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MP High Court: रिश्वत की सरकारी राशि लोकायुक्त ने जब्त की, शिक्षक के खिलाफ केस करने पर सहायक आयुक्त पर जुर्माना - सहायक आयुक्त पर लगा जुर्माना

एक शिक्षक ने लोकायुक्त से शिकायत कर वरिष्ठ अधिकारी को रिश्वत के रूप में सरकारी राशि दी थी. लोकायुक्त ने सरकारी राशि को जब्त कर लिया था. लेकिन विभाग द्वारा शिक्षक के खिलाफ अमानत में खयानत करने की एफआईआर दर्ज करवा दी गयी. हाईकोर्ट जस्टिस जीएस आलुवालिया ने एफआईआर को निरस्त करने के आदेश जारी किए. साथ ही सहायक आयुक्त पर जुर्माना भी लगाया.

MP High Court
शिक्षक के खिलाफ केस करने पर सहायक आयुक्त पर लगा जुर्माना
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Published : Aug 7, 2023, 2:37 PM IST

जबलपुर। जबलपुर हाईकोर्ट की एकलपीठ ने एफआईआर दर्ज करवाने वाले आदिवासी कल्याण एवं जनजातीय कार्य विभाग के सहायक आयुक्त पर 50 हजार रुपये की कॉस्ट लगाते हुए मुख्य सचिव को उनके आचरण की जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिये हैं. मामला बालाघाट जिले का है. शिक्षक धरम दास भालेकर की तरफ से रकम की रिक्वरी के नोटिस तथा एफआईआर निरस्त करने की मांग करते हुए दो याचिकाएं दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि वह 2013 में लालबर्रा हॉस्टल में अधीक्षक के पद पर पदस्थ था.

10 साल बाद रिकवरी का आदेश : इस दौरान हॉस्टल की मरम्मत के लिए 50 हजार रुपये की राशि आवंटित हुई. तत्कालीन सहायक आयुक्त अजय मिश्रा ने उक्त राशि रिश्वत के रूप में मांगी थी. जिसकी शिकायत उसने लोकायुक्त में की थी. लोकायुक्त ने अजय मिश्रा तथा उसके क्लर्क के उक्त राशि रिश्वत के रूप में लेते हुए पकडा था. लोकायुक्त ने उक्त राशि जब्त कर दोनों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था. याचिकाओं में कहा गया था कि 10 साल बाद वर्तमान सहायक आयुक्त ने उक्त राशि की रिकवरी के लिए नोटिस जारी किया था.

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गबन का केस कराया : इसके बाद वर्तमान सहायक आयुक्त पत्र लिखकर पुलिस में उक्त राशि का गबन करने की रिपोर्ट दर्ज करवा दी. जबकि सहायक आयुक्त, थाना प्रभारी और पुलिस अधीक्षक को उसके द्वारा लिखित में बताया गया था कि रुपये लोकायुक्त के पास जमा हैं. इसके बावजूद उनके बयान को नजरअंदाज किया गया. एकलपीठ ने सुनवाई के बाद पाया कि लोकायुक्त ने प्रकरण दर्ज होने के 8 साल बाद चालान प्रस्तुत किया है. विभाग की तरफ से उक्त राशि प्राप्त करने कोई आवेदन नहीं किया गया. इसके विपरित चालान प्रस्तुत होने के बाद शिकायतकर्ता को प्रताड़ित करना प्रारंभ कर दिया.

जबलपुर। जबलपुर हाईकोर्ट की एकलपीठ ने एफआईआर दर्ज करवाने वाले आदिवासी कल्याण एवं जनजातीय कार्य विभाग के सहायक आयुक्त पर 50 हजार रुपये की कॉस्ट लगाते हुए मुख्य सचिव को उनके आचरण की जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिये हैं. मामला बालाघाट जिले का है. शिक्षक धरम दास भालेकर की तरफ से रकम की रिक्वरी के नोटिस तथा एफआईआर निरस्त करने की मांग करते हुए दो याचिकाएं दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि वह 2013 में लालबर्रा हॉस्टल में अधीक्षक के पद पर पदस्थ था.

10 साल बाद रिकवरी का आदेश : इस दौरान हॉस्टल की मरम्मत के लिए 50 हजार रुपये की राशि आवंटित हुई. तत्कालीन सहायक आयुक्त अजय मिश्रा ने उक्त राशि रिश्वत के रूप में मांगी थी. जिसकी शिकायत उसने लोकायुक्त में की थी. लोकायुक्त ने अजय मिश्रा तथा उसके क्लर्क के उक्त राशि रिश्वत के रूप में लेते हुए पकडा था. लोकायुक्त ने उक्त राशि जब्त कर दोनों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था. याचिकाओं में कहा गया था कि 10 साल बाद वर्तमान सहायक आयुक्त ने उक्त राशि की रिकवरी के लिए नोटिस जारी किया था.

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गबन का केस कराया : इसके बाद वर्तमान सहायक आयुक्त पत्र लिखकर पुलिस में उक्त राशि का गबन करने की रिपोर्ट दर्ज करवा दी. जबकि सहायक आयुक्त, थाना प्रभारी और पुलिस अधीक्षक को उसके द्वारा लिखित में बताया गया था कि रुपये लोकायुक्त के पास जमा हैं. इसके बावजूद उनके बयान को नजरअंदाज किया गया. एकलपीठ ने सुनवाई के बाद पाया कि लोकायुक्त ने प्रकरण दर्ज होने के 8 साल बाद चालान प्रस्तुत किया है. विभाग की तरफ से उक्त राशि प्राप्त करने कोई आवेदन नहीं किया गया. इसके विपरित चालान प्रस्तुत होने के बाद शिकायतकर्ता को प्रताड़ित करना प्रारंभ कर दिया.

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