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MP High Court: भ्रष्टाचार के मामले में IAS दीपक आर्य के खिलाफ जांच क्यों नहीं की,सरकार को अल्टीमेटम

बालाघाट जिले के तत्कालीन कलेक्टर दीपक आर्य पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप की जांच उच्च स्तरीय कमेटी से करवाने के निर्देश का पालन नहीं करने पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है. एक साल बाद भी हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किये जाने के खिलाफ अवमानना याचिका पर हाई कोर्ट ने सुनवाई की. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने सरकार को जांच के लिए अंतिम अवसर प्रदान किया है.

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भ्रष्टाचार के मामले में IAS दीपक आर्य के खिलाफ जांच क्यों नहीं की
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Published : Apr 22, 2023, 10:51 AM IST

जबलपुर। पूर्व विधायक किशोर समरिते की तरफ से दायर अवमानना याचिका में कहा गया था कि बालाघाट जिले के तत्कानील कलेक्टर दीपक आर्य ने कस्टम मिलिंग व चावल के अवैध कारोबारियों, कान्हा स्थित रिसोर्ट संचालकों, रेत ठेकेदारों, कंस्ट्रक्सन कंपनी से रिश्वत के रूप में महंगे गिफ्ट खुद व परिजनों के नाम पर लिए थे. इस संबंध में उन्होंने केन्द्र सरकार से शिकायत की थी. केन्द्र सरकार ने शिकायत पर कार्रवाई के लिए राज्य सरकार को निर्देशित किया था. राज्य सरकार ने जांच बालाघाट कलेक्टर को सौंप दी थी.

खुद को दे दी क्लीन चिट : तत्कालीन कलेक्टर दीपक आर्य ने खुद पर लगे आरोपों की स्वयं जांच करते हुए क्लीन चिट प्रदान कर दी. तत्कालीन कलेक्टर द्वारा खुद की जांच किये जाने के खिलाफ समरिते ने केन्द्र सरकार से फिर शिकायत की. इस पर केन्द्र सरकार ने प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को कार्रवाई करने निर्देश दिए. मुख्य सचिव द्वारा शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं किये जाने के कारण उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. हाईकोर्ट ने जनवरी 2022 को अपने आदेश में कहा था कि नियमानुसार जिस अधिकारी पर आरोप लगे हैं, उसकी जांच वरिष्ठ अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए. युगलपीठ ने याचिका का निराकरण करते हुए शिकायत की जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने के आदेश जारी किए थे.

कमेटी गठित क्यों नहीं की : शिकायत सही पाई जाने पर संबंधित अधिकारी पर तथा गलत पाये जाने पर याचिकाकर्ता के खिलाफ विधि अनुसार कार्रवाई के आदेश भी हाईकोर्ट ने पारित किये थे. हाईकोर्ट के आदेश बावजूद जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी गठित नहीं किये जाने के कारण उक्त अवमानना याचिका दायर की गयी. याचिका पर हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने उच्च स्तरीय जांच के लिए सरकार को अंतिम अवसर प्रदान किया है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता शिवेन्द्र पांडे ने पैरवी की.

मंडी चुनाव को लेकर याचिका पर सुनवाई : हाई कोर्ट ने प्रदेश में मंडी चुनाव कराए जाने के मामले में राज्य शासन को जवाब पेश करने के लिए चार सप्ताह की अंतिम मोहलत दी है. राज्य शासन का जवाब पेश होने के साथ ही इस मामले में फिर से सुनवाई होगी. चीफ जस्टिस रवि मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने उक्त निर्देश दिये. यह जनहित याचिकाकर्ता नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के संयोजक मनीष मिश्रा सहित अन्य की ओर से दायर की गई. जिसमें कहा गया है कि मंडी अधिनियम की धारा-11 में मंडी समितियों के गठन का प्रवधान है. धारा-13 में मंडी समितियों का कार्यकाल 5 वर्ष निर्धारित किया गया है.

