ETV Bharat / state

सड़क पर घूम रहे गौवंश को मिलेगा आश्रय, जबलपुर की 530 हेक्टेयर भूमि में विकसित होगा गौ अभ्यारण्य

प्रदेश में गौवंश को आश्रय देने के लिए 15 स्थान चयनित किए गए हैं. यहां गौवंश वन्य बिहार बनाने की योजना तैयार की गई है. इस योजना के तहत जबलपुर के गंगईवीर में 530 हेक्टेयर में गौ अभ्यारण्य विकसित किया जा रहा है. यहां निराश्रित गौवंशों को रखा जाएगा. गौवंश की देखरेख की जाएगी. स्वामी अखिलेश्वरानंद ने भरोसा जताया है कि, जल्द ही यह योजना लागू कर काम शुरू किया जाएगा. इससे सड़कों पर भटकने वाले गौवंश को आश्रय मिलेगा.

Swami Akhileshwaranand Giri
स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी
author img

By

Published : Mar 15, 2023, 7:33 PM IST

स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी

जबलपुर। जिले के गंगई वीर गांव के 530 हेक्टेयर भूमि पर गौ वंश वन्य बिहार बनाने की योजना बनाई गई है. यह योजना जल्द ही अमल में आ जाएगी. गौ संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि, कई वर्षों से प्रदेश की सड़कों पर भटक रहे गौवंश को स्थाई आश्रय देने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. इसके लिए बड़े पैमाने पर राशि भी स्वीकृत हो चुकी है, लेकिन विभागीय और तकनीकी कारणों से अभी तक यह योजना शुरू नहीं हो सकी है.

फसलों का नहीं होगा नुकसान: गौ संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष ने गौवंश पालन की प्राचीन परंपराओं की जानकारी देते हुए बताया कि, अंग्रेजों के समय में वर्ष 1913 से वर्ष 1916 तक मध्य प्रदेश में 10 गौ सदन बनाए गए थे. इसका मुख्य उद्देश्य गौवंश को वर्षाकाल में जंगलों में रखने का था, ताकि किसानों की फसलों का नुकसान ना हो. गौवंश भी बारिश के दौरान सुरक्षित रहें. यह योजना वर्ष 2000 तक अमल में रही, लेकिन तत्कालीन सरकार ने इस योजना को बंद कर दिया था.

अभ्यारण्य बनाने की जरूरत: वर्ष 2004 में पुनः गौ अभ्यारण्य बनाने की योजना बनाई गई. इसका खाका तैयार होते होते वर्ष 2012 में आगर मालवा में 472 हेक्टेयर में एक अभ्यारण्य बनकर तैयार हुआ. यहां पर गायों को रखा गया, लेकिन लगातार बढ़ते गौवंश की संख्या को देखते हुए पूरे प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर गौ अभ्यारण्य बनाने की जरूरत महसूस हुई. इसके लिए तत्कालीन सरकार ने 131 करोड़ रुपए की लागत से अलग-अलग स्थानों पर शेल्टर हाउस भी बनाए जहां पर गौवंश को रखने की योजना बनाई गई.

गौवंश और गौशाला से जुड़ी ये खबरें जरूर पढे़ं...

गौवंशों के आश्रय के लिए 15 स्थान चयनित: इसी योजना को आगे बढ़ाते हुए 5 वर्ष पूर्व प्रदेश सरकार ने मनरेगा के माध्यम से ग्राम पंचायतों में गौशाला में बनाने की योजना बनाई. इसमें गौ संवर्धन बोर्ड ने 2 एकड़ में 20 लाख रुपए की लागत से गौशाला बनाने का प्रस्ताव दिया था. इस योजना को भी अमल में लाने के पहले चुनाव हो गए और कांग्रेस की सरकार प्रदेश में बन गई और गौ अभ्यारण के लिए जारी की गई. 1000 करोड़ रुपए की राशि कांग्रेस सरकार के अधिपत्य में आ गई हालांकि कांग्रेस सरकार ने ग्राम पंचायत स्तर पर गौशाला बनाने की योजना बनाई और उस पर काम भी शुरू हुआ, लेकिन समय ने फिर करवट बदली और 15 महीने में ही कांग्रेस की सरकार चली गई. इसके बाद प्रदेश में एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा की सरकार ने कार्यभार संभाला. अब गौवंशों को आश्रय देने के लिए 15 स्थान चयनित किए गए हैं.

