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कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की आदिवासी छात्राएं सीख रही हैं जूडो- कराटे

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Published : Jan 26, 2020, 9:22 AM IST

Updated : Jan 26, 2020, 11:50 AM IST

जबलपुर जिले के आदिवासी बहुल चरगवां इलाके में स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की छात्राएं आत्मरक्षा के लिए जूडो- कराटे सीख रही हैं.

Making oneself self-sufficient by learning karate
कराटें सीखकर खुद को आत्मनिर्भर बना बना रहीं हैं

जबलपुर। आदिवासी बहुल चरगवां इलाके में स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की छात्राएं पढ़ाई के साथ-साथ आत्मरक्षा के लिए जूडो- कराटे सीख रही हैं. छात्राएं शारीरिक रूप से खुद को मजबूत बनाकर अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद ही उठा रही है.

कराटें सीखकर खुद को आत्मनिर्भर बना बना रहीं हैं

छात्राओं ने बताया कि, पहले उन्हें अकेले निकलने में डर लगता था, लेकिन अब सभी ने खुद को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लिया है, जिस तरीके से महिला हिंसा के मामले बढ़ रहे हैं, उसको देखते हुए छात्राओं का खुद को मजबूत बनाने का संकल्प आत्मरक्षा के लिए काफी अहम है. जूडो- कराटे सीखने से छात्राओं में आत्मविश्वास भी बढ़ा है.

जबलपुर। आदिवासी बहुल चरगवां इलाके में स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की छात्राएं पढ़ाई के साथ-साथ आत्मरक्षा के लिए जूडो- कराटे सीख रही हैं. छात्राएं शारीरिक रूप से खुद को मजबूत बनाकर अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद ही उठा रही है.

कराटें सीखकर खुद को आत्मनिर्भर बना बना रहीं हैं

छात्राओं ने बताया कि, पहले उन्हें अकेले निकलने में डर लगता था, लेकिन अब सभी ने खुद को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लिया है, जिस तरीके से महिला हिंसा के मामले बढ़ रहे हैं, उसको देखते हुए छात्राओं का खुद को मजबूत बनाने का संकल्प आत्मरक्षा के लिए काफी अहम है. जूडो- कराटे सीखने से छात्राओं में आत्मविश्वास भी बढ़ा है.

Intro:दिनों दिन समाज में बढ़ रहा महिला उत्पीड़न और अत्याचार थमने का नाम नहीं ले रहा है। आए दिन मासूम बच्चियों से लेकर महिलाओं तक महिला उत्पीड़न संबंधी अपराधों का शिकार हो रही है इस बीच एक सुकून भरी खबर जबलपुर वरगी विधानसभा से सामने आई है । Body:जहां आदिवासी बाहुल्य चरगवां क्षेत्र में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की छात्राएं पढ़ाई के साथ-साथ एक लंबा वक्त खुद को समाज के दानवों से बचने के लिए बिताती हैं। कस्तूरबा गाॅधी बालिका विद्यालय की 150 छात्राएं खुद को शारीरिक रूप से मजबूत बना रही हैं ,,,,वहीं किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने सक्षम हो रही हैं ............देखिए ये खास रिपोर्ट।

देखने में महज़ यह दांव पेंच कराते के हो ,,,,लेकिन इनके पीछे छुपा मकसद समाज की ज्वलंत बीमारी को उजागर करता है । आज समाज मे ये बच्चियां खुद को महफूज नहीं समझती हैं ,,,,,,इन्हें पता है कि अगर इस समाज में सुरक्षित रहकर जीना है तो बहादुर बनकर रहना होगा । कहने को आज हर कोई आत्मनिर्भर बन रहा है वहीं यह बच्चियां भी खुद को सुरक्षित रखने के लिए आत्मनिर्भर बन रही हैं। तसल्ली करिए यह बच्चियां किसी मेट्रो शहर से नहीं बल्कि जबलपुर से लगे एक आदिवासी बाहुल्य इलाके की गरीब बच्चियां है जो पढ़ाई के साथ-साथ खुद को शारीरिक रूप से मजबूत बनाने दक्ष हो रही है।

चरगवां में बने कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में कई छात्राएं समाज में सामने आ रही वेहषी घटनाओं को देखकर पहले तो डरती थी। लेकिन अब सभी ने खुद को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लिया है। छोटी सी उम्र में ही समाज की फैली महिला उत्पीड़न की बीमारी को यह सहज ही समझती है। बेशक ये बच्च्यिाॅ उस समाज मे रहती है जहां पैदा होने के साथ ही ये उन भेड़ियों की नजर में किसी मांस के निवाले की तरह होती हैं जिन्हे नोंच कर खाना ही उनका मकसद होता है। ऐसे में इन बच्चियों का जज्बा देखते ही बनता है।

कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की बच्चियां आज हर स्कूली छात्राओं के लिए एक मिसाल है ,,वही खुद को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नजीर भी बनी हुई है । जिला प्रशासन भी कस्तूरबा गांधी छात्रावास की छात्राओं को देखकर गौरवान्वित महसूस करता है । उसकी कोशिश होगी कि ऐसे ही बच्चियों को मजबूत बनाने और उन्हें किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए अन्य स्कूलों में भी इस प्रकार की गतिविधियां संचालित की जाए।

बाइट- भग्यश्री पटैल छात्रा
बाइट- उमा भारती ठाकुर छात्रा
बाइट - नीतू जेकव छात्रावास अधीक्षका
बाइट -भरत यादव कलेक्टर जबलपुर
Conclusion:तो बेशक कराते ही क्यों ना हो..... लेकिन खुद को सुरक्षित रखने के लिए इस तालीम को सीखने का इनका जज्बा....... और समाज में फैली महिला उत्पीड़न की बीमारी को जड़ से मिटाने का इनका यह प्रयास वाकई काबिले तारीफ है।
Last Updated : Jan 26, 2020, 11:50 AM IST
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