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CM मोहन यादव की सभा पर संकट, जबलपुर में बसों की हड़ताल, अब कैसे आएगी भीड़

Trouble For CM Mohan Jansabha: एमपी में पिछले तीन दिनों से बस और ट्रकों के पहिए थमे हुए हैं. जिसका असर जबलपुर में 3 जनवरी को होने वाली सीएम की सभा पर भी पड़ रहा है. वाहन बंद होने से प्रशासन के लिए भीड़ इकठ्ठा करना मुश्किल हो रहा है. वहीं चालकों से हड़ताल खत्म करने की अपील कर रहा है.

Trouble For CM Mohan Jansabha
सीएम मोहन यादव की सभा पर संकट
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 2, 2024, 4:51 PM IST

सीएम मोहन यादव की सभा पर संकट

जबलपुर। मोटर व्हीकल एक्ट के प्रावधानों में परिवर्तन के बाद ड्राइवर की हड़ताल की वजह से जबलपुर में मुख्यमंत्री मोहन यादव की सभा पर संकट खड़ा हो गया है. सभा में भीड़ इकट्ठा करने के लिए बसों की जरूरत है. ड्राइवर-कंडक्टर इसके लिए हड़ताल खत्म करने को तैयार नहीं है. जबलपुर जिला प्रशासन अपने पूरे अमले के साथ हड़ताल खत्म करवाने बस स्टैंड पहुंचा, लेकिन ड्राइवर कंडक्टर नहीं मानें.

सीएम की सभा पर संकट: जबलपुर में मुख्यमंत्री मोहन यादव की सभा के चलते प्रशासन बस के संचालन को शुरू करवाना चाह रहा है. इसके लिए जबलपुर परिवहन विभाग के अधिकारी जबलपुर के बस स्टैंड पर पहुंचे. यहां पर हड़ताल कर रहे ड्राइवर से अपील है की कि वह अपनी हड़ताल बंद करके मुख्यमंत्री की सभा के लिए बस चलवाएं, लेकिन ड्राइवर संगठन इसके लिए तैयार नहीं है. ड्राइवर और बस एसोसिएशन के नेता राजेश सेन का कहना है कि जब तक सरकार लिखित आश्वासन नहीं देती है, तब तक बसों की हड़ताल खत्म नहीं की जाएगी.

500 से ज्यादा बस बंद: जबलपुर में बीते तीन दिनों से 500 से ज्यादा बसें बंद हैं, लेकिन 3 तारीख में जबलपुर में मुख्यमंत्री मोहन यादव आ रहे हैं. इसके लिए जबलपुर के गैरिसन मैदान में एक सभा का आयोजन किया गया है. इस सभा में भीड़ जुटाने के लिए बसों को चलाना जरूरी है. प्रशासन ने बस मालिकों से बसें तो ले ली हैं, लेकिन इन बसों को चलाने वाले ड्राइवर और कंडक्टर बस चलाने को तैयार नहीं है.

Trouble For CM Jansabha
जबलपुर में बसों की हड़ताल

यात्री हो रहे परेशान: वहीं दूसरी तरफ बसों की हड़ताल की वजह से बाहर से आने वाले यात्रियों को भी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. उत्तर प्रदेश से छिंदवाड़ा आए उत्तर प्रदेश के ओम प्रकाश जबलपुर में फंस गए. उन्हें अपनी बहन को छिंदवाड़ा में बीएससी का पेपर देने के लिए ले जाना था, लेकिन बस हड़ताल की वजह से वे जबलपुर से आगे नहीं जा पाए. इसी तरीके से जबलपुर के बस स्टैंड पर कई यात्री भटकते नजर आए.

हिट एंड रन कानून का विरोध: बीते लगभग 35 सालों से बस ड्राइवरी कर रहे जफर हुसैन का कहना है कि हिट एंड रन केस में केंद्र सरकार ने जो कानून बनाया है. वह ड्राइवर और कंडक्टर्स के लिए जानलेवा है. यदि उसके प्रावधानों को माना जाए तो एक्सीडेंट होने की सूरत में ड्राइवर मौके पर भीड़ द्वारा पीट दिया जाएगा. यदि उस पर केस दर्ज हो जाए तो वह ₹700000 का जुर्माना कहां से लेकर आएगा. जफर हुसैन बताते हैं कि बीते दिनों एक कार ने उनकी बस को टक्कर मारी और लोगों ने बस के कांच फोड़ दिए. सामान्य तौर पर बड़ी गाड़ी वालों की गलती ज्यादा मानी जाती है. इसलिए समस्या उन्हें ही झेलनी होगी.

यहां पढ़ें...

प्रशासन कर रहा चालकों को मनाने की कोशिश: बस कंडक्टर ड्राइवर संगठन का कहना है कि सरकार ना तो ड्राइवर को पीएफ देती है ना ही एक्सीडेंट का कोई मुआवजा मिलता है. यहां तक की तनख्वाह के भी कोई नियम पालन नहीं किए जाते. परिवहन विभाग भ्रष्टाचार करके बस की मरम्मत तक नहीं करवाता और पूरी जिम्मेदारी बस ड्राइवर कंडक्टर को देना गलत है. जबलपुर में प्रशासन बस ड्राइवर-कंडक्टर्स को लगातार मनाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन वह बिना लिखित आश्वासन को मानने के लिए तैयार नहीं है. बस ड्राइवर संगठन का कहना है कि वह अपने राष्ट्रीय संगठनों से जुड़े हुए हैं. जब तक सरकार लिखित आश्वासन नहीं देती, तब तक सड़क पर बस नहीं चलने दी जाएगी.

