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मकर संक्रांति से जबलपुर के तिलवारा घाट का विशेष नाता, जानें- तिल भांडेश्वर शिवलिंग का इतिहास

Makar Sankranti 2024 : जबलपुर के तिलवारा घाट और मकर संक्रांति का विशेष नाता है. मकर संक्रांति पर तिल का महत्व है और इसी तिल के नाम पर तिलवारा घाट का नाम पड़ा है. क्योंकि यहां पर भगवान महादेव की एक मूर्ति है, जिसे तिल भांडेश्वर के नाम से जाना जाता है.

Makar Sankranti 2024
मकर संक्रांति पर जबलपुर के तिलवारा घाट का विशेष नाता
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 12, 2024, 10:22 AM IST

मकर संक्रांति पर जबलपुर के तिलवारा घाट का विशेष नाता

जबलपुर। ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति पर यहां तिल चढ़ाने से विशेष पुण्य मिलता है. इसलिए जबलपुर के आसपास के कई जिलों के लोग यहां आकर मकर संक्रांति पर पूजा करते हैं. यहां नर्मदा नदी के तट पर शिव मंदिर है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह सदियों से है. इस मंदिर में मकर संक्रांति पर भगवान शिव को तिल चढ़ाया जाता है. इसलिए इन महादेव का नाम तिल भांडेश्वर महादेव है. बता दें कि जबलपुर में मूर्तियों का इतिहास दूसरी शताब्दी के बाद से मिलता है.

हजार साल पुराने मंदिर : जब यहां पर कलचुरी राजाओं का शासन था, तब से जबलपुर के आसपास के इलाके में अलग-अलग भगवान की मूर्तियां मिलती हैं. यहां के मंदिरों का इतिहास भी हजार साल से पुराना है. इसमें त्रिपुर सुंदरी का मंदिर लगभग डेढ़ हजार साल पुराना है. कई मंदिर ऐसे हैं जिनका इतिहास 1000 साल से पहले का है. इसके पहले लंबे समय तक जबलपुर के बड़े भूभाग में ये राज करते थे. उन्हीं की समृद्ध संस्कृति के दौरान जबलपुर के आसपास के इलाकों में बहुत सारे मंदिर बनाए गए. तिलवाड़ा का यह मंदिर भी इसी काल में बनाया गया.

Makar Sankranti 2024
जबलपुर तिलवारा घाट

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कई जिले से आते हैं लोग : इस मंदिर को बहुत विस्तार नहीं दिया गया लेकिन मंदिर और इस घाट की बहुत मान्यता है. इसीलिए मकर संक्रांति के दिन यहां बड़ा मेला लगता है. जिसमें जबलपुर, सिवनी और कटनी जिलों के लोग आते हैं और मां नर्मदा में स्नान करते हैं. इस घाट पर पूजा पाठ करने वाले गंगा चरण दुबे ने बताया कि उनकी कई पीढ़ियां नर्मदा के घाट पर ही भक्तों को तिल का तर्पण करवाती रही हैं. इसका विशेष महत्व है और कई लोग अपने पूर्वजों की याद में तिल से तर्पण करते हैं.

मकर संक्रांति पर जबलपुर के तिलवारा घाट का विशेष नाता

जबलपुर। ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति पर यहां तिल चढ़ाने से विशेष पुण्य मिलता है. इसलिए जबलपुर के आसपास के कई जिलों के लोग यहां आकर मकर संक्रांति पर पूजा करते हैं. यहां नर्मदा नदी के तट पर शिव मंदिर है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह सदियों से है. इस मंदिर में मकर संक्रांति पर भगवान शिव को तिल चढ़ाया जाता है. इसलिए इन महादेव का नाम तिल भांडेश्वर महादेव है. बता दें कि जबलपुर में मूर्तियों का इतिहास दूसरी शताब्दी के बाद से मिलता है.

हजार साल पुराने मंदिर : जब यहां पर कलचुरी राजाओं का शासन था, तब से जबलपुर के आसपास के इलाके में अलग-अलग भगवान की मूर्तियां मिलती हैं. यहां के मंदिरों का इतिहास भी हजार साल से पुराना है. इसमें त्रिपुर सुंदरी का मंदिर लगभग डेढ़ हजार साल पुराना है. कई मंदिर ऐसे हैं जिनका इतिहास 1000 साल से पहले का है. इसके पहले लंबे समय तक जबलपुर के बड़े भूभाग में ये राज करते थे. उन्हीं की समृद्ध संस्कृति के दौरान जबलपुर के आसपास के इलाकों में बहुत सारे मंदिर बनाए गए. तिलवाड़ा का यह मंदिर भी इसी काल में बनाया गया.

Makar Sankranti 2024
जबलपुर तिलवारा घाट

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कई जिले से आते हैं लोग : इस मंदिर को बहुत विस्तार नहीं दिया गया लेकिन मंदिर और इस घाट की बहुत मान्यता है. इसीलिए मकर संक्रांति के दिन यहां बड़ा मेला लगता है. जिसमें जबलपुर, सिवनी और कटनी जिलों के लोग आते हैं और मां नर्मदा में स्नान करते हैं. इस घाट पर पूजा पाठ करने वाले गंगा चरण दुबे ने बताया कि उनकी कई पीढ़ियां नर्मदा के घाट पर ही भक्तों को तिल का तर्पण करवाती रही हैं. इसका विशेष महत्व है और कई लोग अपने पूर्वजों की याद में तिल से तर्पण करते हैं.

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