जबलपुर। याचिकाकर्ता विनय कुमार अथिया की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि उनके पिता पुलिस विभाग में पदस्थ थे. साल 2017 में उनके पिता की मौत हो गयी थी. जिसके बाद उसे साल 2018 में बाल आरक्षक के रूप में अनुकंपा नियुक्ति प्रदान की गयी. बालिग होने के बाद उसे 18 साल में आरक्षक के पद पर नियुक्ति प्रदान की गयी. याचिका में कहा गया है कि उसने सीपीसीटी की परीक्षा उत्तीर्ण की है.
एएसआई पद पर मांगी नियुक्ति : यातिकाकर्ता के अनुसार योग्यता के अनुसार उसे एएसआई के पद पर नियुक्ति मिलनी चाहिये थी. याचिका में कहा गया था कि आरक्षक एम सीधी भर्ती का पद नहीं है. नियमानुसार उसे सीधी भर्ती के पद पर अनुकंपा नियुक्ति मिलनी चाहिए. याचिका की सुनवाई के बाद शासन की तरफ से एकलपीठ को बताया गया कि आरक्षक एम सीधी भर्ती का पद है. याचिकाकर्ता ने पांच साल पहले स्वेच्छा से अनुकंपा नियुक्ति का पद स्वीकार किया था. एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता यह साबित नहीं कर पाया कि आरक्षक एम सीधी भर्ती का पद नहीं है.
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याचिका खारिज की : अनुकंपा नियुक्ति का पद स्वीकार करने के बाद उच्च पद के लिए याचिकाकर्ता दावा नहीं कर सकता है. उक्त आदेश के साथ एकलपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया. हाईकोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल ने उक्त आदेश के साथ याचिका को खारिज करने का आदेश दिया.