स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी

जबलपुर। जिले के गंगई वीर गांव के 530 हेक्टेयर भूमि पर गौ वंश वन्य बिहार बनाने की योजना बनाई गई है. यह योजना जल्द ही अमल में आ जाएगी. गौ संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि, कई वर्षों से प्रदेश की सड़कों पर भटक रहे गौवंश को स्थाई आश्रय देने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. इसके लिए बड़े पैमाने पर राशि भी स्वीकृत हो चुकी है, लेकिन विभागीय और तकनीकी कारणों से अभी तक यह योजना शुरू नहीं हो सकी है.

फसलों का नहीं होगा नुकसान: गौ संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष ने गौवंश पालन की प्राचीन परंपराओं की जानकारी देते हुए बताया कि, अंग्रेजों के समय में वर्ष 1913 से वर्ष 1916 तक मध्य प्रदेश में 10 गौ सदन बनाए गए थे. इसका मुख्य उद्देश्य गौवंश को वर्षाकाल में जंगलों में रखने का था, ताकि किसानों की फसलों का नुकसान ना हो. गौवंश भी बारिश के दौरान सुरक्षित रहें. यह योजना वर्ष 2000 तक अमल में रही, लेकिन तत्कालीन सरकार ने इस योजना को बंद कर दिया था.

अभ्यारण्य बनाने की जरूरत: वर्ष 2004 में पुनः गौ अभ्यारण्य बनाने की योजना बनाई गई. इसका खाका तैयार होते होते वर्ष 2012 में आगर मालवा में 472 हेक्टेयर में एक अभ्यारण्य बनकर तैयार हुआ. यहां पर गायों को रखा गया, लेकिन लगातार बढ़ते गौवंश की संख्या को देखते हुए पूरे प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर गौ अभ्यारण्य बनाने की जरूरत महसूस हुई. इसके लिए तत्कालीन सरकार ने 131 करोड़ रुपए की लागत से अलग-अलग स्थानों पर शेल्टर हाउस भी बनाए जहां पर गौवंश को रखने की योजना बनाई गई.

गौवंश और गौशाला से जुड़ी ये खबरें जरूर पढे़ं...

गौवंशों के आश्रय के लिए 15 स्थान चयनित: इसी योजना को आगे बढ़ाते हुए 5 वर्ष पूर्व प्रदेश सरकार ने मनरेगा के माध्यम से ग्राम पंचायतों में गौशाला में बनाने की योजना बनाई. इसमें गौ संवर्धन बोर्ड ने 2 एकड़ में 20 लाख रुपए की लागत से गौशाला बनाने का प्रस्ताव दिया था. इस योजना को भी अमल में लाने के पहले चुनाव हो गए और कांग्रेस की सरकार प्रदेश में बन गई और गौ अभ्यारण के लिए जारी की गई. 1000 करोड़ रुपए की राशि कांग्रेस सरकार के अधिपत्य में आ गई हालांकि कांग्रेस सरकार ने ग्राम पंचायत स्तर पर गौशाला बनाने की योजना बनाई और उस पर काम भी शुरू हुआ, लेकिन समय ने फिर करवट बदली और 15 महीने में ही कांग्रेस की सरकार चली गई. इसके बाद प्रदेश में एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा की सरकार ने कार्यभार संभाला. अब गौवंशों को आश्रय देने के लिए 15 स्थान चयनित किए गए हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.