जबलपुर। जिले में आज फिर एक मरीज ने कोविड वार्ड से कूदकर आत्महत्या करने की कोशिश की है. हम आपको उस वार्ड की सच्चाई से रूबरू करवा रहे हैं. जिसमें भर्ती रिटायर्ड प्रोफेसर का एक पत्र कोरोना वार्ड की सच्चाई को बयां कर रहा है.
![Letter of corona patient admitted in ward](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8590794_915_8590794_1598610550631.png)
पत्र में लिखा है कि, इस वार्ड में स्थितियां नर्क से बदतर हैं. कुछ लाचार बुजुर्गों ने बिस्तर गंदे कर दिए हैं. उन्हें साफ करने वाला कोई नहीं है. टॉयलेट में लोग बेहोश पड़े हैं. जो बिस्तर से गिर गया उसे उठाकर दोबारा बिस्तर पर रखने वाला कोई नहीं है. कुछ लोग ऐसे हैं, जो चल फिर नहीं सकते वो बोतल में पेशाब करने के लिए मजबूर हैं.
रिटायर्ड प्रोफेसर ने लिखा है कि, ऐसे गंदे वार्ड में जब खाना दिया जाता है, तो वो हलक से नीचे नहीं उतरता. इसलिए कुछ लोग तो अनशन कर रहे हैं. डॉक्टर आते हैं, तो सिर्फ हाल-चाल पूछ कर चले जाते हैं. कई गंभीर मरीजों को तो इलाज तक नहीं मिल पा रहा है. रिटायर्ड प्रोफेसर यहां जिंदगी से इतने मायूस हो गए हैं कि, उन्होंने इसी पत्र में इस बात का जिक्र किया है कि, ऐसे हालात में वे जिंदा नहीं बच पाएंगे, यदि उनकी मृत्यु हो जाए तो कम से कम उनका अंतिम संस्कार सम्मान सरकारी हाथों से ना करवाकर मोक्ष संस्था के जरिए करवाया जाए.
रिटायर्ड प्रोफेसर अभी भी कोविड वार्ड में अपना इलाज करवा रहे हैं. मेडिकल कॉलेज के इसी वार्ड का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें एक महिला कह रही है कि, उसने 1 दिन पहले शौच कर ली थी, लेकिन अब तक डायपर बदलने के लिए कोई नहीं आया. वही एक मरीज कह रहा है कि, वह चल फिर नहीं सकता इसलिए बोतल में ही पेशाब कर रहा है.
दूसरी गंभीर बात ये है कि, यहां से किसी को भी अपने मन से जाने की इजाजत नहीं है. ऐसी स्थिति में जब लोगों को कोई चारा नजर नहीं आता तो वह खिड़की से उतर जाते हैं. लेकिन मरने की हिम्मत नहीं कर पाते, सिर्फ बाहर की आबोहवा में सांस ले लेते हैं.
चिट्ठी में इस बात का भी जिक्र है कि, हो सकता है कि कुछ अधिकारी अस्पताल के बाहर से हमारा हाल- चाल जानने के लिए पहुंच रहे होंगे और उन्हें ये बताया जा रहा होगा कि, सब कुछ ठीक है. रिटायर्ड प्रोफेसर ने अधिकारियों से गुहार लगाई है कि, कम से कम रात में एक बार आकर देखें नरक यहीं है.