सीएम मोहन यादव की सभा पर संकट

जबलपुर। मोटर व्हीकल एक्ट के प्रावधानों में परिवर्तन के बाद ड्राइवर की हड़ताल की वजह से जबलपुर में मुख्यमंत्री मोहन यादव की सभा पर संकट खड़ा हो गया है. सभा में भीड़ इकट्ठा करने के लिए बसों की जरूरत है. ड्राइवर-कंडक्टर इसके लिए हड़ताल खत्म करने को तैयार नहीं है. जबलपुर जिला प्रशासन अपने पूरे अमले के साथ हड़ताल खत्म करवाने बस स्टैंड पहुंचा, लेकिन ड्राइवर कंडक्टर नहीं मानें.

सीएम की सभा पर संकट: जबलपुर में मुख्यमंत्री मोहन यादव की सभा के चलते प्रशासन बस के संचालन को शुरू करवाना चाह रहा है. इसके लिए जबलपुर परिवहन विभाग के अधिकारी जबलपुर के बस स्टैंड पर पहुंचे. यहां पर हड़ताल कर रहे ड्राइवर से अपील है की कि वह अपनी हड़ताल बंद करके मुख्यमंत्री की सभा के लिए बस चलवाएं, लेकिन ड्राइवर संगठन इसके लिए तैयार नहीं है. ड्राइवर और बस एसोसिएशन के नेता राजेश सेन का कहना है कि जब तक सरकार लिखित आश्वासन नहीं देती है, तब तक बसों की हड़ताल खत्म नहीं की जाएगी.

500 से ज्यादा बस बंद: जबलपुर में बीते तीन दिनों से 500 से ज्यादा बसें बंद हैं, लेकिन 3 तारीख में जबलपुर में मुख्यमंत्री मोहन यादव आ रहे हैं. इसके लिए जबलपुर के गैरिसन मैदान में एक सभा का आयोजन किया गया है. इस सभा में भीड़ जुटाने के लिए बसों को चलाना जरूरी है. प्रशासन ने बस मालिकों से बसें तो ले ली हैं, लेकिन इन बसों को चलाने वाले ड्राइवर और कंडक्टर बस चलाने को तैयार नहीं है.

Trouble For CM Jansabha
जबलपुर में बसों की हड़ताल

यात्री हो रहे परेशान: वहीं दूसरी तरफ बसों की हड़ताल की वजह से बाहर से आने वाले यात्रियों को भी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. उत्तर प्रदेश से छिंदवाड़ा आए उत्तर प्रदेश के ओम प्रकाश जबलपुर में फंस गए. उन्हें अपनी बहन को छिंदवाड़ा में बीएससी का पेपर देने के लिए ले जाना था, लेकिन बस हड़ताल की वजह से वे जबलपुर से आगे नहीं जा पाए. इसी तरीके से जबलपुर के बस स्टैंड पर कई यात्री भटकते नजर आए.

हिट एंड रन कानून का विरोध: बीते लगभग 35 सालों से बस ड्राइवरी कर रहे जफर हुसैन का कहना है कि हिट एंड रन केस में केंद्र सरकार ने जो कानून बनाया है. वह ड्राइवर और कंडक्टर्स के लिए जानलेवा है. यदि उसके प्रावधानों को माना जाए तो एक्सीडेंट होने की सूरत में ड्राइवर मौके पर भीड़ द्वारा पीट दिया जाएगा. यदि उस पर केस दर्ज हो जाए तो वह ₹700000 का जुर्माना कहां से लेकर आएगा. जफर हुसैन बताते हैं कि बीते दिनों एक कार ने उनकी बस को टक्कर मारी और लोगों ने बस के कांच फोड़ दिए. सामान्य तौर पर बड़ी गाड़ी वालों की गलती ज्यादा मानी जाती है. इसलिए समस्या उन्हें ही झेलनी होगी.

यहां पढ़ें...

प्रशासन कर रहा चालकों को मनाने की कोशिश: बस कंडक्टर ड्राइवर संगठन का कहना है कि सरकार ना तो ड्राइवर को पीएफ देती है ना ही एक्सीडेंट का कोई मुआवजा मिलता है. यहां तक की तनख्वाह के भी कोई नियम पालन नहीं किए जाते. परिवहन विभाग भ्रष्टाचार करके बस की मरम्मत तक नहीं करवाता और पूरी जिम्मेदारी बस ड्राइवर कंडक्टर को देना गलत है. जबलपुर में प्रशासन बस ड्राइवर-कंडक्टर्स को लगातार मनाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन वह बिना लिखित आश्वासन को मानने के लिए तैयार नहीं है. बस ड्राइवर संगठन का कहना है कि वह अपने राष्ट्रीय संगठनों से जुड़े हुए हैं. जब तक सरकार लिखित आश्वासन नहीं देती, तब तक सड़क पर बस नहीं चलने दी जाएगी.

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