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महिला की याचिका खारिज : जिला न्यायालय द्वारा धारा 319 के आवेदन पर अभियुक्त बनाये जाने के खिलाफ एक महिला व नाबालिग ने हाईकोर्ट में अपील दायर की. हाईकोर्ट जस्टिस राजेन्द्र कुमार वर्मा से अपील को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा है कि धारा 319 का प्रयोग विवेकाधिकार पर है. न्यायालय ठोस व मजबूत सबूत होने पर इसका प्रयोग करती है. अपीलकर्ता तथा 17 साल के किशोर की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि टीकमगढ न्यायालय ने धारा 319 के तहत दायर आवेदन पर उन्हें आरोपी बनाते हुए तलब किया है. पुलिस जांच से यह स्पस्ष्ट है कि घटना के समय वह मौके पर उपस्थित नहीं थी.

जबलपुर। पूर्व विधायक किशोर समरिते की तरफ से दायर अवमानना याचिका में कहा गया था कि बालाघाट जिले के तत्कानील कलेक्टर दीपक आर्य ने कस्टम मिलिंग व चावल के अवैध कारोबारियों, कान्हा स्थित रिसोर्ट संचालकों, रेत ठेकेदारों, कंस्ट्रक्सन कंपनी से रिश्वत के रूप में महंगे गिफ्ट खुद व परिजनों के नाम पर लिए थे. इस संबंध में उन्होंने केन्द्र सरकार से शिकायत की थी. केन्द्र सरकार ने शिकायत पर कार्रवाई के लिए राज्य सरकार को निर्देशित किया था. राज्य सरकार ने जांच बालाघाट कलेक्टर को सौंप दी थी.

खुद को दे दी क्लीन चिट : तत्कालीन कलेक्टर दीपक आर्य ने खुद पर लगे आरोपों की स्वयं जांच करते हुए क्लीन चिट प्रदान कर दी. तत्कालीन कलेक्टर द्वारा खुद की जांच किये जाने के खिलाफ समरिते ने केन्द्र सरकार से फिर शिकायत की. इस पर केन्द्र सरकार ने प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को कार्रवाई करने निर्देश दिए. मुख्य सचिव द्वारा शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं किये जाने के कारण उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. हाईकोर्ट ने जनवरी 2022 को अपने आदेश में कहा था कि नियमानुसार जिस अधिकारी पर आरोप लगे हैं, उसकी जांच वरिष्ठ अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए. युगलपीठ ने याचिका का निराकरण करते हुए शिकायत की जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने के आदेश जारी किए थे.

कमेटी गठित क्यों नहीं की : शिकायत सही पाई जाने पर संबंधित अधिकारी पर तथा गलत पाये जाने पर याचिकाकर्ता के खिलाफ विधि अनुसार कार्रवाई के आदेश भी हाईकोर्ट ने पारित किये थे. हाईकोर्ट के आदेश बावजूद जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी गठित नहीं किये जाने के कारण उक्त अवमानना याचिका दायर की गयी. याचिका पर हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने उच्च स्तरीय जांच के लिए सरकार को अंतिम अवसर प्रदान किया है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता शिवेन्द्र पांडे ने पैरवी की.

मंडी चुनाव को लेकर याचिका पर सुनवाई : हाई कोर्ट ने प्रदेश में मंडी चुनाव कराए जाने के मामले में राज्य शासन को जवाब पेश करने के लिए चार सप्ताह की अंतिम मोहलत दी है. राज्य शासन का जवाब पेश होने के साथ ही इस मामले में फिर से सुनवाई होगी. चीफ जस्टिस रवि मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने उक्त निर्देश दिये. यह जनहित याचिकाकर्ता नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के संयोजक मनीष मिश्रा सहित अन्य की ओर से दायर की गई. जिसमें कहा गया है कि मंडी अधिनियम की धारा-11 में मंडी समितियों के गठन का प्रवधान है. धारा-13 में मंडी समितियों का कार्यकाल 5 वर्ष निर्धारित किया गया है.

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