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया कि विवादित संशोधित नियमों को निरस्त कर दिया गया है. याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि नियमों को निरस्त किये जाने के बावजूद मुख्य परीक्षा का रिजल्ट उसके अनुसार जारी किया गया है. युगलपीठ को बताया गया कि सर्वोच्च न्यायालय ने दायर एसएलपी की सुनवाई करते हुए याचिकाओं की शीघ्र सुनवाई के संबंध में हाईकोर्ट से आग्रह किया है. याकिचाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने पैरवी की. (MPPSC 2019 appointments case)

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